नये साल की ‘नव प्रभा’

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निशांत जैन 

नवल विभा हो, नवल प्रभा हो

नवल-नवल कांति आभा हो ।

नव प्रभात हो, नव विहान हो

नव विलास नव ही उत्थान हो ।

नवल गति हो, नवल ज्ञान हो

नवल गीत हो, नवल तान हो ।

उत्साह नवल, उल्लास नवल हो

ललक नवल हो, आस नवल हो ।

नव हो अरुण, रश्मि भी नव हो

नव हो चंद्र, उर्मि भी नव हो ।

नव पर नव हर गति, हर लय हो

नव पर नव ही गीत सुरमय हो ।

नवल शक्ति हो, नवल बुद्धि हो

नवल ऋद्धि हो, नवल सिद्धि हो ।

नवल प्रेम हो, प्राण नवल हो

नवल गीत हो, गान नवल हो ।

सकारात्मक सोच नवल हो,

विचारों का उदघोष नवल हो ।

पुरुषार्थ नवल, उत्कर्ष नवल हो

यत्न नवल, संघर्ष नवल हो ।।


IAS अफ़सर की ट्रेनिंग ले रहे हैं और मन कवि बना हुआ है ।

निशांत जैन । पिछले साल यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी मीडियम के छात्रों में पहले पायदान पर रहे, जबकि ऑल इंडिया लेवल पर 13वीं पॉजिशन हासिल की । इन दिनों नये नवेले IAS अफ़सरों के साथ देश में बदलाव के गुर सीख रहे हैं। ज़ज्बा देश बदलने का और मन कवि बना हुआ है ।


निशांत जैन का पूरा इंटरव्यू पढ़ने के लिए क्लिक करें

4 thoughts on “नये साल की ‘नव प्रभा’

  1. एक रूहानी ख्वाहिश में तर-बतर है आपके वज़ूद की नूरानी प्यास ..!! ये प्यास कायनात के वर्क़ पर चाँद-तारों से हर्फ़ हैं, ये रोशन दिल का सहन है, ये धरती के पहलू में किलकारी भरते दरिया, समंदर,पहाड़ और जंगल हैं, ये इंसानी नस्लों का शाश्वत स्वप्न है।

  2. अति सुंदर पंक्तियाँ सर।।

  3. आपको भी नववर्ष की अनेक अनेक शुभकामनाये ।।
    अति सुन्दर कविता।

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