-सत्येंद्र कुमार की रिपोर्ट
देश में हर साल एक करोड़ से ज्यादा नौजवान रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन करते हैं। गरीब, वंचित वर्ग के साथ मिडिल क्लास के नौजवान भी करियर बनाने के लिए घर छोड़ देते हैं। गांव से निकलकर शहर तो चले आते हैं लेकिन किसी काम में विशेषज्ञता नहीं होने की वजह से दर-दर की ठोकरें खाते फिरते हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए ही भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन शुरू किया है। अब पढ़ाई के साथ कमाई की व्यवस्था होगी।
गांव के नौजवान गढ़ेंगे देश का भविष्य!
देश में नौकरी मांगने वाले सबसे ज़्यादा हैं, देने वालों की संख्या कम। अगर सभी नौकरी मांगेंगे, तो नौकरी देगा कौन? प्रशासनिक सेवाओं, पुलिस, आर्मी, मीडिया, इंटरटेंमेंट और संचार में इतनी जगह नहीं है कि सभी को नौकरी दी जा सके। रोजगार की व्यवस्था के लिए स्किल और स्वरोजगार को बढ़ावा देना होगा। सरकार ने इसी लक्ष्य को साधने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय स्थापित किया है। इस स्किल इंडिया अभियान में 20 से अधिक केन्द्रीय मंत्रालय 70 से अधिक योजनाएं बनाकर काम कर रहे हैं।
कौशल विकास योजना के पहले दौर में 101 शहरों को चुना गया है। कई राज्यों में शुरू भी हो चुकी है। भारत के भविष्य की एक नई तस्वीर खींचने के लिए सरकार ने 2022 तक 15 करोड़ नौजवानों को काम का हुनर या स्किल सिखाने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत हर साल देश के 24 लाख नौजवानों को विभिन्न उद्योगों से संबंधित स्किल ट्रेनिंग दी जाएगी। स्किल ट्रेनिंग में सफल होने वाले युवाओं को सरकार 8000 रुपए आर्थिक इनाम भी देगी। ट्रेनिंग खत्म होने पर इन युवाओं को सरकार की ओर से एक प्रमाणपत्र दिया जाएगा, जो उन्हें रोजगार पाने और अपना भविष्य संवारने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मिशन की शुरुआत करते वक्त कहा- “प्रश्न सिर्फ युवाओं को किसी कार्य की दक्षता देने का नहीं है, बल्कि उन्हें ऐसा रोजगार दिलाने का है, जो वास्तव में आय का सृजन करता हो।“ इसी को ध्यान में रखकर अब ब्लॉक या जिला स्तर पर आईटी, आईटीईएस, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव, कपड़ा और हथकरघा, कृषि, खुदरा, खनन, चमड़ा, जीव विज्ञान टेलीकॉम, निर्माण, पर्यटन, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं, मीडिया, मनोरंजन, रत्न और आभूषण निर्माण, रबड़, लॉजिस्टिक, सुरक्षा, स्वास्थ्य, हस्तशिल्प और कालीन की कला सिखाई जाएगी और ट्रेनिंग दी जाएगी। युवा अपनी इच्छा के मुताबिक अपना करियर चुन सकते हैं। उम्मीद है कि मेक इन इंडिया अभियान के तहत भारत में नए उद्योग-धंधे लगेंगे। वहीं स्किल इंडिया अभियान भारत के युवाओं को या इनकी मदद से शुरू होने वाले अन्य उद्योगों में रोजगार दिलाने में सफल रहेगा।
कुशल बनेंगे ‘कुलदीप‘
1. युवा अपने आसपास PMKVY द्वारा मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र खोजें। पता करें, आपके मुताबिक कोर्स उपलब्ध है या नहीं।
2. PMKVY के प्रक्षिक्षण केंद्र के बारे में जानकारी के लिए आप आप टोल फ्री नंबर 088000-55555 पर बात कर सकते हैं।
3. प्रधानमंत्री कौशल विकास की वेबसाइट [email protected] विजिट करें।
