सेहमलपुरवालों… सोच समझकर चुनना प्रधान

अरुण यादव

उत्तर प्रदेश यानी वो राज्य जो देश की सियासत की दिशा और दशा बदलने का माद्दा रखता है। उसी सूबे में इन दिनों पंचायत चुनाव का शोर-शराबा है। मैंने सोचा तनिक अपने गांव सेहमलपुर का भी हाल लिया जाए। चुनावी मुद्दों की पड़ताल के लिए ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशियों के अलावा बड़े बुजुर्गों और कुछ युवाओं से बात की तो पता चला कि करीब 12 से 15 लोग मैदान में अपनी किस्तम आजमा रहे हैं। हर कोई अपनी जीत पक्की करने और वोटरों को लुभाने के लिए जगह-जगह पोस्टर लग रखा है। कोई भाई के नाम पर वोट मांग रहा है तो कोई दादा और चाचा के बल-बूते चुनावी अखाड़े में ताल ठोक रहा है। इन सबके बीच एक बात अच्छी है कि कुछ एक को छोड़कर सभी के पोस्टरों में विकास की बात नज़र आ रही है, लेकिन विकास कैसा हो, लोगों की जरूरतें क्या हैं, लोग क्या चाहते हैं, इन सबका जिक्र ना ही किसी के पोस्टर में है और ना ही कोई इसकी चर्चा कर रहा है।

ashokउम्मीदवार घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी अशोक यादव बतौर बीडीसी गांव में जो कुछ विकास कार्य कर चुके हैं वो उसी के आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं । उनका कहना है कि उनके पास विकास का एजेंडा तैयार है, लेकिन बताऊं तो किसे बताऊं। कोई सुनने को तैयार नहीं। घर से बाहर लोग निकलते नहीं, फिर भी मैं हर संभव कोशिश कर रहा हूं, जीतूंगा तो गांव में विकास करके दिखाऊंगा । अशोक को चुनौती उन्हीं के पड़ोसी से मिल रही है ।

IMG-20151127-WA0007 गांव के पूर्व प्रधान रहे और वर्तमान  जिला पंचायत सदस्य जयप्रकाश यादव ने अपने भाई सुरेंद्र को चुनाव मैदान में उतारा है। आपको बताते चलें कि जयप्रकाश और उनकी पत्नी दोनों लंबे वक्त तक गांव का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। एक दशक तक गांव की सियासत में अपना दबदबा रखने वाले जयप्रकाश के बारे में गांव वाले कहते हैं कि भैया इनके कार्यकाल में खड़ंजा तो खूब बिछा लेकिन उससे ज्यादा उनके घर ट्रकें निकलीं

IMG-20151127-WA0008गांव के वर्तमान प्रधान श्रीमती बिंदू का परिवार एक बार फिर मैदान में कूद पड़ा है। इस बार बिंदू के पति महेंद्र उर्फ पप्पू अपनी किस्मत आजमाने उतरे हैं। पिछली बार सुरक्षित सीट थी, लड़ाई सीमित लोगों में थी, बिंदू और उनके पति पढ़ी-लिखी जमात से थे लिहाजा लोगों ने इनपर भरोसा किया और जिता दिया। इनके कार्यकाल में सबसे ज्यादा निराशा इन्हीं के वर्ग यानी हरिजन तबके के लोगों को हुई। मोहल्ले के अति पिछड़े लोगों की जो हालत पांच साल पहले थी आज भी कमोबेश वैसी ही है। कहते हैं प्रधानजी का अपना कारोबार इस दौरान खूब फला-फूला।

IMG-20151127-WA0006इसके अलावा तमाम और युवा अपनी किस्मत आजमाने मैदान में कूदे हैं, लेकिन विकास का अपना एजेंडा किसी के पास नहीं है। जबकि 12 मौजे के इस गांव में तकरीबन 80 फ़ीसदी परिवार आज भी खुले में शौच करने को मजबूर है ।

IMG-20151127-WA0005गांव में कहीं भी स्ट्रीट लाइट की कोई सुविधा नहीं है और ना ही इस तरफ किसी का ध्यान भी जा रहा है। बच्चों की पढ़ाई के लिए कोई अच्छा स्कूल नहीं है और ना ही कोई चिकित्सा की व्यवस्था, जो है वो खुद बीमार हालात में है। ऐसे में विकास के बिना बदलाव आएगा नहीं, लिहाजा सवाल वहीं का वहीं है कि आखिर पहल करे तो कौन करे।

सेहमलपुर के पड़ोसी गांव तालामझवारा ने बदलाव की ओर कदम बढ़ा दिया है। उम्मीदवार अपना एजेंडा लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं। यहां की महिला उम्मीदवार इंदू सिंह ने बाकायदा अपना घोषणा पत्र जारी किया है और जीत के बाद अगले पांच साल में इसे पूरा करने का भरोसा दिया है, जो एक अच्छी शुरुआत कही जा सकती है ।

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पंचायत चुनाव में इस गांव के इतिहास में पहली बार इस तरह का घोषणा पत्र लेकर कोई उम्मीदवार मैदान में उतरा है लिहाजा लोगों को यकीन करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि हमारा सामाजिक तानाबाना ही इतना उलझा हुआ है कि अच्छे काम की बात करने वालों पर आसानी से भरोसा नहीं होता। इंदू अगर जीतती हैं तो उनको अपने वादों पर अमल करना थोड़ा मुश्किल जरूर होगा लेकिन इच्छाशक्ति हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। यहां एक बात गौर करने वाली है कि इंदू के पोस्टरों में इंदू से ज्यादा उनके पति महोदय वोट मांगते नजर आ रहे हैं, जो थोड़ा अखरता है।

अब गेंद गांव के नागरिकों के पाले में है। अगर सिर्फ पास-पड़ोस और जात-पाति या किसी लालच में आकर वोट किया तो आपका भगवान ही मालिक है। लोकतंत्र में अपनी ताकत पहचानिए, उम्मीदवारों से सवाल करिए और अपने गांव को बदलने के लिए सोच समझकर मतदान कीजिए ।

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अरुण प्रकाश। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय। 


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