जेएनयू में ‘देशद्रोह’ पर हंगामा बरपा है। हंगामा ऐसा कि दो गुट बंट गए हैं। अब वैचारिक स्तर पर बातचीत की बजाय गाली-गलौच और लाठी के बल पर बात मनवाने की कोशिश की जा रही है। जिसकी लाठी, उसकी भैंस वाले अंदाज में। फेसबुक पर संवाद की बजाय लोग एक दूसरे पर निजी हमले कर रहे हैं। शर्मनाक है। ऐसे में संवाद की एक कोशिश BADALAV.COM पर शुरू कर रहे हैं। हम दोनों तरफ के विचारों को सीधे आपके सामने समक्ष रखेंगे, इस मंशा के साथ कि स्वस्थ संवाद होगा।
बंद कर दो JNU को भी
विश्वदीपक
हां, बंद कर दो JNU को भी। फिर अपने बच्चों को सच्चा आश्रम या महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान, अर्थशास्त्र, अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, समाजशास्त्र की पढ़ाई कराना। विदेशी भाषाओं की पढ़ाई के लिए चले जाना रामदेव के पतंंजलि पीठ में। साहित्य और विज्ञान के लिए RSS की संस्कृत शाला चले जाना। बस, इतने से ही ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना धांय-धांय करके पूरा हो पूरा हो जाएगा। ‘मेक इन इंडिया’ का हिरण कुलांचे मारकर सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा। तब विश्व गुरु बनने से भारत को कोई नहीं रोक पाएगा- न पाकिस्तान, न अफजल गुरु और न ही कोई ‘देशद्रोही’। क्या त्रासदी है !! एक अरब से ज्यादा की आबादी वाले जिस मुल्क में JNU जैसे कम से कम 50 विश्वविद्यालयों की जरूरत हैं, वहां जो एक आधा-अधूरा बचा है उसे भी बंद करवाने पर आमादा हैं।
कोई देशद्रोही कहता है तो क्या ग़लत कहता है…
पुष्यमित्र
मैं शटडाउन जेएनयू हैशटैग के ख़िलाफ़ हूं। समस्या जेएनयू में नहीं है, समस्या उन अतिवादियों में है जो सरकार का विरोध करते-करते देश का विरोध करने लगते हैं। एक बार इन्हें इनकी करनी की वाजिब सजा मिल जाये तो फिर कोई और ऐसी हिमाकत नहीं करेगा। दरअसल, पिछले दिनों एक विध्वंसक प्रवृत्ति देश में विकसित हुई है। लोग सरकार की नीतियों और कृत्यों का विरोध नहीं करते, वे सरकार को कमजोर करना चाहते हैं। हिंदू धर्म की कुरीतियों का विरोध नहीं करते, हिंदू धर्म को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं। वे देश की गड़बड़ियां सुधारना नहीं चाहते, देश को बरबाद करना चाहते हैं। ऐसे में अगर कोई कहता है कि वे राष्ट्रविरोधी हैं तो क्या गलत कहता है?
और अगर गृह मंत्रालय की रिपोर्ट यह कहती है कि देश में बड़ी मात्रा में विदेशी पैसा इन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के संचालन के लिए आ रहा है, धर्म परिवर्तन के लिए आ रहा है तो क्या गलत है? ऐसे उदाहरण तो यही साबित करते हैं। मेरे कई मित्र मुसलमान हैं, दलित हैं, कश्मीरी हैं… मगर वे कभी नहीं चाहते हैं कि भारत बरबाद हो। वे अपने लिए न्याय चाहते हैं। हद से हद आजादी चाहते हैं, मगर कभी उनके मुंह से यह नहीं सुना कि भारत मुर्दाबाद, भारत बरबाद हो जाये। मगर कोई न कोई ऐसी ताकत है, जो इन्हें यह नारा लगाने के लिए कंविंस करती है कि वह भारत की बरबादी की दुआ करे। नारा लगाये। कल तो जो बातें मन के इनबॉक्स में थी, वह अब खुल कर ओपन स्पेस में आ रही है। इसका विरोध और इसके ख़िलाफ़ कार्रवाई जरूरी है। कार्रवाई दोषियों के खिलाफ होनी चाहिये। जेएनयू के खिलाफ नहीं।
कौन देशद्रोही, कौन देशभक्त… पहले तय तो कीजिए
चंदन शर्मा
रूड़की इंजीनियरिंग कॉलेज से रातोरात आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त छात्र गिरफ्तार हो जाता है। दरभंगा के सुदूर गावों से एनआईए किसी को अचानक उठा ले जाती है। ऐसे में देश की राजधानी में पुलिस या खुफिया तंत्र फेल है क्या? अगर जेनएयू में देशद्रोही टिके हैं, तो उन्हें अरेस्ट कीजिए, कौन रोकता है? विरोध प्रदर्शन होता है तो होने दीजिए। लोकतंत्र में विराेध के स्वर तो हर बात में हर जगह उठेंगे, जो जरूरी भी है।
एक यूनिवर्सिटी में हजारों छात्र पढ़ते हैं, उनमें से 10-12 छात्र किसी भी इश्यू पर अपनी बात रखते हैं, विरोध-प्रदर्शन करते हैं तो क्या उसके लिए पूरी यूनिवर्सिटी दोषी हो जाती है। अगर किसी आतंकी के समर्थन में छात्रों का कोई गुट वास्तव में कोई कार्यक्रम करता है तो पुलिस-प्रशासन को एक्शन क्यों नहीं लेना चाहिए? कंसर्न एरिया के थानेदार व एसपी ने कितनी बार ‘देशद्रोह’ पर संज्ञान लिया या यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से ऐसा करने को कहा? ऐसे में शटडाउन जेएनयू जैसे हैशटेग को प्रमोट करनेवालों का मकसद समझ आता है।
क्या देश की सबसे बड़ी समस्या यही है, जिसे न्यूज चैनल लगातार बिनाकिसी ठोस साक्ष्य के दिखाता रहे? सबसे बड़ा सवाल यह कि जेएनयू में अगर वाम विचारधारा देशद्रोह को बढ़ावा दे रही है तो आप राष्ट्रवादी विचारधारा को पनपने का मौका दें। लोकतंत्र है कौन रोकता है? सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर, ज्योतिष विज्ञान पर, योगा जैसे विषयों पर मास्टर डिग्री शुरू कराएं। जहां तक ‘देशद्रोह’ की बात है तो सबूत दीजिए, गिरफ्तारी कीजिए चाहे वह जेएनयू में हो या एएमयू में या बीएचयू में। अपने देश में तो बकरी-बंदर पर कार्रवाई हो जा रही है तो देशद्रोह पर सजा क्यों नहीं देते? बाकी खाली पीली बैठकर कुतर्क और झूठ के सहारे भड़ास निकालकर देशभक्ति दिखानी है तो भी कौन रोकता है? कभी मालदा गान गाइए, कभी बीफ पर शोक मनाएं, कौन रोकता है? (#SaveJNU #SaveIndia)
इस आग पर कोई अपनी रोटी न सेंके… पढ़ने के लिए क्लिक करें
Sarthak bahas
This is nice article…. A good critical analysis of the Turbulence…. I want to say just one thing….. Any protest or demonstration should be under the Tricolour….. If it is going beyond the national interest…… Then the concern people or organisation should sternly punished. ..so Noone dares to go against India. ….shutdown of JNU is Rubbish idea…