वरिष्ट पत्रकार अजित अंजुम के पिता राम सागर प्रसाद सिंह का निधन 20 मार्च की सुबह हो गया। पैतृक शहर बिहार के बेगूसराय में दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ । अजित जी सोशल मीडिया पर अपने पिता का जिक्र करते थे । जब भी बेगूसराय जाते थे तो अपने पिता से मिलने की बेचैनी को शेयर करते थे । हर बात में पिता और माताजी का जिक्र होता था । लेकिन दुख भरी खबर ने अजित अंजुम को तोड़ दिया । पिता के निधन पर अजित अंजुम ने अपने मन की भावना को कुछ ऐसे लिखा-
“बाबूजी हम सबको छोड़कर चुपके से चले गए . हम सबके लिए हीरो की तरह थे बाबूजी . हमारा संबल , हमारी ताक़त . हम पर अगाध भरोसा करने वाले पिता . यक़ीन ही नहीं हो रहा कि बाबूजी ऐसे चुपचाप बग़ैर किसी हलचल के यूँ चले जाएँगे . अभी तो हम उनके साथ चार दिन बिताकर लौटे थे . कितने खुश थे , हम चारों भाई -बहन को एक साथ देखकर . बेगूसराय जाने के लिए जैसे ही हम दिल्ली से निकलते, उनकी बेचैनी शुरू हो जाती थी . हर थोड़ी -थोड़ी देर में फ़ोन करते कि अब कहाँ पहुँचे ..पटना पहुँचते ही फिर फ़ोन आना शुरु हो जाता . बहुत प्यार भरी आतुरता से पूछते कि अजीत ? अब कितनी देर ?
मैं बताता कि रास्ते में हूँ . दो घंटे और लगेंगे …
थोड़ी ही देर बाद फिर फ़ोन आता – कहाँ पहुँचे बाबू ? बेगूसराय पहुँचने तक कम से कम पाँच – सात बार उनका फ़ोन आ जाता था . अगर हम कहीं जाम में फँसते तो बाबूजी इंतज़ार में छटपटाने लगते थे . जैसे ही गाड़ी घर के पास पहुंचती बाबूजी बाहर ही इंतज़ार करते हुए मिलते . हम सबको देखते ही उनकी आँखों में चमक आ जाती .
आज फिर बेगूसराय जा रहा हूँ . माँ रो-रोकर निढाल होगी और बाबू जी का अब कोई फ़ोन नहीं आएगा …। उफ़्फ़ बाबू जी , अभी तो आपको नहीं जाना था …आपके जाने का ग़म झेला नहीं जा रहा है बाबूजी ..हम तो कुछ दिनों में अपने आपको संभाल लेंगे लेकिन मेरी मां ? मैं बेगूसराय से 100 किलोमीटर दूर रास्ते में हूं लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे मां के बिलखने की आवाज मेरे कानों में गूंज रही है ..मां तो टूट गयी होगी न बाबूजी जी , आपके जाने के बाद ..उसको कैसे संभालूंगा बाबूजी ?
ये सब लिखते समय ऊँगलियाँ काँप रही है . आँखें डबडबाई हुई है . भागता हुआ आ तो रहा हूँ लेकिन आपके बेजान जिस्म को कैसे देख पाऊँगा बाबूजी ?”
अजित अंजुम के पिता रिटायर्ड जज थे । ये तस्वीरें बता रही हैं कि अपने परिवार के साथ राम सागर प्रसाद सिंह जी कैसे रहते थे । हर तस्वीर में वो मुस्कुराते हुए दिखाई देते थे । अजित अंजुम को जानने वाले और मीडिया जगत के लोग भी उनके पिता के जाने से दुखी हैं ।