एक बार देवरिया भी आइये सीएम साहेब ताकि खुल जाए प्रशासन की नींद !

एक बार देवरिया भी आइये सीएम साहेब ताकि खुल जाए प्रशासन की नींद !

प्रदीप श्रीवास्तव

एक ऐसा गाँव जो दो जनपदों से सटा हुआ है, जहाँ एक जनपद के दो भाजपा सांसद समेत भाजपा विधायक है तो दूसरे जनपद के हैं सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ। हम बात कर रहे हैं देवरिया के भदिला प्रथम गाँव की जो अब बाढ़ के जद में पहुंच कर डूबने के कागार पर है। पानी का एक और झोंका इस गांव को पूरी तरह से डूबा देगा। ग्रामीण दर और दहशत के बीत जी रहे हैं। चारों तरफ पानी ही पानी। घरों में न खाने के लिए एक दाना बचा है और ना ही पीने के लिया साफ़ पानी। कोई कहीं आ-जा नहीं सकता। मवेशी भूखे मर रहे हैं। गांव वाले नदी का पानी काम होने के इन्तजार में हैं लेकिन घाघरा के रौद्र रूप देखकर ऐसा लगता है कि नदी का जलस्तर अभी कम नहीं होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर लखनऊ चले गए लेकिन देवरिया की सुध नहीं ली। प्रशासन गोरखपुर में व्यस्त है देवरिया के बाढ़ प्रभावित इलाकों की चिंता किसी को नहीं है। राजनितिक दलों के सदस्य पिकनिक मना कर चले जा रहे है लेकिन बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर कोई आगे नहीं आ रहा। देवरिया प्रशासन भी मूकदर्शक बना हुआ है।

ग्रामीणों की माने तो अब उनकी हिम्मत जवाब दे चूकी है, घर में जो पड़ा था वह ख़त्म हो चूका है, ऐसे में प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिलने से अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। बच्चे और बूढ़े दाने-दाने को मोहताज हो चुके है। हालात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब पत्रकारों की टीम इस गांव में नाव से कवरेज करने पहुंची तो बच्चों के चेहरे खिल से गये कि शायद कोई प्रशासनिक अधिकारी मदद लेकर आया है। जब उन्हें पता चला कि यह पत्रकारों की टीम है तो राहत सामग्री मिलने की उम्मीद ख़त्म हो गई लेकिन उनमे एक उम्मीद जगी कि अब शायद इस गाँव में बसे लोगों को बचाया जा सकता है।

इस मामले पर जब मैंने जिलाधिकारी सुजीत कुमार से बात कि तो उनका कहना था कि उप जिलाधिकारी ने भदिला गांव में खाने के पैकेट्स बंटवाए हैं और हर संभव मदद की जा रही है। अब सवाल यह उठता है कि एक तरफ ग्रामीण यह कह रहे है कि उन्हें अभी तक किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है, तो दूसरी तरफ जिलाधिकारी सुजीत कुमार बिना अपने ए.सी. चेम्बर से निकले ही यह दावा कर रहे है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर सम्भव मदद पहुंचाई जा रही है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की सूबे की सरकार महज कागजों में राहत सामग्री पहुंचा रही है। धरातल पर इनकी मदद नहीं पहुँच रही है।


प्रदीप श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार। करीब डेढ़ दशक मीडिया से जुड़े हुए हैं। देवरिया जिले के गांव, देहात और कस्बों की समस्याओं पर लिखते रहते हैं।