ऐसे दरिंदे न पिता, न पुत्र, न भाई और पति तो कतई नहीं!

ऐसे दरिंदे न पिता, न पुत्र, न भाई और पति तो कतई नहीं!

देवांशु झा

बुलंदशहर का एक वीडियो सामने आया है। जिसमें भरी पंचायत के सामने एक व्यक्ति अपनी पत्नी को पेड़ से बांधकर बेल्ट से पीट रहा है। कारण बताना जरूरी नहीं है, क्योंकि जब भी पुरुष किसी स्त्री को, किसी पंचायत के सामने इस तरह से पीटता है, तब वह स्त्री अनिवार्य रूप से बदचलन होती है ! तो यहां वह स्त्री बदचलन थी ! क्योंकि पतिदेव को ऐसी शंका थी। उस स्त्री को बेल्ट से तब तक पीटा गया, जब तक वह निढाल होकर रस्सी से झूल नहीं गई।

पीटे जाने की इस प्रक्रिया के दौरान पुरुष समाज दर्शक की तरह खड़ा रहा। सबने न्याय व्यवस्था के इस त्वरित अनुष्ठान को देखा और संदेश दिया कि स्त्रियों जब भी तुम किसी भी कारण से, किसी पर पुरुष के प्रति आकर्षित होओगी, तुम्हें इसी तरह से दण्डित किया जाएगा !

ऐसी तमाम तस्वीरों को देखने के बाद जो विचार मेरे मन में उपजा है, वह कुछ ऐसा है कि स्त्रियों को हर हाल में परपुरुषगमन करना चाहिए। और स्वच्छंद होकर करना चाहिए । जब तक वे इस अन्यायी पुरुष प्रधान संसार में सिर्फ शक की बुनियाद पर पीटी जाती हैं, तब तक उन्हें अवश्य ही ऐसा करना चाहिए। यह पुरुषों को तभी समझ में आएगा जब वे अपने स्तर का व्यभिचार आम स्त्रियों में देखेंगे। जब स्त्रियां कह सकेंगी कि अगर तुम विवाहोपरांत भी हर क्षण किसी को दबोचने का सोचते हो तो मुझे भी अपनी इच्छानुसार किसी और को वर लेने का अधिकार है।

इस बुलंदशहर में कैसे लोग रहते हैं भाई..? सिर्फ शंका पर किसी विवाहिता को उसका ही पति सौ लोगों के सामने बेल्ट से पीट रहा है, वह भी पशुवत ! हे राम..! ऐसे लोगों को कठोर दण्ड मिलना चाहिए। दण्ड भी केवल शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक भी। क्योंकि जब वे उस मन की यातना को भोगेंगे तभी अनुभव कर सकेंगे कि सिर्फ शंका पर किसी को इस तरह से पीटना उसी क्षण मनुष्य होने से गिर जाना है। उसी क्षण इस संसार की स्त्रीजाति मात्र के ऊपर से अपना हर तरह का अधिकार खो देना है।

ऐसे मनुष्य न पुत्र हैं, न पिता, न पति, न भाई। ऐसे मनुष्यों के लिए कोई उद्धत व्यभिचारिणी स्त्री का विधान होना चाहिए। एक ऐसी स्त्री जो हर दिन उसके पौरुष को अपमानित कर कहे कि यही तुम्हारा पुरुषार्थ है ! नामर्द कहीं के !


devanshu jhaदेवांशु झा। देवघर, झारखंड के निवासी। इन दिनों दिल्ली में प्रवास। पिछल दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। कलम के धनी देवांशु झा ने इलेक्ट्रानिक मीडिया में भाषा का अपना ही मुहावरा गढ़ने और उसे प्रयोग में लाने की सतत कोशिश की है। आपका काव्य संग्रह ‘समय वाचाल है’ हाल ही में पाठकों के हाथ में आया है। आप उनसे 9818442690 पर संपर्क कर सकते हैं।

One thought on “ऐसे दरिंदे न पिता, न पुत्र, न भाई और पति तो कतई नहीं!

  1. Bindu Shukla- Ek darida ke sath 1oo aur darinde maja lerhe h enme se koi ek ye kha de ki es aurat ne jo bhi kiya h ao mai nhi kya aur kiya h to mera bhi yhi hal kro

Comments are closed.