पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार
इस किसान ने अपनी टूटी सायकिल में स्कूटी का टायर जोड़ कर इसे मोबाइल पम्पसेट बना लिया है। गांव देहात के इलाके में इस तरह के इन्नोवेशन खूब दिखते हैं। जिन्हें देसी भाषा में जुगाड़ कहा जाता है। कमी सिर्फ इतनी है कि हम अपने देसी इन्नोवेशन को बेहतर प्रोडक्ट में नहीं बदल पाते।
अमूमन यह मान लिया जाता है कि भारत के लोगों में नए आविष्कार करने की क्षमता कम है। मगर यह पूरी तरह सच नहीं है। हमारे शिल्पी समुदाय के लोग गरीब और शिक्षा की मुख्यधारा से बाहर है। शिक्षा के रास्ते जो वर्ग आगे बढ़ रहा है वह परंपरागत रूप से कामगार नहीं रहा है। इसलिये अगर देश में इस तबके के लोगों के हुनर को पहचान कर आगे बढ़ाना होगा।