समांतर सिनेमा की राह बनाने वाले फिल्मकार की नज़र

अरविंद दास साल 2010 की गर्मियों के मौसम में हम पुणे स्थित फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआइआइ) में फिल्म एप्रीसिएशन

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काम पूरा लेंगे, लेकिन दाम अधूरा देंगे…वाह रे हमारी लोकतांत्रिक सरकार !

सुधांशु कुमार वर्षों की सुनवाई,  उसके दौरान शिक्षकों के प्रति जजों की पूरी सहानुभूति,  शिक्षकों के खून-पसीने की कमाई के

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शिक्षा के प्रति ‘सुशासन’ की पोल खोलता ‘सिमुलतला’

पुष्यमित्र जमुई गया तो सिमुलतला आवासीय विद्यालय को देखने के मोह से खुद को बचा नहीं सका। जब बिहार में

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महाराष्ट्र का एक ऐसा गांव जहां घर की तरह स्कूल भी हैं स्वच्छता की मिसाल

शिरीष खरे बीजापुर से आगे महाराष्ट्र के पश्चिमी छोर की ओर बढ़ा तो एक अलग ही नजारा दिखा ।  जितनी

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प्रजातंत्र में लहलहाता राजतंत्र का ‘रक्तबीज’

संजय पंकज सब जानते हैं कि आज की राजनीति नेताओं के लिए समाज-सेवा से ज्यादा सत्ता-सुख की भोग-चाहना है। वे

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