बदलाव बाल क्लब की गतिविधियों का चौथा सप्ताह। बच्चों ने पिछले दिनों अखबार निकाला तो अब वो रचनात्मक लेखन की तरफ खुद ही उनमुक्त हो रहे हैं। इसी कड़ी में गौरिका शर्मा ने अपना यात्रा वृतांत बच्चों को पढ़ कर सुनाया। दूसरी तरफ बच्चों ने मिल-जुल कर गर्मी और बारिश पर दो कविताएं भी लिखीं।
मेरी चारधाम यात्रा- पहली किस्त
शनिवार की सुबह थी। करीब सात-आठ बज रहे होंगे। मैं पूरे परिवार के साथ थी। मेरे दो चाचू का परिवार भी था। पहले हम लोग हरिद्वार गए। वहां मेरे एक और चाचू आ गए। हमने एक छोटी सी वोल्वो बस ले ली थी। हम करीब 11-12 बजे अपने बरकोट के होटल में पहुंचे होंगे। हम सब बहुत थक गए थे। हम सब अपने कमरे में जाकर सो गए।
अगली सुबह हम यमुनोत्री के लिए निकल गए। हमें 6 किलोमीटर लंबी चढ़ाई करनी पड़ी। हमारी चढ़ाई यमुनोत्री के बेस कैम्प तक थी। जगह का नाम था-फूलचटी। हम सबने मंदिर पहुंच कर स्नान करके दर्शन किया। लेकिन हां, चढ़ाई कोई आसान नहीं थी। एकदम सीधी चढ़ाई थी। हम बच्चों ने खेल की तरह समझ कर पार कर लिया। और पता है कई लोगों को तो बीच में ही घोड़ा करना पड़ गया। लेकिन अचानक लौटते समय वर्षा होने लगी। कई लोगों के पास बरसाती था। जिनका पास नहीं था, उन सबने हर दुकान में छान मारा। कहीं नहीं मिला। फिर बारिश कम हुई तो हम लोग नीचे की तरफ चल पड़े।
गौरिका शर्मा। बदलाव बाल कल्ब की सदस्य। डीएवी पब्लिक स्कूल की क्लास 6 की छात्रा।
बच्चों के साझा प्रयास से लिखी गई कविताएं
एक-बारिश
आसमान में छाए बादल
काले बादल, नीले बादल
उमड़-घुमड़ कर आए बादल
रिमझिम-रिमझिम बरसा पानी
मोर नाचा देख सुबह सुहानी
कोयल कूकू कर कहे कहानी
एक था राजा एक थी रानी।
दो-गरमी
सुबह सवेरे तपता सूरज
घर से कैसे निकलें बाहर
चुन्नू-मुन्नू, सोनिया-मोनिया
सब हैं अपने घर के अंदर
मम्मा ने है डांट लगाई
छाता लेकर निकलो बाहर
शाम होते ही छाती मस्ती
कुल्फीवालों की आती बहार।