गांवों में दरकती शादियां और बिखरती ज़िदगियां

मनीष मनोहर

रौसरा निवासी कुमार गौतम की कृति। फेसबुक पेज से साभार।
रौसरा निवासी कुमार गौतम की कृति। फेसबुक पेज से साभार।

मैं बिहार के सुदूर उत्तरवर्ती जिला सुपौल का रहने वाला हूं और पढाई लिखाई करने के बाद पिछले 11 साल से इसी क्षेत्र में ज़िंदगी जी रहा हूं। इस दौरान आसपास के क्षेत्र जैसे सहरसा, मधेपुरा, मधुबनी और दरभंगा से भी बावस्ता रहा हूं। यह क्षेत्र मूलतः मिथिलांचल कहलाता है। सर्वविदित है कि विदेह जनक अपनी पुत्री सीता की शादी को लेकर बहुत चिंतित रहते थे। मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने शिवजी का धनुष तोड़कर सीता से शादी की। तार्किक रुप से देखा जाय तो पारिवारिक स्तर पर प्रबंधित विवाह का यह उच्चतम स्तर है, जहां दोनों पक्षों में कोई छुपा-छुपाई नहीं, दुराव नहीं और ना ही श्रेष्ठता का झूठा अहंकार।

इसके उलट मैंने इसी क्षेत्र में शादी का क्रूरतम सामाजिक और पारिवारिक रुप देखा है, जहां विवाह को व्यवसाय, झूठे अहंकार और सामाजिक रूप से कई कुरीतियों ने घेर लिया है। विवाहेत्ततर संबंध को लेकर कई घटनाएं घटीं, जिनको लेकर मन में सवाल उठते रहे। खराब वैवाहिक संबंध की परिणति विवाहेत्तर संबंध में हो, यह तो कुछ हद तक समझा जा सकता है। इसके अलावा भी कई और वजहें हैं जिसकी वजह से मैंने शादी के बाद कई ‘सीता’ को मरते देखा है। कई मां-बाप की बच्ची छिन जाती है हमेशा के लिए, बच्चे अनाथ हो जाते हैं। लाखों खर्च करने के बावजूद कई परिवारों पर बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी आ जाती है। बुजुर्ग मां बाप को जिस उम्र में अपनी सुध नहीं रहती, नवासे-नवासी की देखभाल करनी पड़ती है। मैं यहां किसी का नाम नहीं दे रहा हूं, क्योंकि यह सामाजिक प्रतिष्ठा का विषय है।

marriage-2यह घटना करीब 15-16 साल पहले की है। एक रिटायर्ड प्रोफेसर साहब ने अपनी इकलौती बेटी की शादी एक इंजीनियर से काफी दहेज देने के बाद की। दामाद चेन्नई में नौकरी कर रहे थे। शुरुआत में लड़की को अपने ससुराल में दिक्कत हुई तो इसे सामान्य माना गया कि नए परिवार में शुरू में परेशानी अमूमन हर लड़की को होती है। इस बीच दामाद चेन्नई से आते जाते रहे और लड़की गर्भवती हो गई। एक बच्ची का जन्म हुआ। लड़की के चेन्नई जाने की बात करने पर ना तो ससुराल वाले और ना ही उसके पति तरजीह देते थे। बार-बार जिद करने पर लड़की को अंततः चेन्नई ले जाया गया। लड़की को अपने पति के बर्ताव पर शक हुआ और वह नज़र रखेने लगी। उसने एक दिन अपने पति को रंगे हाथों दूसरी लड़की के साथ पकड़ लिया। पति ने अपनी गलती मानने की बजाय, लड़की को जानवरों की तरह पीटा। इसके साथ ही शुरू हुआ उसका मानसिक और भावनात्मक प्रताड़ना का सिलसिला। उसका पति रोज अपनी प्रेमिका को घर लाता था और विरोध करने पर पत्नी को पीटता था। यह हमारे देश का एक पढा लिखा युवा कर रहा था। अंततः लड़की अपने मायके लौट आई और पिता के घर रहने लगी। 4-5 साल की कानूनी लड़ाई के बाद लड़की को तलाक मिला और आज वह दिल्ली में नौकरी कर अपनी बेटी की परवरिश कर रही है।

marriage-4मैं बचपन से कुटुंब के बीच देखता आया हूं कि विवाह में झूठ की अहम भूमिका रही है। हमारा समाज विवाह पूर्व वर-वधु को देखने समझने को बुरा मानता है और इसको लेकर कई कुंठाएं हैं। मसलन देखने समझने के बाद बात नहीं बनी तो प्रतिष्ठा चली जाएगी। दूसरा कोई रिश्ता लेकर नहीं आएगा। कहा जाएगा कि फलां के लड़के या लड़की में ऐब है। ऐसे में मध्यस्थ परिवार या व्यक्ति की बात पर भरोसा किया जाता है। कई बार मध्यस्थ जम कर झूठा बखान करता है। भावी वर एवं उसके परिवार का भावी वधु पक्ष के पास। भावी वधु एवं उसके परिवार का वर पक्ष के पास। इसमें अपने मौन से साथ देते हैं दोनों पक्ष के लोग। दहेज में कोई कमी वर पक्ष को मंजूर नहीं होतीं, इसलिए बाकी चीजें गौण हो जाती हैं। दूसरी ओर, अगर वर अच्छे परिवार का हो और नौकरी भी ठीक ठाक हो तो वधू पक्ष भी बाकी चीजें नज़रअंदाज कर देता है। मसलन भावी वर की आदतें, स्वभाव और परिवार का संस्कार।

