मिशन ‘क्लीन काशी’, काग़जों से ज़मीन तलक

सौ. पत्रिका
बाइक पर सवार वाराणसी के डीएम । फोटो सौजन्य- पत्रिका

जितेंद्र कुमार

आनंद की अनुभूति के लिए ‘विजय की एक किरण’ ही काफी होती है। कम से कम काशी में एक तबका इसका एहसास बखूबी कर रहा है। बाइक पर बैठा ये शख्स हमारे आप की तरह आम ही नजर आ रहा है लेकिन अपने मिजाज की वजह से खास बन गयाहै। जो गांव और शहर के बीच की खाई को पाटने की हर मुमकिन कोशिश में जुटा है। गंदगी जिसे बर्दास्त नहीं और लापरवाही पर कर्मचारियों की शामत आते भी देर नहीं लगती। ये शख्सियत हैं वाराणसी के नये डीएम- विजय किरण आनंद की।

फोटो- भास्कर
गांव वालों के बीच डीएम विजय किरण आनंद

विजय किरण आनंद को काशी के डीएम का पदभार संभाले अभी महीना भर भी नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने अपने काम से लोगों के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली है। वो शहरों में जितनी सक्रियता से काम करते हैं, उतनी सादगी से गांवों का भी ख्याल रख रहे हैं। फिलहाल वे स्वच्छता अभियान में जोर-शोर से जुटे हैं। इसके लिए अगर उन्हें सुबह 5-6 बजे के बीच भी बनारस की गलियों में घूमना पड़े तो कोई गुरेज नहीं। खास बात ये कि वो सारा काम किसी मातहत पर छोड़ने की बजाय खुद करते हैं। इसी सिलसिले में पिछले दिनों जब उन्हें पता चला कि शहर की साफ-सफाई ठीक से नहीं हो रही है तो वे बाइक पर ही निकल पड़े जायजा लेने। ऐसा भी नहीं है कि जायजा लेने के बाद दफ्तर जाकर आदेश दें बल्कि नायक फिल्म की तरह फैसला ‘ऑन द स्पॉट’ करते हैं। अधिकारियों को वहीं से फोन पर निर्देश देते हैं और लापरवाह कर्मचारियों पर तुरंत कार्रवाई भी करते हैं।

पिछले दिनों सारनाथ में आयोजित आम जनता की एक चौपाल में अचानक पहुंचकर डीएम आनंद ने सबका चौंका दिया। यही नहीं साफ-सफाई और सीवेज की बदहाल व्यवस्था की शिकायत लोगों ने डीएम साहब से की तो फौरन अधिकारियों को तलब किया और बदहाल व्यवस्था सुधारने का निर्देश दिया, वो भी डेड लाइन के साथ।

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शहर ही नहीं गांवों में भी आनंद किरण तेजी से आम लोगों की शिकायत सुनने का काम कर रह हैं। इंटरनेट और जनता दरबार से एक कदम आगे बढ़ कर वो खुद जनता के बीच पहुंच जाते हैं, उनसे बातें करते हैं और समस्या को अच्छी तरह समझते हैं। खास कर अधिकारी जिस गांव को कागज पर सौ फ़ीसदी स्वच्छ दिखाकर अपनी पीठ थपथपाते हैं, उसकी खामियां निकालने से भी विजय आनंद जरा भी परहेज नहीं करते।

हाल ही में डीएम साहब सुबह-सवेरे ही महान साहित्यकार मुंशी प्रेम चंद के गांव लमही पहुंच गए और वहां देखा कि लोग लोटा लेकर मैदान (टॉयलेट) करने जा रहे हैं। डीएम साहब ने ऐसे ही एक युवक को बुलाया और उसे स्वच्छता की सीख दी। जब युवक ने जिलाधिकारी को बताया कि ”साहब आप ही बताइए हम टायलेट कहां करने जाएं, हमारे यहां तो टॉयलेट है ही नहीं। जो हैं वो खस्ताहाल हैं।” ऐसे में डीएम साहब ने पहले तो खुद गांव में घूमकर जायजा लिया और गांववालों को स्वच्छता के फायदे गिनाए। यही नहीं ग्राम प्रधान और पंचायत अधिकारी को बुलाकर गलत रिपोर्ट देने के लिए फटकार लगाई और उनके दावों को खारिज कर दिया। दो टूक कहा- कागजों में नहीं हमें वास्तविकता में स्वच्छ गांव चाहिए। आनंद किरण ने डीपीआरओ को अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर गांव की सफाई करने का आदेश दिया। जिन घरों में टॉयलेट नहीं बने थे, वहां तुरंत टॉयलेट पास किया। डीएम ने अधिकारियों को सभी कोरम पूरा कर दोबोरा सत्यापन करने को भी कहा।

Ganv-Panchayat-- patrika .comविजय आनंद किरण 2009 बैच के IAS अफसर है ।

मैनपुरी,उन्नाव,फिरोजाबाद, बिजनौर के DM रह चुके हैं ।

18 मई को वाराणसी में डीएम पद का चार्ज संभाला ।

वाराणसी से पहले शाहजहांपुर में जिलाधिकारी रह चुके हैं

ऐसा नहीं कि डीएम आनंद किरण वाराणसी में ही इस तरह का काम कर रहे हैं। इससे पहले शाहजहांपुर में भी वो इसी तरह विकास का काम कर चुके हैं। यही नहीं गांव में वो जमीन पर बैठकर जनता की समस्याएं सुना करते थे।


jitu yadavजितेंद्र कुमार।  प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बाशिंदे। पिछले कुछ समय से दिल्ली में रह रहे हैं, लेकिन जब भी अपने शहर लौटते हैं, कुछ वक़्त आसपास के गांवों में ज़रूर बिताते हैं।


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