आशीष सागर
यूपी में चुनाव से पहले खूब घोषणाएं हो रही हैं । कोई मोबाइल देने का वादा कर रहा है तो कोई कार बांटने का सपना दिखा रहा है, लेकिन भूखे-प्यासे बुंदेलखंड के किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं । हैरानी की बात ये है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जिस बुंदेलखंड की धरती पर कार देने का ऐलान किया वहीं के किसान कर्ज के बोझ तले मर रहे हैं और पूछने वाला कोई नहीं । एक तरफ सरकार की बेरुखी और दूसरी तरफ बैंकों का डंडा, किसान करे तो क्या करे । बांदा को ही ले लीजिए इन दिनों किसान कर्ज वसूली के नोटिस से परेशान हैं । किसानों ने जिस फसल के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगाकर कर्ज लिया वो सूखे और बारिश की भेंट चढ़ गई और किसान कर्ज की अदायगी नहीं कर पाये । किसानों की हालत को देखते हुए अखिलेश सरकार ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाईं साथ ही कर्ज वसूली पर भी रोक लगा दी । शासन की ओर से साफ निर्देश है कि किसानों को किसी तरह का नोटिस भेजकर परेशान न किया जाए । लिहाजा बैंक किसानों से अपना पैसा वसूलने के लिए अलग-अलग हथकंडे आजमाने लगे हैं । जिसने बुंदेलखंड में दैवी आपदा से जूझ रहे कर्जदार किसानों की नींद उड़ा रखी है।
बैंक कर्जदारों पर सीधी कार्रवाई की बजाय लोक अदालत की आड़ में किसानों से कर्ज वसूलने की जुगत में जुटे हैं । एक आंकड़े के मुताबिक जिले में बैंकों की ओर से 13,361 कर्जदार किसानों पर पूर्व विवाद /वसूली वाद का मामला सिविल कोर्ट में दाखिल कराया गया है । जिस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने कर्जदार किसानों को नोटिस जारी कर 12 नवंबर को लोक अदालत में तलब किया है ।अदालत की ओर से भेजे गए नोटिस में साफ-साप लिखा है कि – कर्जदार किसान 12 नवंबर को सुबह 10 बजे लोक अदालत के समक्ष उपस्थित होकर बैंक द्वारा आयोजित विशेष अभियान में रियायतों को प्राप्त कर भविष्य में होने वाली असुविधाओं और अप्रिय परिस्थितियों से बचें । साथ ही समझौते के समय पूरी या आंशिक राशि अवश्य लाएं ।बैंक का नोटिस मिलने के बाद से किसान परेशान हैं । आलम ये है कि पिछले कुछ दिनों में कई किसानों की मौत भी हो गई है । बबेरे तहसील के बेल्दान गांव में एक किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई । घरवालों ने बताया कि कर्ज वसूली का नोटिस मिलने के कुछ देर बाद अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनकी जान चली गई । जिन किसानों को नोटिस जारी किया गया है उनकी संख्या 13 हजार 361 बताई जा रही है जिनके ऊपर कुल बकाया 22 करोड़ 76 लाख 990 रुपये का कर्ज बाकी है । यानी प्रति किसान औसतन 17 हजार 600 रुपये का ही बकाया होगा । एलडीएम जेके ढींगरा के मुताबिक किसानों के बकाये से जुड़ा सबसे ज्यादा मामला इलाहाबाद और यूपी ग्रामीण बैंक के हैं । ढींगरा ने बताया है कि लोक अदालत में किसानों को कम से कम कर्ज की 25 फीसदी राशि जमा करानी ही पड़ेगी । यही नहीं एलडीएम ने लोक अदालत में निपटारा न होने पर कर्जदार किसानों पर बैंक डिग्री दाखिल कर अन्य वसूली भी कर सकता है ।
यहां ये जानना भी जरूरी है कि आखिर किसानों को हर साल इतना कर्ज कैसे मिलता है और किसान अदा क्यों नहीं कर पाता । दरअसल इसके पीछे कमीशनखोरी का बड़ा जाल फैला है । जो किसानों को मिलने वाले कर्ज का एक बड़ा हिस्सा बैंक अफसर से लेकर बैंक मित्र तक डकार जाते हैं । बची रकम को किसान फसल में लगाता है और फसल को मौसम की मार खा जाती है ऐसे में किसान के पास फूटी कौड़ी नहीं बचती ऐसे में वो बैंकों का कर्ज कैसे चुकता करे । हालांकि तमाम लोग ऐसे भी हैं जो गुमराह कर किसानों को कर्ज दिलाते हैं और कर्ज माफी की आस दिलाकर उनकी रकम हड़प लेते हैं । ऐसे में बैंकों का भी अपना अलग रोना है । बैंकों की दलील है कि वो दिवालिया होने से बचने के लिए अदालत का सहारा लेती हैं । हालांकि कि ये भी सच है कि बड़े बकायेदार या सक्षम किसान से बैंक न तो वसूली कर पाते हैं और न नोटिस तामील होती है । जिले में कई किसान तो ऐसे हैं जो जिला उद्योग संस्थान सहित एसबीआई,पीएनबी, यूपी ग्रामीण बैंक से मनमाना कर्जा लिए हैं और ब्याज नहीं चुकाया । उधर देश में विजय माल्या जैसी नजीर भी हैं जो भगोड़ा होकर चैन से बैठे है ।
ऐसे में कुछ जानकारों का कहना है कि एक केसीसी पर एक ही बैंक से कर्जा मिले और फसल न होने पर किसान को ब्याज मुक्त धनराशी जमा करने की सुविधा दी जाये । जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिलेगी । फिलहाल इन सुझावों पर विचार सरकार और बैंकों को ही करना है, लेकिन मौजूदा वक्त में जो हालात हैं अगर सरकार ने जल्द कोई उपाय नहीं निकाला तो न जाने कितने किसान बेमौत काल के गाल में समा जाएंगे ।
बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर ‘एकला चलो रे‘ के नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। आप आशीष से [email protected] इस पते पर संवाद कर सकते हैं।