विजय प्रकाश
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत तभी बनेगा जब गांव खुशहाल होंगे और शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम सुविधाएं गांव तक पहुंचेंगी। गांव की असल समस्या उनके बीच बिना गए नहीं समझी जा सकती, लिहाजा टीम बदलाव ने नए साल पर गांव में बदलाव की चौपाल लगाकर लोगों के बीच एक संवाद स्थापित करने की कोशिश की।
साल 2018 की पहली चौपाल उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के मोहिद्दीनपुर गांव में आयोजित की गई, जिसमें करीब 10 गांवों के ग्राम प्रधान और धर्मापुर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी समेत उनकी पूरी टीम मौजूद रही।
कंपकपाती ठंड के बीच बदलेगी गांव की सूरत- ‘’2017 के सबक और 2018 के संकल्प’’ चौपाल का आगाज हुआ। इसमें धर्मापुर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी और उनकी पूरी टीम के साथ ग्राम प्रधानों की मौजूदगी हमारे लिए किसी सुखद एहसास से कम नहीं रही।
चौपाल के आयोजन का जिम्मा उठाया सेवा निवृत फौजी और मोहिद्दीनपुर गांव के प्रधान अनिल यादव ने। वो करीब दो साल पहले गांव के प्रधान चुने गए। उनके सामने सबसे बड़ी समस्या अपने गांव को विकास की पटरी पर लाना था, जब कोई काम शुरू करने की कोशिश करता तो गांव के लोग ही उसमें रुकावट के लिए खड़े हो जाते। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और प्राथमिक स्कूल से अतिक्रमण हटाया, जरूरतमंदों के लिए तेजी से आवास निर्माण का काम किया, आज 5000 आबादी वाली ग्राम सभा में करीब 27 लोहिया, 4 इंदिरा और 8 प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को आशियाना मिल चुका है। करीब 200 शौचालय का निर्माण हो चुका है और करीब 200 अभी बनवाने हैं। ग्राम पंचायत में आने वाला कोड्डा गांव ओडीएफ हो चुका है। आने वाले वक्त में स्वच्छ पानी और शिक्षा पर जोर देने की योजना है।
वहीं धर्मापुर ब्लॉक के प्रधान संघ के अध्यक्ष लाल चंद जी ने सबका ध्यान विकास के काम में आने वाली बाधाओं की ओर खींचा । लालचंद जी ने बताया कि कैसे छोटी-छोटी योजनाओं को अपने गांव तक लाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते हैं। क्या आप सोच सकते हैं दिल्ली में बैठे योजना बनाने वाले अधिकारियों के टॉयलेट की टोटी जितने में आती होगी उससे भी कम पैसे (12000 रुपये) में ग्राम प्रधानों को गांव में टॉयलेट बनाने के लिए बाध्य किया जाता है। ऊपर से कुछ ऐसी मांग भी की जाती है जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। इसके बाद भी ग्राम प्रधान हर योजना को तय समय पर पूरा करने की कोशिश करते हैं।
यही नहीं मोहिद्दीनपुर गांव के निवासी मुन्नू जी ने सवाल किया कि आखिर गांवों में शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों इतनी बदहाल है। क्या सिर्फ टायलेट और आवास बनवाने से ही विकास होता है, क्या हमारी जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ी को अच्छा भविष्य देने की नहीं हैं।
मुन्नू जी के इस सवाल पर चौपाल में एक पल के लिए खामोशी छा गई, लेकिन अगले ही पल धर्मापुर ब्लॉक के एडीओ पंचायत अशोक कुमार मौर्य खड़े हुए और बताया कि ये जरूरी नहीं है कि ब्लॉक या फिर सरकार जो योजनाएं बनाए आप उसे ही सिर्फ लागू करने के पीछे भागते रहिए। बल्कि पंचायतों को इस बात की पूरी आजादी है कि वो अपनी जरूरत के हिसाब से कार्ययोजना बनाकर अधिकारियों के सामने रखें। अगर अधिकारी आपकी बात नहीं सुनता है तो आपकी शिकायत लाजमी है, लेकिन पहले आप खुद तय करना सीखें कि आपके गांव की प्राथमिकता क्या है।
