टीवी सीरियल ‘भाबी जी घर पर हैं’ में ‘सक्सेना’ का किरदार निभा रहे एक्टर सानंद वर्मा घर-घर में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। उनका अंदाज और तकिया कलाम ‘आई लाईक इट’ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। पटना में जन्मे दिल्ली में पढ़े और मुंबई में सफलता पाने वाले सानंद वर्मा ने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे। बदलाव की ओर कामता सिंह से उनकी बातचीत के अंश-
बदलाव- क्या ‘सक्सेना’ किरदार के बारें में कभी सोचा था कि दर्शकों को इतना पसंद आयेगा ?
सानंद वर्मा- डायरेक्टर ने मुझे मेरे किरदार ‘सक्सेना जी’ के बारे में बताया तो मुझे काफी पसंद आया। एक ऐसा करेक्टर जो अपनी धुन में रहता है, सच बोलता है। मुझे दिल से महसूस हुआ कि यह रोल दर्शकों को जरूर पसंद आयेगा। ऑडिंयस को मेरा अदांज और ‘आई लाइक इट’ तकिया कलाम काफी पसंद आ रहा है। मेरे करियर का यह एक ऐसा रोल है जिसे मैं शोले के ‘गब्बर’ की तरह पसंद करता हूं। और दिल से भी बहुत प्यार करता हूं। कई बार तो लोग मुझे ‘आई लाइक इट’ कहकर बुलाने लगते हैं।
बदलाव- कॉमेडी लोगों को जितनी आसान लगती है, एक्टर के लिए वो उतनी ही बड़ी चुनौती है… इसे आप कैसे वर्कआउट करते हैं?
सानंद वर्मा-कंपीटिशन के दौर में व्यक्ति बेहिसाब दौड़ रहा है। तनाव की वजह से खुशी गायब है। कॉमेडी ही एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को मुस्कराने का मौका देता है। मेरे अभिनय से दर्शकों को खुशी मिलती है, यही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। एक बार मेरे फैंस का मुझे फोन आया। उसने मुझे कहा, मेरे दादा हार्ट के मरीज हैं लेकिन टीवी पर जब आपको देखते हैं तो उनकी हंसी देखते ही बनती है। सेहत में भी सुधार हो रहा है, आपको ढेर सारा प्यार। तो इस तरह कॉमेडी का रोल मेरे लिए बहुत ही अहम है।
बदलाव-एक वक्त था जब आप एड वर्ल्ड के सुपर स्टार रहे?
सानंद वर्मा- करियर के शुरुआती दिनों से ही मेरा लक्ष्य था, फिल्म स्टार बनना। इसलिए कभी टेलीविज़न के सीरियल्स में लगातार रोल नहीं किए। लेकिन अरसे बाद ‘सक्सेना’ के रोल से इतना लालच हो गया कि मैं बेपरवाह होकर पूरा किरदार निभा रहा हूं। इसके अलावा मेरा सबसे पहला ऐड आइडिया का रहा, जो लोगों को काफी पसंद आया। इसे इंडस्ट्री में भी काफी सराहा गया। जिसके बाद 200 से ज्यादा ऐड फिल्मों में काम किया।
बदलाव-अब टेलीविज़न में काम कर रहे हैं ऐसा क्यों?
