पशुपति शर्मा
शुभाशीष दे। गीता ज्वैलर्स के प्रोपराइटर। गाजियाबाद के वसुंधरा में कमल ढाबे के सामने इनकी ज्वैलरी की छोटी सी दुकान है। पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले में ‘एकलखी’ गांव के रहने वाले शुभाशीष दे ने नब्बे के दशक में घर से भागकर दिल्ली का रूख किया था। यहां उन्होंने कई ज्वैलरी दुकानों में सालों बतौर कारीगर काम किया। इनके साथ बंगाल से आए कई कारीगर भी दिन-रात मेहनत किया करते और एक छोटे से कमरे में रहा करते थे। आलू सिद्ध और भात खाकर जीवन जीने वाले शुभाशीष ने लंबे वक़्त के संघर्ष और छोटी-छोटी बचत कर ज़िंदगी को आगे बढ़ाया। सालों बाद उन्होंने कुछ कारोबारियों से आर्थिक मदद लेकर अपनी दुकान खोली। कारीगरी का हुनर काम आया और ज़िंदगी ढर्रे पर आई।
शुभाशीष की दुकान पिछले 35 दिनों से नहीं खुली है। वो हर दिन अपनी दुकान के चक्कर लगाते हैं और शाम को मायूस अपने घर लौट आते हैं। कई बार कारोबारियों के धरना-प्रदर्शन में शरीक भी हुए लेकिन इन्हें जिस ख़बर का इंतज़ार है वो अभी तक नहीं आई है। वो बार-बार ये सवाल करते हैं कि आखिर मौजूदा सरकार सर्राफ़ा कारोबारियों पर एक्साइज ड्यूटी का डंडा क्यों चला रही है? उनके साथ ही गाजियाबाद के तमाम कारोबारी और कारीगर भी सरकार के इस रवैये से हैरान-परेशान हैं। कारोबारी संगठनों का कहना है कि जिस सरकार को अपना मददगार समझ कर सत्ता तक पहुंचाया, वही सरकार अब उनकी रोजी-रोटी की दुश्मन बन गई है।
कारोबारियों के मुताबिक एक्साइज ड्यूटी से इंस्पेक्टर राज की धमक फिर से कायम हो जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी बार-बार तमाम मंचों से इंस्पेक्टर राज ख़त्म करने की बात कर रहे हैं, तो फिर वो सर्राफ़ा कारोबार को इस मुसीबत में क्यों धकेल रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ के बाजीगर ने गोल्ड कारीगरों के ‘मेक इन इंडिया’ प्लान के सपने को ही ख़तरे में डाल दिया है।
सर्राफ़ा कारोबारियों की हड़ताल एक नज़र में
1. 35 दिनों से चल रही है सर्राफा कारोबारियों की हड़ताल।
बजट में एक्साइज ड्यूटी के ख़िलाफ़ चल रही है हड़ताल।
2. 2 मार्च के बाद सर्राफ़ा कारोबारियों ने नहीं खोली दुकानें।
3. सर्राफ़ा कारोबारियों की मांग-एक्साइज ड्यूटी हटाए सरकार।
4. एक्साइज ड्यूटी से इंस्पेक्टर राज आने का डर।
5. एक्साइज ड्यूटी से सोने में आम लोगों का निवेश कम होने का डर।
6. खदान से ग्राहक तक पहुंचने में 10 बार कारीगर की जरूरत होती है, हर बार एक फ़ीसदी एक्साइज ड्यूटी से गोल्ड ज्वैलरी के दाम काफी बढ़ जाएंगे।
7. कारोबारियों की मांग एक्साइज ड्यूटी की बजाय वर्तमान टैक्स में ही बढ़ोतरी के विकल्प पर हो बात।
8. सरकार की दलील- सर्राफ़ा बाज़ार के काले धन पर लगेगी लगाम।
9. गोल्ड बॉन्ड योजना की नाकामी की भरपाई के लिए एक्साइज ड्यूटी का दांव।
10. स्टार्ट अप के दौर में छोटे सर्राफ़ा कारोबारियों को इससे नुकसान का डर।
