शिरीष खरे
वन को राजस्व ग्राम बनाते समय विकास का झांसा देकर जिंदगी बदल देने की बात की थी, लेकिन उन्होंने हमें धोखा दिया। बड़े बोल बोलकर हमारी जमीन लूटने का खेल खेला। हमारी जायदाद को वन से राजस्व विभाग में कब बदल दिया गया, पता ही नहीं चला। सूचना की अर्जी लगाने पर पता चला कि अफसरों ने दूसरे गांव में ग्रामसभा रखी और हमारे गांव के दो लोगों से दस्तखत करा लिए। थोड़ी-थोड़ी जमीन के पट्टे दिए और जता दिया कि बस इतनी ही जमीन तुम्हारी है। उसमें भी किसी का घर छूटा, किसी का खेत तो किसी की बाड़ा। मगर असल खेल तो हमारे चारागाह, वनोपज, निस्तार, शमशान और मैदान की जमीन पर हुआ। सरकार यह जमीन छीनना चाहती है। इसे मांगने आठ महीने से कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। यह जमीन छिन गई तो कहां जाएंगे?
यह दर्द रायपुर से करीब 140 किमी दूर जिला धमतरी के जनजाति बहुल जुनवानी के ग्रामीणों का है। जनवरी 2014 में सरकार ने 425 गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए वन को राजस्व में बदला। मगर वनवासियों के साथ ऐतहासिक अत्याचार मिटाने के लिए जो वनाधिकार कानून लाया, उसी को हथियार बनाकर जमीन हथियाने की तैयारी कर ली। जुनवानी में 265 मतदाता हैं। स्थानीय कार्यकर्ता बेनीपुरी कहते हैं, दशकों पुराने रिकॉर्ड के आधार पर व्यक्तिगत पट्टों के लिए महज 73 हेक्टेयर जमीन बांटी गई। वहीं, कानून में प्रावधान होने के बावजूद सरकार सामूहिक पट्टे नहीं दे रही है। सरकार के इस रुख पर ग्रामीण प्रीतम कुंजाम कहते हैं कि एक हजार एकड़ जमीन गांव की है, जिसे विभाग या निजी हाथों को नहीं सौंपेंगे।
पट्टों में महिला और आश्रितों के नाम दर्ज नहीं हैं। वहीं, पट्टे में जमीन की पहचान और नक्शे नहीं दिए हैं। वनाधिकार की शोधार्थी मधु सरीन के मुताबिक कानून में व्यस्क व्यक्ति को ढाई एकड़ जमीन देने का प्रावधान है, लेकिन यहां पिता की जायदाद बांटकर बहुत कम जमीन के पट्टे दिए गए हैं। वनाधिकार के विशेषज्ञ वीरेन्द्र अजनबी के मुताबिक वन और राजस्व विभाग के बीच समन्वय न होना अधिकार में बाधा डाल रहा है। व्यक्तिगत पट्टों के मामले में छत्तीसगढ़ आगे है, लेकिन अब सामूहिक पट्टे बांटने को वरीयता देंगे। मुख्य सचिव ने सभी कलक्टरों को सहयोग करने के निर्देश भी दिए हैं। ऐसी ज़मीन को रिकॉर्ड में भी लाया जाएगा।
शिरीष खरे। स्वभाव में सामाजिक बदलाव की चेतना लिए शिरीष लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। दैनिक भास्कर और तहलका जैसे बैनरों के तले कई शानदार रिपोर्ट के लिए आपको सम्मानित भी किया जा चुका है। संप्रति राजस्थान पत्रिका के लिए रायपुर से रिपोर्टिंग कर रहे हैं। उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।
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