ब्लॉक में बतौर एमआई (इंजीनियर) तैनात अनिल कुमार मिश्रा ने गांव वालों को सुझाव दिया कि आपका विकास तब तक पूरी तरह नहीं हो सकता जब तक आप सिर्फ एक दूसरे की बुराई करते रहेंगे। ग्राम प्रधान की बुराई करने से पहले आप खुद इस बात को देखिए कि कैसे अपने निजी स्वार्थ के लिए गांव के लोग ही विकास के काम में रुकावट डालते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम और आप निजी हित से ऊपर उठकर गांव के विकास के बारे में सोचें, जिससे गांव में किसी भी काम में कोई रुकावट ना आए और अधिकारियों को काम पूरा न होने का ठीकरा आपके ऊपर फोड़ने का मौका ना मिले ।
अधिकारियों और ग्राम प्रधानों की बाते सुनने के बाद बारी आई धर्मापुर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी रामचरन यादव की। जिन्होंने सबसे पहले तो प्रधान संघ के अध्यक्ष लाल चंद की उस शिकायत पर अपनी बात रखी जिसमें उन्होंने निर्माण कार्य के लिए लागत से कम पैसा मिलने की थी। राम चरन जी ने कहा कि सरकार टायलेट या फिर आवास या जिस भी योजना के लिए आपको पैसा देती है वो एक न्यूनतम सहायता राशि होती है, जिसमें ग्राम प्रधान या फिर गांव के लोग खुद आपसी मदद से थोड़ा और पैसा लगाकर काम को बेहतर कर सकते हैं, लेकिन ये सब तभी मुमकिन है जब आप सभी शिकायत की बजाय खुद विकास की योजनाएं बनाना शुरू करेंगे। यही नहीं खंड विकास अधिकारी ने ग्राम प्रधानों को भरोसा दिलाया कि अगर विकास के काम में अधिकारियों के स्तर पर कोई रुकावट डाली जाती है तो उसकी शिकायत करने में बिल्कुल ना हिचकें और उसके खिलाफ कार्रवाई भी होगी। राम चरन जी ने बदलाव की इस मुहिम की सराहना भी की और कहा कि हम तेजी के साथ आधुनिकता को अपना रहे हैं लेकिन आपसी संवाद को भूल रहे हैं, जो हमें खोखला बना रही है, हमारे पास अपने बच्चों के लिए वक्त नहीं है। हमारा समाज तभी बदलेगा जब हम समाज को वक्त देंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रिटायर्ड सेल्स टैक्स कमिश्नर शोभनाथ यादव ने गांवों में इस तरह के आयोजन की सराहना की और कहा कि इसी तरह के छोटे-छोटे प्रयास से ही समाज बदलेगा और लोगों की सोच बदलेगी। आप जब भी कोई अच्छा काम करने की सोचेंगे आपको विरोध का सामना करना पड़ेगा, लेकिन विरोध से डरे नहीं, उससे लड़ें और जिस दिन हम ऐसा करने लगेंगे बदलाव आपको दिखने लगेगा। इसके साथ ही उन्होंने कुछ पंक्तियां पढ़ी- मुमकिन है सफर हो आसां,/ कोई साथ तो चलकर देखे,/ कुछ तुम बदलकर देखो,/ कुछ हम बदलकर देखें/ आंच दें सवेदनाओं को पिघलने के लिए,/ बदचलन हो चली हवा का रुख बदलने के लिए/ हमने एक समां जलाई है बड़े विश्वास से,/ इन अंधेरों के इरादों को कुचलने के लिए ।
बदलाव की चौपाल के संचालक मंगला प्रसाद यादव ने गांव के लोगों से आपसी सौहार्द बनाने की अपील की और कहा कि बदलाव की इस मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। कार्यक्रम के समापन की घोषणा करते हुए प्रशासनिक अधिकारी मंगल देव ने आह्वान किया कि आइए हम सभी मिलकर गांव को विकास की एक नई दिशा और दशा दें। बदलाव की इस चौपाल में प्रधान सुजीत कुमार, राजदेव, खंड प्रेरक विमलेश, प्रधान ज्वाला प्रसाद ने हिस्सा लिया। चौपाल के सफल आयोजन में टीम बदलाव की जौनपुर यूनिट की अगुवाई कर रहे विजय प्रकाश और अरविंद यादव की बड़ी भूमिका रही।
विजय प्रकाश/ मूल रूप से जौनपुर जिले के मुफ्तीगंज के निवासी । बीए, बीएड की पढ़ाई के बाद इन दिनों सामाजिक कार्यों में जुटे हैं