थर्ड जेंडर ने छेड़ी बराबरी के अधिकार की जंग

शिरीष खरे

third gender-1छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाली प्रिया (बदला नाम) एक ट्रांस जेंडर हैं। उसके अपने सपने थे, वो बाकी बच्चों की तरह स्कूल जाना चाहती थीं, लेकिन पढ़ाई बीच में ही रोकनी पड़ी। महज इसलिए कि उन्हें बाकी बच्चों जैसा सामान्य नहीं माना गया। कहा गया नाच-गाना ही उसका काम है। मगर छत्तीसगढ़ में थर्ड जेंडर ने अब समाज में बराबरी का दर्जा हासिल करने के लिए आवाज उठाई है। इन्होंने राज्य सरकार से शिक्षा और नौकरी में आरक्षण मांगा है।

third gender-2तृतीय लिंग कल्याण मंडल की सदस्य विद्या राजपूत ने पिछड़ा वर्ग के तहत इस तबके के लिए 2 फ़ीसदी आरक्षण लागू करने की मांग की है। इसके लिए थर्ड जेंडर के सदस्यों ने मुहिम चलाने का निर्णय लिया है। वे मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात करके अर्जी देंगे तथा हर महकमे के आला अधिकारियों के कार्यालयों का दरवाजा खटखटाएंग। फिर भी बात नहीं सुनी गई तो विधायकों और सांसदों को मुहिम में शामिल होने के लिए न्यौता देंगे। इस तबके के सदस्यों ने स्पष्ट किया है कि उनकी मुहिम बाकी आंदोलनों की तरह आक्रामक नहीं होगी। वे बताएंगे कि उनके तबके में कई लोग भिक्षावृत्ति, वेश्यावृत्ति और नाच-गाने की दुनिया से बाहर आना चाहते हैं।

third gender-3मुहिम के तहत थर्ड जेंडर ने प्रदेश के नीति निर्धारकों के साथ संवाद के रास्ते पर चलने की योजना बनाई है। इसके लिए सबसे पहले गृह विभाग के अफसरों के साथ जल्द ही कार्यशाला आयोजित करके पुलिस के छोटे पदों पर भर्ती की गुहार लगाई जाएगी। इस तबके से जुड़ी रबीना का कहना है, आरक्षण से ही उनकी जिंदगी में स्थाई बदलाव आएगा। यदि आरक्षण के लिए 2-5 साल की समय सीमा निर्धारित करके भी छोटी-छोटी नौकरियां दी गईं तो हमारे समुदाय की नई पीढ़ी पढ़ाई के लिए आगे आएगी और उन्हें यहां मुख्यधारा में लाने के अनुकूल माहौल बनेगा।

third gender-5गौरतलब है कि 15 अप्रैल2014 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों को शैक्षिणक संस्थाओं और नौकरी में थर्ड जेंडर को वरीयता देने के लिए निर्देश दिए थे। साथ ही छह महीने में सिफारिशें लागू करने को कहा था, लेकिन सरकारों ने इस संबंध में अब तक कोई खास काम नहीं किया है। हालांकि थर्ड जेंडर के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में शहरी क्षेत्रों में दुकानों और आवासों के लिए 2-2 प्रतिशत कोटा निर्धारित किया है। वहीं, इस तबके के लोगों को उनकी मर्जी से लिंग प्रत्यारोपण कराने के लिए रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में सर्जरी केंद्र स्थापित किया जा रहा है। 90 फीसदी थर्ड जेंडर (तृतीय लिंग) महिला बनना चाहते हैं, यह बात 1 अक्टूबर को रायपुर में दो दिनों तक चली ‘सेक्स री-एसाइनमेंट सर्जरी’ (एसआरएस) कार्यशाला में सामने आई है। इन्हें इनकी इच्छा के अनुसार सेक्स चेंज करने के लिए सरकार सर्जरी की सुविधा मुहैया करवाने जा रही है। स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत संचालित राज्य एड्स नियंत्रण समिति ने इसका जिम्मा संभाला है। स्वास्थ्य विभाग 90 दिन के अंदर इसका पूरा फुलप्रूफ प्लान बनाकर शासन को भेजेगा। इसे मंजूरी मिलते ही एसआरएस शुरू हो जाएगी। गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग के ताजा सर्वे के मुताबिक प्रदेश में 2900 से ज्यादा थर्ड जेंडर हैं।

mayor-madhu-kinner-yatraसुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय को तीसरे लिंग का दर्जा दिए जाने के बाद से ही छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उनकी पहचान के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें एक है प्रदेश के थर्ड जेंडरों का सरकारी खर्चे पर ऑपरेशन कर उन्हें पुरुष या स्त्री बनाना। साथ ही प्रदेश में एड्स अवेयरनेस के लिए स्वास्थ्य विभाग ने किन्नर अमृता सोनी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। छत्तीसगढ़ में जनवरी 2016 को आए नगरीय निकाय चुनाव में थर्ड जेंडर ने महापौर के पद पर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया। रायगढ़ सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी और थर्ड जेंडर मधु ने महापौर पद पर जीत हासिल की है। यहां के 10 नगर निगमों में से चार पर कांग्रेस, चार पर भाजपा और 2 पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है। मधु की जीत से प्रदेश के थर्ड जेंडर समुदाय में खासी खुशी देखने को मिल रही है।

थर्ड जेंडर के  उत्थान के लिए राज्य शासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन विभागों द्वारा नहीं किया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर सचिव केआर मिश्रा ने सभी विभाग प्रमुखों को एक बार फिर इन निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने थर्ड जेंडर के उत्थान को लेकर राज्य सरकारों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद सार्वजनिक उपक्रम के सरकारी दस्तावेजों में तृतीय लिंग का विकल्प नहीं दिया जा रहा है। विभागों से कहा गया था कि इसके अलावा इस वर्ग के व्यक्तियों को जारी परिचय पत्र सभी कार्यालयों में मान्य हों।


shirish khareशिरीष खरे। स्वभाव में सामाजिक बदलाव की चेतना लिए शिरीष लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दैनिक भास्कर और तहलका जैसे बैनरों के तले कई शानदार रिपोर्ट के लिए आपको सम्मानित भी किया जा चुका है। संप्रति राजस्थान पत्रिका के लिए रायपुर से रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।


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