बासु मित्र
पुलिस की लापरवाही का खामियाजा बच्चों को भुगतना पर रहा है। जहाँ एक तरफ बिहार सरकार के द्वारा बाल संरक्षण और बाल सुधर को लेकर तमाम दावे करती हो लेकिन बाल संरक्षण को लेकर सरकार और प्रशासन का रवैया बहुत ही असंवेदनशील है। जहाँ देश के अलग- अलग राज्यों के बाल सुधार गृहों में बिहार के 3543 बच्चे अपने घर वापसी का इंतजार कर रहे है वहीँ पुलिस विभाग बच्चों को घर वापसी के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा है । समय सीमा बीत जाने के बाद भी बिहार के बच्चों की वापसी के लिए विभाग के द्वारा अभी तक कोई टीम नहीं बनाया गया है।
3543 बच्चे हैं दुसरे राज्य के बल सुधार गृह में कैद
ऑपरेशन स्माइल -2 के तहत होना था घर वापसी
गृह मंत्रालय के आदेश का भी नहीं रहा ध्यान
गृह मंत्रालय ने जारी किया था निर्देश
गृह मंत्रालय के द्वारा पुरे देश से अलग-अलग कारणों से बाल सुधार गृह में बंद बच्चों के लिए 1 जनवरी से 31 जनवरी तक ऑपरेशन स्माइल-2 के द्वारा उनके घर वापसी के लिए दिसंबर माह में ही बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर ऑपरेशन कार्यवाही कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था। लेकिन समय सीमा बीत जाने के बाद भी बिहार सरकार की तरफ से बच्चों को वापस लेन के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। अभियान के तहत अलग-अलग राज्यों के बाल सुधार गृह में बंद इन बच्चों को घर वापस ला कर उनके परिजनों से मिलान था।
राजस्थान में हैं सबसे ज्यादा बच्चे
वैसे तो पुरे देश में बिहार के 3543 बच्चे अलग-अलग बाल सुधार गृह में बंद है, लेकिन बिहार के सबसे ज्यादा बच्चे राजस्थान के बाल सुधर गृह में बंद है। महिला बाल विकास मंत्रालय के आकड़ों के मुताबिक राजस्थान में बिहार के 1334 बच्चे अलग-अलग बाल सुधार गृह में बंद है।
क्या हैं ऑपरेशन स्माइल-2 ?
जनवरी 2015 में गृह मंत्रालय के द्वारा देश के अलग-अलग राज्यों में गुमशुदा बच्चों को खोजने और उनके पुनर्वास के लिए एक महीने का अभियान चलाया गया था जिसे ऑपरेशन स्माइल नाम दिया गया था, उसी साल जुलाई माह में वैसा ही अभियान चलाया जिसे ओपरेशन मुस्कान नाम दिया गया था। दोनों अभियान में सरकार को काफी कामयाबी मिली थी। जहाँ ऑपरेशन स्माइल में पुरे देश से 9146 बच्चों को और ओपरेशन मुस्कान के तहत 19742 बच्चों का पुनर्वास किया गया था। ऑपरेशन स्माइल को ही इस साल ओपरेशन स्माइल-2 के रूप में चलाया जाना था।
क्या–क्या होना था ऑपरेशन स्माइल में ?
ऑपरेशन स्माइल-2 के तहत न सिर्फ गुमशुदा बच्चों की सूची तैयार की जानी थी, बल्कि इस अभियान के तहत छुड़ाए गए बच्चों को राज्य के सरकारी और गैर-सरकारी बाल सुधार गृह, संरक्षण गृह में रखा जाना था। इसके साथ ही बच्चों का डाटा तैयार कर महिला बाल विकास के गुमशुदा बच्चों के पोर्टल में अपलोड करना था। इसके साथ ही अन्य राज्यों में बाल सुधार एवं संरक्षण गृह में बंद बच्चों को वापस लाना था।