मुजफ्फरपुर में आज भी रची-बसी हैं कविवर रवींद्रनाथ टैगोर की यादें

वीरेंद्र नंदा  मुजफ्फरपुर में सन् 1901 में रवीन्द्रनाथ टैगोर को दिये गये सम्मान-पत्र की बांग्ला प्रति की प्रतिलिपि रंगकर्मी स्वाधीन

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सूखा है तो है, उन्हें तो सिर्फ सत्ता से मतलब है!

पुष्यमित्र / इन दिनों बिहार समेत लगभग पूरा देश भीषण सूखे का सामना कर रहा है, अगर 5-7 फीसदी लोगों

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गांधीजी के हत्यारे को देशभक्त बताने के पीछे की सोच को समझिए

उर्मिलेश उसने अपनी विचारधारा के अनुसार अपने ‘मन की बात’ ही तो कहीं है! उसके अनेक सियासी पूर्वज भी यही

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समस्तीपुर में धार्मिक समरसता की मिसाल खुन्देश्वर मंदिर

पुष्यमित्र दोस्तों के रेक्मेंडेशन पर समस्तीपुर के खुद्नेश्वर मन्दिर चला ही गया। तकरीबन 3-4 किमी जर्जर सड़क पर चलते हुए

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बिहार में मतदाताओं की उदासीनता कहीं ‘सियासी खिचड़ी’ तो नहीं पका रही ?

पुष्यमित्र एक मित्र ने फोन करके पूछा, कल पहले चरण का प्रचार खत्म हो जायेगा। अब बताइये क्या माहौल है?

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चुनाव कामरेड कन्हैया लड़ रहे हैं, भगवान परशुराम नहीं !

राकेश कायस्थ सोशल मीडिया पर सक्रियता के जो साइड इफेक्ट हैं, उनमें आपका ना चाहते हुए रियेक्रशनरी होना जाना भी

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बिहार की हॉट सीट बेगूसराय में किसकी बयार ?

पुष्यमित्र गिरराज बाबू नम्बर वन हैं, तनवीर हसन दू नम्बर पर और कन्हैबा तीन नम्बर पर। लिखकर रख लीजिये। यही

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