राधे कृष्ण
मैं खुद को बेहद सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के साथ चार बार इंटरव्यू करने का मौका मिला। अटल जी के साथ अपने पहले इंटरव्यू की चर्चा करने से पहले मैं आपको शिव की नगरी वाराणसी ले चलता हूं। अटल बिहारी वाजपेयी उस समय देश के प्रधानमंत्री थे और मैं ऑल इंडिया रेडियो के लिए काम करता था। अटल जी वाराणसी में एक समारोह में भाग लेने के लिए आए। उन दिनों भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था और ऐसा लग रहा था कि कभी भी दोनों देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता है। यह मामला कितना गंभीर था, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एक दिन पहले ही देश के रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने राजस्थान में संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच कभी भी युद्ध हो सकता है।
वाराणसी में कार्यक्रम में जब अटलजी मंच पर पहुंचे तो मैं उनके सेक्रेटरी आर.पी. सिंह की इजाजत पर मंच की सीढ़ियों के बिल्कुल पास जाकर खड़ा हो गया। कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब अटल जी मंच से उतर रहे थे तो मैंने अभिवादन के साथ अपना परिचय दिया तो वे रुक गए और बोले, पूछिए क्या पूछना चाहते हैं आप ।
मैंने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का जिक्र करते हुए अटलजी से सीधा सवाल पूछा कि क्या दोनों देशों के बीच युद्ध हो सकता है। मेरा सवाल सुनकर एक क्षण के लिए वो बेहद गंभीर मुद्रा में हो गए । लेकिन अगले ही क्षण वे अपने चिरपरिचित अंजाड में बोले- दोनों देशों के बीच युद्ध नहीं होगा। इतना कहकर वह आगे की तरफ बढ़ गए । मैंने अपना सवाल दोहराते हुए उनसे कहा कि कल रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज ने कहा है कि दोनों देशों के बीच कभी भी युद्ध हो सकता है। सवाल सुनकर वाजपेयी जी रुक गए और पलटकर बोले, प्रधानमंत्री कौन है या मैं या जॉर्ज फर्नांडीज । मैंने कहा- प्रधानमंत्री आप हैं। मेरी बात सुनकर बोले, मैं कह रहा हूं युद्ध नहीं होगा। मैं देशवासियों को भरोसा दिलाता हूं कि वे चिंता न करें। दोनों देशों में युद्ध नहीं होगा। ऑल इंडिया रेडियो पर प्रधानमंत्री वाजपेयी जी का बयान चलने के बाद इस खबर को समाचार एजेंसियों, दूरदर्शन और अन्य टीवी चैनलों ने चलाना शुरू कर दिया। अगले दिन यह खबर देश-विदेश के समाचार पत्रों की हेडलाइन बनी।
अब मैं जिक्र करता हूं अटल जी के साथ अपने पहले इंटरव्यू का… उन दिनों मैं हिन्दी दैनिक कुबेर टाइम्स, मुंबई में वरिष्ठ संवाददाता था। पहली बार अटल जी का साक्षात्कार मैंने महाराष्ट्र के सोलापुर में सुबह छह बजे किया था। दरअसल, सोलापुर में महाराष्ट्र प्रदेश भारतीय जनता पार्टी की कार्य समिति की बैठक चल रही थी। जिसमें हिस्सा लेने के लिए अटल जी पहुंचे थे।
एक तरफ एक नया नवेला रिपोर्टर और दूसरी तरफ देश का प्रधानमंत्री लिहाजा मैं थोड़ा नर्वस हो गया । इस बात को भांपते हुए अटल जी ने खुद हमारी मदद की। उन्होंने मेरे लिए चाय मंगवाई। अटल जी के साथ पहला इंटरव्यू मैंने 40 मिनट का किया था। इस इंटरव्यू में मैंने सोनिया गांधी के विदेशी मूल को लेकर अटल जी से सवाल किया था। मेरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, महिला के रूप में मैं सोनिया गांधी का सम्मान करता हूं लेकिन क्या मैं या कोई अन्य भारतीय इटली जाकर वहां का प्रधानमंत्री बन सकता है। सोनिया गांधी को इस बारे में खुद सोचना चाहिए।
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ दूसरा इंटरव्यू मैंने मुंबई के होटल हॉलीडे-इन में किया था। कुछ ही महीने पहले अटल जी ने 13 महीने प्रधानमंत्री के पद पर रहकर इस्तीफा दिया था । विश्वास मत के दौरान उनकी सरकार एक मत से गिर गई थी। अटल जी एक समारोह में भाग लेने के लिए मुंबई पहुंचे थे। प्रमोद महाजन ने अटल जी के साथ इंटरव्यू का वक्त तय कराया । अटल जी से हमारी तकरीबन 25 मिनट बात हुई । इस इंटरव्यू में उन्होंने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार, राजनीति के गिरते स्तर और अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की लगातार कमजोर होती स्थिति पर चिंता जताई थी। इस इंटरव्यू में मैंने अटल जी से जब कश्मीर समस्या को लेकर सवाल किया तो उनका जवाब था, भारत और पाकिस्तान को मिलकर इस समस्या का हल करना होगा। हम कदापि नहीं चाहेंगे कि कोई तीसरा पक्ष इसमें मध्यस्थता करे । पाकिस्तान को अगर लग रहा है कि वह कश्मीर को हमसे ले लेगा तो वह दिन में सपना देख रहा है । अटल जी के साथ हुई इस पूरी बातचीत को मुंबई से प्रकाशित होने वाले चर्चित साप्ताहिक ब्लिट्ज ने छापा था ।
