कन्हैया लाल सिंह
जमशेदपुर से कोई छह किलोमीटर की दूरी पर एनएच 33 किनारे स्थित गांव बागुनहातु में रिटायर्ड प्रोफेसर जेरोम सोरेंग अपने फार्म में एमु पालन करते हैं। वह बताते हैं कि इसके बारे में सुन रखा था कि यह काफी लाभ का कारोबार है। इसलिए इसे पालने का निर्णय लिया। सबसे बड़ी बात कि आपको इसके लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं। एजेंसी वाले आप तक एमु छोटी चिड़िया छोड़ जाते हैं और वयस्क होने पर खुद ही ले जाते हैं। प्रो जेरोम सोरेंग को एमु के बारे में प्राइवेट एजेंसी समृद्धि मनी मास्टर्स इंटरप्राइजेज लिमिटेड के जरिये पता चला, जो झारखंड में पिछले तीन सालों से काम कर रही है।
एमु पालन के लिए जमीन का जुगाड़ करना सबसे अहम है। दस एमु के लिए कम-से-कम 500 वर्ग फीट जमीन चाहिए। इसी हिसाब से एमु की संख्या बढ़ने पर जमीन का आकार भी बढ़ता जाता है। साथ ही यह शर्त भी है कि जमीन मिट्टी वाली होनी चाहिए, कंक्रीट या सीमेंट वाली नहीं। प्रो सोरेंग बताते हैं कि एमु को बढ़ने के लिए ज्यादा जमीन चाहिए, क्योंकि वह जितना दौड़ेगा उतनी तेजी से ग्रोथ करेगा। एजेंसी वाले चिड़िया देने से पहले जमीन का परीक्षण करते हैं।
एमु छोटी 10 चिड़िया 75 हजार रुपये के हिसाब से फार्म में दी जाती हैं। यानी एक छोटी चिड़िया की कीमत सात हजार 500 रुपये बैठती है। इस रुपये के साथ इंश्योरेंस, मेडिकल भी मिलता है। साथ ही बाड़े के लिए मुफ्त में तार-जाली और चारे के बर्तन भी दिये जाते हैं। पक्षी के दाने का खर्च आपको देना होता है। समृद्धि मनी मास्टर्स इंटरप्राइजेज लिमिटेड झारखंड के सेल्स हेड अरविंद प्रसाद के मुताबिक आपको पक्षी को बारह से तेरह महीने तक दाने खिलाने होते हैं। दस पक्षी पर दाने का खर्च 15 हजार तक आता है। इस तरह दस पक्षी पर आपका कुल खर्च 90 हजार आता है।
जब पक्षी बड़े हो जाते हैं तो एजेंसी वाले एमु 300 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से ले जाते हैं। एक वयस्क एमु का वजन औसतन 50 किलोग्राम होता है। यानी एक एमु की बिक्री 15 हजार रुपये में आराम से हो जाती है। इस तरह दस एमु की कीमत एक लाख 50 हजार रुपये होती है। एमु की ग्रोथ खान-पान और बाड़े की लंबाई पर निर्भर करती है। रांची पशु चिकित्सा महाविद्यालय, बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग के डॉ सुशील प्रसाद बताते हैं कि एक एमु एक से डेढ़ साल में वयस्क हो जाता है। यह चार दिनों में एक अंडा देती है। अंडे का वजन 550 से 750 ग्राम तक होता है। एक अंडे की कीमत एक हजार रुपये और इससे अधिक होती है। फिलहाल, एमु पालन में दो तरह के पैकेज चल रहे हैं। अंडा के लिए पालन और मांस के पालन का पैकेज। कई जगह एमु अंडा बिक्री के लिए पाले जा रहे हैं तो कुछ जगहों पर इसका पालन केवल मांस के लिए होता है। अंडा पालन अधिक लाभदायक माना जाता है, क्योंकि इसमें तुरंत पैसे अाने लगते हैं।
एमु मकई का दर्रा, चोकर, गोभी की पत्तियां आदि खाता है। यह गीला खाना नहीं खाता। इन्हें पानी हमेशा चाहिए। जहां तक केयर की बात है तो इन्हें अधिक केयर करने की जरूरत नहीं पड़ती। यह ऑस्ट्रेलिया मूल का पक्षी है। जहां मौसम में काफी उतार-चढ़ाव होता है। इसलिए इस पक्षी को हर मौसम में रहने की आदत है। तेज गर्मी और ठंढ में भी इसे परेशानी नहीं होती। यह शून्य डिग्री सेंटीग्रेड से 55 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में आराम से रह सकता है। बारिश भी इसे अच्छी लगती है।
एमु का कई तरह से उपयोग होता है। इसका मांस और अंडे खाये जाते हैं। मांस फैट फ्री होता है यानी इसमें केलेस्ट्रॉल नहीं होता। इसकी पीठ में चर्बी होती है, जिससे कई तरह की दर्द निरोधक दवा बनायी जाती है। लेदर इंडस्ट्री में इसके चमड़े उपयोग में लाये जाते हैं। नाखून से कई तरह के गहने बनाये जाते हैं। इसके पालन के लिए आप अकेले ही काफी हैं। इसे ज्यादा देखभाल करने की जरूरत नहीं होती। दिन में तीन बार चारा देना होता है। साफ-सफाई करनी होती है, जिसे एक व्यक्ति आराम से कर सकता है। पक्षी ज्यादा पालने हों तो जरूरत के मुताबिक सहयोगी रखे जा सकते हैं।
(साभार-प्रभात खबर)
कन्हैया लाल सिंह। पूर्णिया जिले के सरसी के निवासी। जवाहर नवोदय विद्यालय के पूर्व छात्र। मगध विश्वविद्यालय के स्नातक। कई अखबारों और पत्रिकाओं में अनुभव बटोरने के बाद इन दिनों दैनिक प्रभात खबर में कार्यरत। आपसे 09661721606 पर संपर्क किया जा सकता है।
kafi achi story, main aagay chalkar aisa kaam karne ki soch raha hu. bahaut bahaut dhanyawaad kanahiyia da.
I want Emu bird farming