सत्येंद्र कुमार
बिहार के फारबिसगंज विधानसभा सीट से 1972 में फणीश्वर नाथ रेणु ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। प्रचार के दौरान रेणु दोहों और चौपाइयों में अपनी बात कहते थे। जनसभाओं में रेणु शमशेर की ये लाइन अक्सर बोलते थे- ‘बात बोलेगी, मैं नहीं’। लेकिन आज बिहार के कोसी इलाके की तस्वीरें बोलेंगी, कोई और नहीं। ये तस्वीरें सहरसा के वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार की फेसबुक वॉल https://www.facebook.com/ajaysbv से ली गई हैं।
गट्टा, लइया, खुरमा की तस्वीर हो या माथे पर बोझ ढोती महिलाओं की। ‘टाइम पास’ (मूंगफली) बेचते कासी के बेटे की तस्वीर हो या गरीबी की मार की वजह से भीख मांगते लोगों की छाया, सब कुछ इनके फेसबुक वॉल पर जगह पा जाती हैं। हर फोटो में कोसी का असली रंग दिखता है। आयरन युक्त पानी पीने के लिए अभिशप्त बच्चों की बदनसीबी के साथ परिवार का बोझ ढोते मासूमों की मासूमियत भरी तस्वीर भी समाज को दिखाते रहते हैं।
मैं यूपीवाला दिल्ली में बैठकर कोसी की कराह, तड़प, मजबूरी और समस्याएं महसूस कर रहा हूं। लेकिन वहां के विधायक, सांसद, बिहार के सीएम आते हैं, वोट के लिए सलामी ठोकते हैं, बाबू-भैया कह कर बहलाते-फुसलाते हैं, अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित, गरीबी के नाम पर एक दूसरे को गाली देते हुए लंबा-चौड़ा भाषण देकर, आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर और कुटिल मुस्कान के साथ विकास का झूठा वादा कर चले जाते हैं। उन्हें ये तस्वीरें क्यों नहीं दिखती? ये कोसी का आत्मबल है कि मजबूरी में भी मुस्कुराते रहते हैं। गले में पड़ी इस माला से माली हालत नहीं सुधरेगी और ना चेहरों पर मुस्कान आएगी। ये चेहरे तभी चमकेंगे जब इन्हें सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार देगी।
अजय कुमार की फेसबुक वॉल से ली गई तस्वीर के बारे में फेसबुक फ्रेंड अनुशक्ति सिंह लिखती हैं- नंग-धड़ंग, पसलियां गिन लिए जाने की हद तक कुपोषित बच्चे किसी अफ्रीकी देश के नहीं हैं। इन्हें राहत देने के लिए सरकार को सोमालिया नहीं जाना पड़ेगा।
ये उस वक्त की तस्वीरें हैं जब बिहार में नई सरकार बनाने के लिए वोट मांगते नेता हर गली, चौक-चौराहे पर जमघट लगाए रहते हैं। हर दूसरे दिन कोई ना कोई वोट मांगने वाला अपने दल बल के साथ, इन गरीबों का वोट मैनेज करने पहुंचता रहता है। लेकिन ‘विकास’ के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे ‘वोट चाहकों’ में से किसी की नज़र इन बच्चों पर नहीं जाती। बाकी पाठशाला और मिड-डे मील की पौष्टिकता की कहानी बच्चों का शरीर खुद बयां कर रहा है।
पीएम मोदी ने सवा लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया है। यही नहीं, मोदी जी कह रहे हैं कि और देंगे, हमारी सरकार लाओ। सीएम नीतीश कह रहे हैं कि वो सवा लाख करोड़ दे रहे हैं तो मैं ढ़ाई लाख करोड़ दूंगा, मेरी सरकार फिर बनवाओ। ये दोनों नेता जितना कह रहे हैं, कर दें तो बिहार का भला हो जाए। लेकिन डर है कहीं ‘वादे हैं वादों का क्या’ की कहावत फिर सही साबित ना हो जाए। कोसी के लोगों के साथ मैं भी उम्मीद करता हूं कि जब नई सरकार सत्ता में आए तो कम से कम इतना विकास कर दे कि किसी भी बच्चे को बचपन की कीमत पर ‘टाइम पास’ (मूंगफली) ना बेचना पड़े। मेले में पापड़ और ठेले पर केले बेचने की नौबत ना आए। किसी भी महिला को पानी में डूब कर रास्ता तय ना करना पड़े। किसी भी गरीब को पेड़ के नीचे बैठकर भीख मांगने की नौबत ना आए। वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार https://www.facebook.com/ajaysbv से उम्मीद करता हूं कि ऐसी तस्वीरें तब तक सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को दिखाते रहें जब तक कोसी का कायाकल्प ना हो जाए। जय कोसी मैया की, जय बिहार की।
सत्येंद्र कुमार यादव फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं । उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।
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