बासु मित्र
लोक सभा और बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के चुनावी प्रबन्धन कौशल को मिली सफलता के बाद बिहार पंचायत चुनाव में अब कई रणनीतिकार ऐसे मौकों को भुनाने के लिए बाजार में उतर चुके हैं। कुछ रणनीतिकारों ने तो राजधानी पटना में बाकायदा पोस्टर लगा कर जोर-शोर से उम्मीदवारों को लुभाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। ऐसे ही एक रणनीतिकार सुरेश जी हैं। इनका पोस्टर भाजपा कार्यालय के पास लगा है। ये अपने आप को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह का करीबी बताते हैं और उनके सरकारी आवास से ही अपना तथाकथित ‘दफ्तर’ चला रहे हैं। बदलाव डॉट कॉम के लिए बासु मित्र ने उम्मीदवार बन कर उनसे उनके चुनावी प्रबंधन के खेल को जानने कोशिश की। यह अनुभव बहुत रोचक रहा।
पटना में हज हाउस के पास पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के सरकारी आवास पर जब मैं पहुंचा तो वे मेरा इंतज़ार ही कर रहे थे। ढलती उम्र में भी उन्होंने अपने गेटअप को युवाओं जैसा बनाने की कोशिश कर रखी थी। सिर पर हैट लगाए वे मुझे अपने दफ्तर में ले गये, जो एक पतला सा गलियारा था। दफ्तर को उन्होंने ठीक से सजा कर रखा था। बैठते ही उन्होंने मुझे अपनी फाइल दिखायी कि वे किस-किस तरह की सेवा देते हैं और उनकी फीस क्या है। फाइल में उनका बायोडाटा भी था। वे बार-बार कहते थे कि अभी से लेकर मतगणना तक वे साये की तरह उम्मीदवार के साथ रहेंगे और जब चाहे फोन पर उनसे सलाह ली जा सकती है।
खुद को सफल चुनावी रणनीतिकार बताने वाले सुरेशजी कहते हैं कि प्रशांत किशोर तो आज के हैं, उनके पास चुनावी प्रबंधन का पुराना अनुभव है। वह विगत 41 साल से चुनावी प्रबंधन का काम कर रहे हैं। उनके सहयोग और टिप्स से कई उम्मीदवार पंचायत से लेकर विधानसभा तक कई स्तर के चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने दावा किया कि कई कम्युनिस्ट नेताओं के लिए भी चुनाव प्रबंधन किया है। चुनावी रणनीति के जरिए आगामी पंचायत चुनाव में हर सीट पर पक्की जीत की गारंटी का दावा भी कर रहे हैं। चाहे वह पद जिला पार्षद का हो, या मुखिया का। अगर आपको सरपंच बनना है या पंचायत समिति सदस्य तो आप के लिए पूरी तैयारी है। रणनीतिकार कहते हैं कि अगर आप उनके टिप्स पर चलेंगे तो जीत अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभी संपन्न हुए झारखंड के पंचायत चुनाव में उनके दर आए 90 फीसदी उम्मीदवारों को जीत नसीब हुई है। हालांकि जब उनसे मैंने पूछा कि ऐसे किसी उम्मीदवार से फोन पर बात करा दें तो वे तैयार नहीं हुए।
चुनावी रणनीतिकार हरेक पद के लिए अलग–अलग फीस वसूल रहे हैं। यह फीस 8 हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक है। इस फीस में रणनीतिकार उम्मीदवार को अलग-अलग चरण में चुनावी टिप्स देते हैं। फीस को अलग–अलग क़िस्त में जमा करने की सुविधा भी दी जा रही है, जिसमे पहली क़िस्त में कुल फीस का 70 प्रतिशत और बाकी 30 प्रतिशत दूसरे क़िस्त में। लोकसभा और विधान सभा के उम्मीदवारों की तरह पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के प्रोफाइल से लेकर उनके चुनावी क्षेत्र तक का डिटेल तैयार किया जा रहा है। उम्मीदवारों के भाषण से लेकर प्रचार की रणनीति, वोट मैनेजमेंट, बूथ मैनेजमेंट से लेकर मतगणना तक के टिप्स दिए जा रहे हैं। चुनावी रणनीतिकार सुरेश जी बताते हैं कि मतगणना चुनाव और चुनाव के बाद का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, अगर यहाँ उम्मीदवार जरा सा ढीला पड़ा तो वह जीत कर भी हार सकता है।