marriage-3घटना सहरसा जिले के एक ब्राह्मण परिवार की है। सरकारी प्राइमरी विद्यालय के सेवानिवृत शिक्षक की तीसरी और सबसे छोटी बेटी की शादी बगल के गांव के पंडितजी के छोटे बेटे से हुई। लड़का देखने, सुनने और कमाने में ठीक ठाक था, परिवार भी अच्छा था। बड़ा भाई सेना में अच्छे पद पर, बहन की शादी अच्छे घर में हो चुकी थी, गांव के अलावा सहरसा शहर में भी घर था। शादी भी सहरसा से हुई। शादी के बाद कुछ महीनों तक सब कुछ अच्छा रहा। इस दौरान पता चला कि दामाद जी को तली हुई चीजें खाना मना है, पेट ठीक नहीं रहता है। ससुराल जाने के बाद सास-ससुर ने बहु के सभी जेवर अपने पास रखवा लिए कि समय ठीक नहीं है। इस बीच छोटी- छोटी बातों को लेकर लड़की और सास के बीच तनातनी हो जाती और लड़की मायके आ जाती। उधर, दिल्ली में लड़के के आॅफिस में कर्मचारियों की छटाई हो रही थी और लड़के का स्वास्थ्य बेहतर नहीं रह रहा था। लड़के ने नौकरी छोड़ दी। सहरसा वापस आने के कुछ दिनों बाद से पत्नी और सास-ससुर के बीच तनाव के कारण वो भी परेशान रहने लगा। वह रिश्तों को सुधारने की कोशिश में कभी मां-बाप से, तो कभी पत्नी और कभी ससुराल वालों से उलझता रहा। इस सबके बीच पता चला कि लड़की गर्भवती है। इन तनाव व झगड़ों के बीच वह कुछ दिन सहरसा, कुछ दिन अपने गांव और कभी कभार ससुराल में वक्त बिताने लगा। स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आने लगी, हमेशा पेट गड़बड़ रहने लगा। पत्नी और ससुराल वाले इलाज कराने कहते तो वो टाल जाता था। ऐसे भी दिन आये कि तनाव के मारे वह तीन चार दिनों तक फाका करने लगा। बिस्किट खाकर दिन गुजारने लगा। ससुराल वालों को पता चला तो वे इलाज करवाने को तैयार हुए लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। इलाज के दौरान पीएमसीएच में लड़के ने दम तोड़ दिया। बाद में पता चला कि लड़के को पहले शराब की लत थी, जिस कारण लिवर सोरोसिस हो गया था। काफी परहेज से जिंदगी चल रही थी। डाॅक्टरों ने साफ तौर पर कह दिया था कि उनकी जिंदगी लंबी नहीं चलेगी। लड़के का एक मात्र बहनोई बीमा कंपनी में प्रतिष्ठित पद पर था, उसकी सलाह पर लड़के के नाम से कई बीमा पालिसी ले ली गई थी। शादी सिर्फ दहेज के लोभ में की गई थी। दहेज मिलने के बाद मां बाप ने अपने बेटे की परवाह करना छोड़ दिया था। अब लड़की अपने पिता के घर अपने बेटे के साथ रह रही है, उसे ना तो जेवर वापस मिले और ना ही पति के निधन के बाद जीवन बीमा पालिसी का पैसा।

रौसरा निवासी कुमार गौतम की कृति। फेसबुक पेज से साभार।
रौसरा निवासी कुमार गौतम की कृति। फेसबुक पेज से साभार।

हाल ही में एक चैंकाने वाला मामला सामने आया। सुपौल जिला के एक बहुत ही सामान्य ब्राह्मण परिवार ने पिछले ही साल एक-एक पाई जोड़कर अपनी बेटी की शादी की। हुआ यूं कि शादी के चार-पांच दिनों बाद लड़के ने लड़की को बताया कि वो नपुंसक है। यह शादी उसने अपनी मर्जी से नहीं बल्कि परिवारवालों के दबाव में की है। कुछ दिन लड़की ऊहापोह में रही, फिर मायके आ गई। कुछ माह बाद लड़का ससुराल आया। इस बार लड़की ने फिर से कोशिश की कि पति-पत्नी का संबंध बने लेकिन लड़के ने कोई रूचि नहीं दिखाई। अंततः लड़की ने यह बात अपने परिवार वालों को बताई तो हंगामा हो गया। अब लड़की अपने पति के साथ रहने को तैयार नहीं है और लड़का पत्नी के पास जाने को तैयार नहीं। तथाकथित समाज के पैरोकारों को ये बर्दाश्त नहीं है कि कोई स्त्री किसी पुरूष के पुरूषत्व को ललकारे। उनका दावा है कि लड़की का चरित्र खराब है, पूर्व प्रेम प्रसंग है इसलिए वह इस लड़के के साथ नहीं रहना चाहती। ऐसा होता आया है कि स्त्री अगर बच्चा नहीं जन सकती है, तो पुरूष दूसरी शादी कर ले और अगर पुरूष में पुरुषत्व ना हो तो स्त्री वंश की वृद्धि किसी अन्य से करे। विवाह के सात फेरों में लिपटे दर्द और बेबसी के ऐसे न जाने कितने किस्से मिथिलांचल में बिखरे पड़े हैं।


manish profile

मनीष मनोहर। सुपौल के झंझारपुर के निवासी। साहित्य में गहरी अभिरुचि रखने वाले मनीष ने समाज सेवा को अपना करियर चुना है। शुरुआती दिनों में पत्रकारिता संस्थानों में नौकरी की, लेकिन मन रमा नहीं। गांव लौट कर सझिया समांग नामक संस्था बनाई। इन दिनों हेल्प एज इंडिया के बैनर के तले बुजुर्गों की सेवा में जुटे हैं।


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