4. आप [email protected] पर ईमेल के जरिए जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
5. युवाओं को जुटाने और नामांकन के लिए जिलेवार कौशल मेले भी आयोजित किए जा रहे हैं।
6. दाखिले के समय बैंक खाते और आधार कार्ड होना जरूरी है। इसलिए समय रहते बनवा लें। अगर फीस की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो ऐसी स्थिति में ऋण की भी व्यवस्था की गई है।
7. आप PMKVY के मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण केंद्रों पर जो प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे वह राष्ट्रीय आजीविका मानकों (NOS) और क्वालिफिकेशन पैक्स (QPs) के अनुरूप होगा। इसे सेक्टर स्किल काउंसिल (SSCs) तैयार करती है।
8. कोर्स पूरा होने पर आपका मूल्यांकन किया जाएगा। SSC की मान्यता प्राप्त मूल्यांकन एजेंसी आपका मूल्यांकन करेगी। पास होने पर आपको स्किल कार्ड दिया जाएगा।
9. मूल्यांकन में पास होने पर आठ हजार रुपए पुरस्कार मिलेगा। पुरस्कार सीधे खाते में जमा होगा।
कंपनियों को चाहिए काबिल लोग
गांव में नौजवान सही दिशा, ट्रेनिंग और जानकारी नहीं मिलने से भटकते रहते हैं। दसवीं, बारहवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद क्या करना है किसी को ठीक से जानकारी नहीं रहती। नतीजा उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो जाती है, घरवाले भी परेशान हो जाते हैं। वहीं कंपनियों को भी काबिल लोग नहीं मिल पाते हैं। अब नौजवान अपनी इच्छा अनुसार अपना भविष्य बना सकते हैं और कंपनियों के डिमांड भी पूरा कर सकते हैं।
मैनपावर ग्रुप के दसवें सालाना टैलेंट शॉर्टेज सर्वे में खुलासा हुआ है कि भारत में सिर्फ 2.3 फ़ीसदी लोग ही कंपनियों में काम करने के काबिल हैं, जिन्हें अपने काम की दक्षता किसी शैक्षणिक कार्यक्रम से औपचारिक तौर पर मिली हो। बाकी सब किसी तरह काम कर रहे हैं। जबकि जापान में 83, पेरू में 68, हांगकांग में 65 और ब्राजील में 61 फ़ीसदी लोग अपने काम काम में दक्ष हैं। एकाउंटिंग, फाइनेंस और आईटी के अलावा सेक्रेटरी, रिसेप्सनिस्ट, प्रशासनिक सहायक और ऑफिस सपोर्ट के लिए भी कंपनियों को काबिल लोग नहीं मिल रहे हैं। स्किल इंडिया मिशन के तहत इन्हीं जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
योजना आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 2004-05 से 2009-10 तक, पांच वर्षों में भारत में रोजगार के मात्र 27 लाख नए अवसर पैदा हुए हैं, जबकि आवश्यकता लगभग 6 करोड़ अवसरों की थी। इतना ही नहीं, 2009-10 में 1 करोड़ 57 लाख लोग कृषि क्षेत्र से बेरोजगार हुए, और लगभग 72 लाख लोग विनिर्माण क्षेत्र से। इसका सीधा सा अर्थ यह है कि हमें रोजगार के नए अवसरों का सृजन कर सकने की अपनी क्षमता तेजी से बढ़ानी होगी। तभी देश आगे बढ़ेगा और गरीब, वंचित लोगों के घर में खुशियां आएंगी।
सत्येंद्र कुमार यादव फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं और गांव अब भी उनके दिल में धड़कता है। उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।
आपके लेख से देश के नौजवानो को रोजगार से संबंंधित जानकारी मिली है, ऐसे ही आप युवाओं का मार्गदर्शन करते रहें
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