भव्य श्रीवास्तव
एक लौ जल गई। अमेरिका के साल्टलेक सिटी में पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंस की शुरुआत इसी तरह हुई। कन्वेंशन सेंटर के बाहर सुबह 730 बजे अग्नि जलाकर इस धर्म संसद का आगाज किया गया। विश्व धर्म संसद में पहला दिन महिलाओं के नाम समर्पित रहा। ये एक नई पहल है। पांच दिन चलने वाले इस महाआयोजन में महिलाओं की भागीदारी जमकर हो रही है। पूरी दुनिया से आई हजारों महिलाओं ने अपनी सोच और धर्म से जुड़ी उनकी जिंदगी और उसके व्यापक प्रभाव पर चर्चा की। महिलाओं के लिए पवित्र स्थान बने हैं, जहां वे मेडिटेशन कर सकती हैं, अपने विचार शेयर कर सकती हैं। संसद में बौद्ध धर्म के मंडला को भी महिला प्रतिनिधियों ने ही जगह दी। पहले दिन के पहले सत्र में महिलाओं के आत्मसम्मान और उनके अधिकारों की रक्षा में धर्म की भूमिका पर चर्चा हई। भारत से डॉ वंदना शिवा ने मुखरता से कहा कि अनैतिक कानूनों के खिलाफ खड़ा होना एक जिम्मेदारी है। परमार्थ आश्रम से जुड़ी साध्वी भगवती ने भी महिलाओं के धार्मिक अधिकारों का उद्घोष किया।
विश्व धर्म संसद की छटा महिला अधिकारों की वकालत के साथ ही कई और वजहों से बढ़ी है। कन्वेंशन सेंटर के बीच में बने बड़ा हॉल में पेंटिंग्स के जरिए धर्म की एक नई समझ पेश की जा रही है। कई देशों के कलाकार कोलाज से लेकर माइक्रोफाइंनेंसिग जैसी वजहों से वहां मौजूद है। केवल एक नजर में ही किसी को भी यहां मौजूद विविधता का पता लग सकता है। हर धर्म की पेटिंग्स से नए संदेश देने की कोशिश है। विश्व धर्म संसद में भारतीयों ने अपनी गंभीर मौजूदगी दर्ज कराई है। ऋषिकेश के परमार्थ आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने इस सम्मेलन में अपने सफाई के अभियान को दुनिया के सामने रखा है। वहीं आचार्य डॉ लोकेश मुनि को इस बात की बड़ी खुशी है कि विश्व धर्म संसद में जैन संप्रदाय को प्रमुखता से जगह दी गई है। इसका उद्घाटन करने के बाद वे भावविभोर होकर बोले, “भगवान महावीर के अहिंसा दर्शन की अत्यधिक आवश्यकता है। विश्व धर्म संसद के स्थल पर जैन मंदिर को प्रमुख स्थान दिया गया है, इससे दुनिया भर के लोगों के बीच में अहिंसा और अनेकांत के दर्शन का संदेश जाएगा, जिसकी बहुत जरूरत है। भारत की मस्जिदों के इमामों के अध्यक्ष, मौलाना उमेर इलियासी के लिए ये संसद एक बड़े उद्देश्य का सबब बन गई है। वे हर किसी से मिलकर इस्लाम की भारतीयता समझा रहे हैं।
दलाई लामा स्वास्थ्य कारणों से यहां नहीं आ पाए हैं, पर बौद्ध धर्म का रंग यहां हर ओर दिखता है। सिख धर्म की सीख को यहां फैलाने में लगे ग्यानी सतपाल सिंह तो मानो रम से गए हैं। वे मानते हैं कि— ये संगम है जहाँ पर हर धर्म मिल रहा है और एक दूसरे की अच्छाइयों को समझ रहा है। विश्व धर्म संसद के इस आयोजन में हर धर्म की छवि दिखती है। अलग अलग धर्मों से आए लोग एक दूसरे को समझने में लगे हैं। संस्थाए अपना काम बता रही हैं, और दुनिया के हर कोने में उसे पहुंचाने में लगी है। दूसरी ओर धर्मगुरू एक दूसरे से मिलकर एक अलग ही माहौल पेश कर रहे है। सर्वधर्म के इस महाकुंभ में सब डुबकी लगा रहे हैं। जिसे जो चाहिए वो यहां सहजता ओर सरलता से हासिल कर रहा है।
यहां धर्म के जरिए मोहब्बत और इंसानियत का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस धर्मसंसद में नफरत के पैरोकारों के लिए कोई जगह नहीं है। दिन भर कई तरह के कार्यक्रम होते रहते हैं। कहीं लोग भक्ति के गीत गुनगुनाते हैं। कहीं आस्था के साथ इंसानियत के समागम के रंग बिखरे हैं। सबसे ज़्यादा खुशनुमा माहौल लंगर हॉल में नज़र आता है। जब तमाम धर्मों के लोग एक साथ बैठकर ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए दो निवाले अपने गले के नीचे उतारते हैं।
भव्य श्रीवास्तव। फक्कराना मिजाज के साथ इंसानियत का पाठ पढ़ते हैं और उसे दूसरों तक पहुंचाने की सतत कोशिश करते हैं। सत्य, अहिंसा और प्रेम को सभी धर्मों का मूल मानने वाले भव्य इन दिनों साल्टलेक में धर्म संसद का हिस्सा बने हुए हैं।