रुपेश कुमार
यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश समेत तमाम राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं । यूपी का बंदेलखंड हो या महाराष्ट्र का विदर्भ, सब जगह हालात एक जैसे ही हैं, ऐसे में बिहार के कोसी क्षेत्र में गिरता जलस्तर लोगों को डराने लगा है । यहां के मुरलीगंज प्रखंड क्षेत्र के किसानों में हाहाकार मचा हुआ है । बढ़ती गरमी के साथ ही उनके खेतों का जल स्तर नीचे गिरना शुरू हो गया है। खेतों में पटवन के लिए विगत साल कराया गया बोरिंग इस साल एक पटवन के बाद काम ही नहीं कर रहा । जल स्तर करीब बीस फीट नीचे जा चुका है। पंप सेट इन बोरिंग से पानी निकालने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। पूरे प्रखंड क्षेत्र के हजारों किसानों में त्राहिमाम की स्थित है। पानी की प्रचुरता के लिए जाना जाने वाले कोसी के इस इलाके में पानी के स्तर का गिरना पूरे कोसी क्षेत्र के लिए आने वाले खतरे का संकेत है। हालांकि जिले के अन्य इलाकों में भी स्थिति इससे इतर नहीं है. जल स्तर का नीचे जाना प्रकृति नहीं बल्कि मानव जनित समस्या है। धरती के नीचे जल का अथाह भंडार है लेकिन इसकी एक सीमा है। लगातार और अत्यधिक इस्तेमाल के कारण जल स्तर नीचे जाता है।भूजल को रीचार्ज करने के लिए हम न प्रयास करते हैं और न सरकारी स्तर पर इसके लिए जागरूकता की कोई व्यवस्था है। वर्षा के जल से भूगर्भीय जल भंडारित होता है। तालाब भूजल में वृद्धि का सबसे आसान जरिया है, लेकिन हम इस ओर से उदासीन हो रहे हैं।
कोसी के लिए मुरलीगंज का अलर्ट !
मुरलीगंज प्रखंड के हरिपुर कला पंचायत में है तिनकोनमा गांव। पूर्णिया जिले की सीमा इस गांव के बाद शुरू हो जाती है। यहां के किसान श्यामनंदन यादव ने अपने पूरे परिवार के साथ दस बीघे में मक्के की खेती की । उन्होंने पिछले साल ही पटवन के लिए 65 फीट गहरी बोरिंग करायी थी। इस साल मक्का में वह एक पटवन कर चुके हैं, लेकिन दूसरे पटवन के जब उन्होंने बोरिंग से पंप सेट को जोड़ा तो पानी का एक कतरा बाहर नहीं निकला, पहले तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, उन्होंने एक बार फिर प्रयास किया । इस बार भी उन्हें नाकामी ही मिली। अब वे निराश हैं, उन्हें फिर से बोरिंग करानी होगी। जमीन से पानी निकालने के लिए कम से कम सौ फीट गहरा पाइप डालनी पड़ेगी, इसमें काफी खर्च आयेगा । पहले से ही टूट चुकी कमर को अब दोहरे बोझ की मार झेलनी होगी ।
तिनकोनमा गांव में श्यामानंद यादव के अलावा ऐसे दर्जनों किसान किसान हैं जिनके खेतों का जल स्तर नीचे जाने के कारण बोरिंग बेकार हो गयी है। इसी गांव के सुरेश यादव, प्रवीण यादव, पुष्पेन्द्र यादव, उमेश यादव, मिथिलेश यादव, उमेश यादव आदि के खेतों की भी यही स्थिति है।ये किसान बताते हैं कि इस तरह की स्थिति पहली बार हुई ह, इससे पहले कभी जल स्तर नीचे नहीं गया था। हालांकि पहले आम तौर पर 45 फीट पर ही पानी उपलब्ध हो जाया करता था। कहीं-कहीं बोरिंग फेल हुआ तो लोगों ने एहतियातन 65 फीट पर बोरिंग करायी, लेकिन वह भी काम न आया। जानकार बताते हैं कि यह खतरनाक स्थिति है.,पूरे कोसी क्षेत्र में पीने योग्य पानी बीस फीट गहरी पाइप से ही निकलता रहा है। पानी में आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण पीने के पानी के लिए 40 या 50 फीट गहरी पाइप बोरिंग करते हैं, लेकिन स्थिति में खतरनाक तौर पर बदलाव आ रहा है। अगर जल स्तर का गिरना जारी रहा तो कोसी का इलाका बलुआही हो जायेगा। इसका प्रभाव आने वाले दिनों में खेती और पेड़-पौधों पर पड़ना तय है ।
जिला कृषि विकास केंद्र के समन्वयक सह कृषि वैज्ञानिक डा. मिथिलेश कुमार राय कहते हैं कि विगत वर्ष की तुलना में तापमान में करीब दो से तीन डिग्री की वृद्धि दर्ज की गयी है। दिसंबर माह में ही एक से दो डिग्री तापमान बढ़ा हुआ था। इसके कारण गेहूं की फसल में कल्ले ठीक से नहीं निकल सके। इसके कारण इस साल गेहूं का उत्पादन दस से बीस फीसदी कम रहेगा, वहीं दूसरी ओर वर्षा कम होने के कारण भूजल रीचार्ज नहीं हुआ । इसलिए बोरिंग विफल हो रहे हैं । ये सब कुछ ऐसी बात हैं जो कोसी के लिए किसी अलर्ट से कम नहीं । लिहाजा समय रहते सरकार और समाज को सचेत होना होगा ।
मधेपुरा के सिंहेश्वर के निवासी रुपेश कुमार की रिपोर्टिंग का गांवों से गहरा ताल्लुक रहा है। माखनलाल चतुर्वेदी से पत्रकारिता की पढ़ाई के बाद शुरुआती दौर में दिल्ली-मेरठ तक की दौड़ को विराम अपने गांव आकर मिला। पहले हिंदुस्तान और अब प्रभात खबर के ब्यूरो चीफ के तौर पर गांव की ज़िंदगी में जितना ही मुमकिन हो, सकारात्मक हस्तक्षेप कर रहे हैं। उनसे आप 9631818888 पर संपर्क कर सकते हैं।