सत्येंद्र कुमार
गांव की अधिकांश सड़कें कच्ची से पक्की हो गई। कई गांव से होकर चौड़ी सड़कें दौड़ने लगीं। टमटम की जगह टैंपो चलने लगे। साइकिल चलाने वालों ने मोटर साइकिल खरीद ली। बेटियां ग्रेजुएट होने लगीं। कितकिता खेलने वाली बेटियां बैडमिंटन खेल रही हैं, बेटे क्रिकेट। भोजपुरी, मिथिला, बुंदेलखंडी, अवधी बोलने वाले खड़ी बोली और अंग्रेजी बोल रहे हैं। इंटरनेट ने गांव को अंबेडकरनगर से अमेरिका पहुंचा दिया। Skype के माध्यम से घर में बैठी मां दुबई में काम करने गए बेटे से बात कर रही है, उसे निहार कर गदगद हो रही है। घर में बैठी पत्नी whatsapp से अपने बेटे की तस्वीर परदेश गए पति को भेज रही है, और पति साड़ी की डिजाइन भेज कर पूछा रहा है कि कौन सी साड़ी लाऊं? यही नहीं अब शादी के घरों में सिर्फ स्वास्तिक और हाथ के पंजों के निशान नहीं दिखते, Tanu weds Manu या जन्मदिन पर Happy birth day भी लिखा मिलता है।
इतना बदल गया है गांव फिर भी ख़बरों में सिर्फ रेप, हत्या और बाढ़, तूफान की बात? क्या भारत के बदलते गांवों की तस्वीर को दिखाना ज़रूरी नहीं? ये सवाल तो कई चैनलों के संपादकीय कक्ष में कई बार उठता रहा है। सैद्धांतिक तौर पर कई चैनल इस पर सहमत भी हों, लेकिन टीआरपी का दबाव ऐसा कि कोई नई पहल करने से हर कोई हिचकता है। ऐसे में न्यूज चैनल आजतक ने एक बड़ी पहल की है।
गांव, खेती, किसानी से जुड़ी खबरों के लिए आज तक न्यूज चैनल पर ‘आज तक का गांव कनेक्शन’ नाम से 14 सितंबर को शाम 5.30 बजे पहला बुलेटिन प्रसारित हुआ। अब 6 लाख गांवों की समस्याओं से पूरा देश रूबरू होगा। अक्सर सूखा, बाढ़, प्राकृतिक आपदा या कोई दुर्घटना होने पर ही गांव की खबरें टीवी पर दिखाई देती रही हैं। लेकिन अब खेती, किसानी, गांव, गरीब और ग्रामीण नौजवानों की समस्याओं और उनकी कामयाबी से जुड़ी ख़बरों पर एक मुकम्मल बुलेटिन होगा। हर हफ़्ते सोमवार से शुक्रवार तक शाम 5.30 बजे आधा घंटा सिर्फ़ गांवों के नाम होगा। रविवार रात 8 बजे भी गांव की कहानियां गांव कनेक्शन में देख सकते हैं। भारत के ग्रामीण अख़बार ‘गांव कनेक्शन’ और न्यूज चैनल आज तक का ये बेहतरीन प्रयास है। इसकी परिकल्पना से लेकर प्रसारण तक आजतक के संपादकीय प्रमुख सुप्रिय प्रसाद की भूमिका को भी नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
‘आज तक का गांव कनेक्शन’ के पहले एपिसोड में यूपी के कुम्हरावां (कन्नौज) की कहानी दिखाई गई। भारत के स्वर्ण जयंती गांव में से एक कुम्हरावां गांव सौ फ़ीसदी साक्षर है। गांव में ज्यादातर लोग अध्यापक हैं। स्कूल, अस्पताल और बैंक गांव में ही मौजूद हैं। पहले एपिसोड में गांव के लोगों की यही शिकायत थी कि ‘टीवी पर या अखबारों में गांव की समस्या नहीं दिखाई जाती है। सिर्फ रेप, हत्या, बाढ़, सूखा, तूफान, लूट-पाट की खबरों को ही दिखाया जाता है। किसानों की बात तभी होती है जब कोई किसान खुदकुशी कर लेता है या मुआवजे की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन करता है। बाकी बदलते गांव की तस्वीर खबरों से गायब रहती हैं।’
शो की खास बात ये कि यहां गांवों की दशा को लेकर विलाप नहीं बल्कि बदलाव की आहट है। इस शो के एंकर वरिष्ठ पत्रकार नीलेश मिश्र हैं। साथ में आज तक की पुरानी और वरिष्ठ एंकर श्वेता सिंह ने भी मोर्चा संभाला है। टीआरपी की इस भागमभाग के बीच गांव की धड़कन महसूस करने की इस कोशिश की जितनी तारीफ़ की जाए कम है। अभी तो ये शुरुआत है, आगे-आगे देखिए होता है क्या?
सत्येंद्र कुमार यादव फिलहाल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं । उनसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।
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Gaurav Sharma- good job
Ajay Rana -आजतक का आकर्षण अब भी कायम है हम सब में। इस नई पहल के लिए मुबारक
Namrata Narayan – Gud initative