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रमोद महाजन के साथ एक बार मैं मुंबई से उत्तर प्रदेश के चुनावी दौरे पर गया । यह बात साल 1999 की है । प्रमोद महाजन की पहली जनसभा दुद्धी (राबर्ट्सगंज) में थी । उनकी दूसरी जनसभा कानपुर में और तीसरी जनसभा लखनऊ में थी । लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी जी खुद चुनाव लड़ रहे थे। लखनऊ के अलीगंज इलाके में प्रमोद महाजन और पार्टी के दूसरे नेता जब जनसभा को संबोधित कर रहे थे तभी अचानक वहां अटल जी आ गए । प्रमोद महाजन ने मुझे अटल जी से मिलवाया और बताया कि मैं उनका इंटरव्यू करना चाहता हूं । इसके बाद देर रात को मैंने उनका इंटरव्यू किया । उस इंटरव्यू में मैंने जब अटलजी से उनके चुनाव को लेकर सवाल किया तो उनका जवाब बड़ा दिलचस्प था । उन्होंने कहा- मैं कहां चुनाव लड़ रहा हूं, हमारा चुनाव लखनऊ के लोग लड़ रहे हैं। उन्होंने पास ही बैठे लालजी टंडन की तरफ इशारा करते हुए कहा, आप टंडन जी से पूछिए। मैं तो दिन भर पार्टी के उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग राज्यों में जाकर चुनाव प्रचार कर रहा हूं। कल टंडन जी ने कहा कि एक दिन के लिए चले आइए। तो अभी थोड़ी देर पहले मैं लखनऊ आ गया । कल सबेरे राजस्थान जाना है । वहां पर मेरी कई जनसभाएं लगी हुई हैं।
अटल जी प्रधानमंत्री थे । उनके साथ जयपुर जाना हुआ । यह वर्ष 2002 की बात है। जयपुर में उनके दो-तीन सरकारी कार्यक्रम थे। सबसे आखिर में उन्हें एक जनसभा को संबोधित करना था और उसके बाद दिल्ली लौटना था। पहले से तय था कि जयपुर से दिल्ली लौटते समय वक्त मुझे इंटरव्यू देंगे। वायु सेना के विशेष विमान के जयपुर से उड़ान भरने के बाद उनके सेक्रेटरी ने मुझे बताया कि प्रधानमंत्री जी के साथ इंटरव्यू बहुत मुश्किल है, क्योंकि वे बहुत थक गए हैं। मैं निराश हो गया लेकिन थोड़ी देर बाद अचानक मुझे बताया गया कि आप तैयार हो जाइए। प्रधानमंत्री जी के साथ आपकी बात हो जाएगी और अंततः अटलजी के साथ मैंने 20 मिनट का इंटरव्यू किया । हमारा इंटरव्यू चल ही रहा था कि तभी पता चला कि हम लोग जल्द ही दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंड करने वाले हैं। इस इंटरव्यू में अटल जी ने कहा था कि अगर आप ताकतवर हैं तभी दुनिया में आपकी पूछ होगी। वर्ना आपको कोई नहीं पूछेगा। आतंकवाद पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था- आतंकवाद की जड़ में क्या है गरीबी और अशिक्षा । आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वालों को पता ही नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं।
अटल जी के साथ मैंने आखिरी इंटरव्यू दिल्ली में उनके कृष्णा मेनन मार्ग स्थित आवास पर किया था । प्रधानमंत्री का पद छोड़े उन्हें तीन-चार महीने हो चुके थे । उस दिन उनकी तबीयत ठीक नहीं थी । अटल जी के सहायक शिवकुमार हमेशा की तरह मुस्तैदी के साथ उनके पीछे खड़े थे । इससे पहले कि मैं उनसे अपना पहला सवाल करता उन्होंने हमसे पूछ लिया, लखनऊ में सब ठीक है। मैंने उन्हें बताया कि हां, सब ठीक है । इसके बाद हमारे बीच 20-21 मिनट तक बातचीत हुई थी । इस इंटरव्यू में उन्होंने बतौर प्रधानमंत्री अपने काम-काज को लेकर बात की थी । अटल जी ने कहा था मैंने ईमानदारी से अपना काम किया । पोखरण परमाणु परीक्षण को उन्होंने उस समय की देश की जरूरत बताया था ।
राधे कृष्ण / पिछले दो दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय । ऑल इंडिया रेडियो, बीबीसी समेत कई बड़े मीडिया संस्थानों से जुड़े रहे । दो साल पहले आपकी पुस्तक ‘संघर्ष के प्रयोग‘ प्रकाशित हुई। साईं बाबा के पवित्र उपदेशों का संकलन भी प्रकाशित कर चुके हैं । हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी पुस्तक मोदी ‘द ग्लोबल लीडर’प्रकाशित हुई है ।