पशुपति शर्मा
मई-जून 2018 की बात है। जेएनयू के मेरे एक साथी का फोन आया। वो बेगुसराय में अपने गांव से बात कर रहे थे। वो व्यथित थे- गांव में एक नाबालिग बच्ची के साथ हुई घटना से। वो चाहते थे कि मैं इस मामले के बारे में महिला आयोग और दूसरे संबंधित आयोगों तक उनकी बात पहुंचाने में मदद करूं। मैंने हामी भी भर दी लेकिन फिर बात आगे नहीं बढ़ी। साल भर बाद वो फिर गांव गए और उस बच्ची के बारे में सुनकर फिर परेशान हो गए।
घटना एक मजूदर परिवार की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की है। परिवार थाना-कचहरी का चक्कर लगाकर परेशान है। पीड़िता के परिवारवालों की माने तो आरोपी इलाके के रसूखदार लोग हैं, इसलिए एक्शन नहीं हो रहा। गिरफ्तारी नहीं हो रही। महिला थाना, बेगुसराय में दर्ज प्राथमिकी 09/17 में पुलिस की भूमिका और एक्शन पर बात करेंगे लेकिन पहले घटना समझ लेते हैं।
घटना बरौनी दूह, गांव में साल 2017 की है। दलित परिवार की नाबालिग बच्ची ( घटना के वक्त उम्र 13 साल) अपने परिवार के साथ खेत पर गई थी। पूरा परिवार खेत में कटनी करने गया था। इसी बीच बच्ची अपने भाई के साथ घर से खाना लाने जा रही थी… दो लड़कों ने रास्ते में जबरन रोका और गैंगरेप किया। बच्ची बेहोश हो गई। भाई ने भागकर शोर-गुल मचाया तो काफी लोग जमा हो गए। आरोपी के पिता से शिकायत करने परिवार के लोग गए तो उलटे उन्हें डांट-फटकर कर भगा दिया कि “इतना हंगामा क्यों कर दिया”। बांस से मारने की कोशिश की।
आपको बता दें कि घटना का अनुसंधान महिला थानाध्यक्ष पूनम सिन्हा ने किया। धारा 376 जी, धारा 506 और धारा 34 के तहत इसमें मामला दर्ज किया गया। इसके अलावा एससी एसटी एक्ट और पॉक्सो एक्ट भी लगा। पुलिस ने जो जानकारी कोर्ट में दी, उसके मुताबिक पीड़ित बच्ची के साथ रेप की पुष्टि हो चुकी है। अदालत ने मई 2017 के महीने में आरोपियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया। पहली नजर में पुलिस का पूरा एक्शन पीड़ित परिवार के साथ दिखता है। वो कई बार आरोपियों के घर दबिश भी देती है लेकिन गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पा रही, इसका कोई जवाब प्रशासन के पास नहीं है।
पीड़िता का परिवार डरा हुआ है। बच्ची की मानसिक अवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। करीबियों के मुताबिक पिता टूट चुके हैं, लेकिन मां अब भी इंसाफ की लड़ाई जारी रखने की बात कर रही है। गांव के लोगों का कहना है कि कुर्की जब्ती के आदेश का पालन नहीं किया गया। पुलिस ने उस डेरा की तस्वीरें खींच कर कुर्की जब्ती की कार्रवाई से इंकार कर दिया, जहां आरोपी रहते नहीं। गांव में जिस घर में आरोपी का परिवार रहता है वो काफी शानदार है। कहा जा रहा है कि आरोपी अभी भी शान से घूम रहे हैं जबकि पुलिस उसे लापता बता रही है।
पीड़िता की मां ने एसपी-डीएसपी तक गुहार लगाई। पीड़ित परिवार के मुताबिक महिला थाना, बेगूसराय में मामला दर्ज हुआ है और आरोपी का घर तेघड़ा थाने के अंतर्गत आता है। तेघड़ा थाने की पुलिस का कहना है कि एफआईआर उनके थाने में नहीं, महिला थाना ये दलील दे रहा है कि स्टाफ की कमी है।
गांव के एक बुजुर्ग हैं, जो इस बिटिया के लिए इंसाफ़ की लड़ाई को जारी रखना चाहते हैं। मैंने स्टोरी में किसी का नाम नहीं दिया है। न पीड़िता का, न आरोपियों का, न मददगारों का। मैं तो बस ये चाहता हूं कि हमारा सिस्टम इस तरह से काम करे कि सबको इंसाफ़ मिल सके। वरना कभी किसी गांव में तो कभी किसी गांव में, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी और इंसाफ के लिए परिवार दर-दर भटकते रहेंगे।