सानंद वर्मा- मैंने सोचा जब फिल्म इडस्ट्री के धुरंधर कलाकार- अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर और सुशांत राजपूत भी टीवी पर काम करने से गुरेज नहीं कर रहे। बॉलीवुड के किंग खान का करियर भी सर्कस धारावाहिक से शुरु हुआ था। तो भला मुझे क्यों संकोच होना चाहिए? ‘एफआईआर’ और ‘ये चंदा कानून हैं’ जैसे सीरियल्स में काम किया। इसके अलावा साल 2016 में मेरी दो फिल्मों आने वाली हैं। डायरेक्टर नितिन कक्कड़ के साथ राम सिंह चार्ली और जॉन अब्राहम प्रोडक्शन की फिल्म ‘17 को शादी है’ जो कि रियल इंडियन वेडिग थीम पर आधारित है। इन दोनों फीचर फिल्मों में मेरा रोल काफी शानदार है। मुझे अब लगता है कि माध्यम चाहे कोई भी हो आपकी पहचान सिर्फ काम होता है, जिसे मैं पूरी लगन से कर रहा हूं।
बदलाव-क्या सीरियल के सेट पर भी ऐसे ही गुदगुदाते रहते हैं।
सानंद वर्मा-सेट पर हमारी पूरी टीम एंज्वॉय करती हैं। माहौल खुशनुमा और शानदार रहता है। विभूति नारायण (आसिफ शेख) और मनमोहन तिवारी (रोहिताश गौड़) को मैं सबसे ज्यादा छेड़ता रहता हूं। वो मेरे सीनियर है लेकिन मुझे प्यार भी बहुत करते हैं। डायरेक्टर भी सीन शूट करने के बाद हमारे हंसी के गैंग में शामिल हो जाते हैं। तब मजा और भी दोगुना हो जाता है।
बदलाव-फैंस से कैसे जुड़ें हैं आप?
सानंद वर्मा-मेरे फेंस मुझे बहुत प्यार करते हैं। बूढ़े-बड़े और महिलाओं, सभी का प्यार मुझे मिल रहा है। मैं भी उनको चाहता हूं। हर मिनट में मेरे फोन और सोशल साइटस पर तरह-तरह के मैसेज आते रहते हैं। कोशिश करता हूं कि हर किसी को जवाब दे सकूं। लेकिन बिजी शेड्यूल के चलते संभव नहीं हो पाता। आज भी मैं अपने सारी कॉल्स और सोशल साइटस खुद संभालता हूं। टवीटर पर ज्यादा सक्रिय रहता हूं।
बदलाव-एक्टिंग के लिए क्या-क्या पापड़ बेलने पड़े?
सानंद वर्मा-एक्टर बनने के लिए मैं काफी संघर्ष के दौर से गुजरा लेकिन हिम्मत नहीं हारी। मुंबई में जूझता रहा, मीलों पैदल चला। बचपन में पढ़ने के लिए किताबें भी बेचनी पड़ी। फिर भी कभी थकान महसूस नहीं की। इतना ही नहीं एक्टिंग के लिए मैंने 50 लाख सालाना सैलरी वाली मल्टी नेशनल कंपनी की जॉब छोड़ दी। क्योंकि मेरा लक्ष्य था एक्टर बनना, जिसमें मैं कामयाब हूं।
बदलाव-शूटिंग और परिवार में कैसे तालमेल बिठाते हैं?
सानंद वर्मा-फिल्म और सीरियल की शूटिंग की वजह से काफी कम टाइम बचता है। फिर भी अपने परिवार के लिए समय निकाल ही लेता हूं। घर पर मेरी मां और बहन हैं, जिन्हें मैं बहुत प्यार करता हूं। पिता जी का निधन हो चुका है। अपनी मां को धरती पर भगवान मानता हूं, उनके पैर छूकर ही घर से बाहर निकलता हूं।
बदलाव- खुद को इतना खुश कैसे रख पाते हैं?
सानंद वर्मा-दुनिया की सबसे महंगी चीज है खुशी। जिसे मैं हर समय संजोकर रखना चाहता हूं। वक्त चाहे कितना भी मुश्किल क्यों न हो मैं हमेशा मुस्कराता रहता हूं। मेरा मानना है कि हंसी कभी भी नकली नहीं होनी चाहिए। हंसी और खुशी, दिल से मजबूत हो तभी इंसान जिंदादिल रह सकता है।
कामता सिंह, इंडिया टीवी में कार्यरत हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढाई पूरी की है। साथ ही कई पत्र-पत्रिकाओं में ज्वलंत मुद्दों पर लेखन कार्य भी करते हैं।