शुभाशीष दे, का अपना अनुमान है कि करीब 30 लाख कारीगर अकेले बंगाल से इस सेक्टर में काम कर रहे हैं। 5 से 10 हज़ार रूपये प्रति माह की दर से कमाने वाले इन गोल्ड लेबर्स पर भी फिलहाल रोजी-रोटी का संकट बना हुआ है। हड़ताल के लंबा खींचने से कारोबारियों को तो ज़्यादा असर नहीं पड़ रहा लेकिन कारीगरों के घरों का चूल्हा जलना मुश्किल हो रहा है।
वहीं, पिछले दिनों गाजियाबाद में रहने वाले एक साथी को भी मैंने अपनी बहन की सगाई के लिए परेशान होते देखा। वो एक अदद अंगुठी खरीदने के लिए पूरे दिन भटकता रहा, लेकिन कोई दुकान खुली नहीं दिखी। बड़े शहरों में इन दिनों ज्वैलर्स एसोसिएशन का संगठन इतना मजबूत है कि कोई कारोबारी दुकान खोलने का रिस्क नहीं उठा सकता। दुकान खोलने पर एसोसिएशन की तरफ से चालान का डर रहता है। ऐसे में बेहद करीबी लोगों के लिए भी कारोबारी कोई फेवर नहीं कर पा रहे हैं। शादी ब्याह और अन्य ज़रूरत के वक़्त इस हड़ताल से ग्राहक भी परेशान हैं।
जानकारों की माने तो ग्राहकों के लिए भी एक्साइज ड्यूटी मुसीबत बन सकती है। खास कर तब, जब वो पुरानी गोल्ड ज्वैलरी में कोई बदलाव कराने दुकानदार के पास पहुंचते हैं। उन्हें ऐसे गोल्ड की रसीद दिखानी होगी, या फिर उन्हें एक्साइज ड्यूटी चुकानी होगी। ये उन पर एक अतिरिक्त भार रहेगा। ऐसे में कई बार वो मन मार कर पुराने डिजाइन की ज्वैलरी से ही काम चलाने को बाध्य हो जाएंगे। वहीं, ग्राहकों का कहना है कि हॉलमार्क ज्वैलरी वक़्त की जरूरत है और कारोबारियों को ये शर्त हटाने की मांग छोड़ देनी चाहिए। ज्वैलर्स का कहना है कि हॉलमार्क से उनके लिए भाग-दौड़ बढ़ जाती है। छोटे दुकानदारों की शिकायत ये भी है कि ग्राहक हॉलमार्क ज्वैलरी तो चाहते हैं लेकिन इसका अतिरिक्त शुल्क वो देना पसंद नहीं करते।
बहरहाल, सर्राफ़ा कारोबारियों की इस लंबी खिंचती हड़ताल से ग्राहक और कारोबारी दोनों ही परेशान हैं। सरकार के सुस्त रवैये की वजह से विरोधी दलों को सियासत का मौका मिल गया है। प्रदर्शनों में- ‘हमारी एक ही भूल, कमल का फूल’ और ‘मोदी का बेड़ा गर्क करेंगे- जेटली, जेटली’ जैसे नारे गूंजने लगे हैं। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बीएसपी और जेडीयू जैसे बड़े सियासी दल सरकार की मुखालफ़त में मोर्चाबंदी कर रहे हैं। सरकार की मुसीबत ये है कि अब उनके सहयोगी दलों ने भी सख़्त रूख अख्तियार कर लिया है। शिवसेना ने कहा है कि पठानकोट पर पाकिस्तान से बात करने वाले पीएम मोदी सर्राफ़ा कारोबारियों की मांग क्यों नहीं सुन रहे?
तीन देशों की यात्रा से लौटे प्रधानमंत्री मोदी ने सर्राफ़ा कारोबारियों को मुलाक़ात का वक्त तो दे दिया है, लेकिन एक्साइज ड्यूटी हटाने की कारोबारियों की मांग पर उनके रूख से ही तय होगा कि हड़ताल ख़त्म होगी या फिर अभी जारी रहेगी।
पशुपति शर्मा बिहार के पूर्णिया जिले के निवासी हैं। नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से संचार की पढ़ाई। जेएनयू दिल्ली से हिंदी में एमए और एमफिल। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। उनसे 8826972867 पर संपर्क किया जा सकता है।
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