शहीद बेटे को 16 हजार फीट की ऊंचाई पर पिता का नमन

पुत्र की अंतिम इच्छापूर्ती के लिए एक पिता की तीर्थयात्रा।
पुत्र की अंतिम इच्छापूर्ती के लिए एक पिता की तीर्थयात्रा।

जनरल वी.के. सिंह

करगिल युद्ध में एक अति महत्वपूर्ण चोटी पर भारतीय परचम लहराने के प्रयास में 22 साल की आयु में कैप्टेन विजयंत थापर वीरगति को प्राप्त हुए। जाते जाते एक अविश्वसनीय जीत वे भारत की झोली में डाल गए जो संभवतः युद्ध का निर्णायक मोड़ था। कैप्टेन थापर अपने परिवार के लिए जो अंतिम सन्देश छोड़ कर गए, उससे किसी की भी आँखें नम होना स्वाभाविक है। उन्होंने पत्र में लिखा कि उन्हें किसी चीज़ का मलाल नहीं है, और अगले जन्म में यदि वे इंसान बने तो उनकी फिर से भारतीय सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने की कामना है। वे चाहते थे कि उनका बलिदान अन्य सैनिकों को प्रेरणा दे सके। साथ ही साथ वे यह भी चाहते थे कि मरणोपरांत उनके शरीर को अंगदान में उपयोग किया जाए। उन्होंने अपनी एक इच्छा भी व्यक्त की कि यदि संभव हो तो उनके परिवार वाले उन ऊँचे पर्वतों पर आयें और देखें जहाँ उनके जैसे सैनिक वीरतापूर्वक देश के लिए लड़ते हैं।

शहीद कैप्टेन विजय थापड़।
शहीद कैप्टेन विजयंत थापड़।

कैप्टेन विजयंत थापर के पिता कर्नल विजेंद्र थापर ने अपने शहीद बेटे की अंतिम इच्छा पूरा करने का बीड़ा उठाया। मगर कर्नल थापड़ 58 वर्ष के थे और 16,000 फ़ीट की ऊँचाई पर वह पर्वत एक असाध्य लक्ष्य था। जवान बेटे को खोने की पीड़ा इन्सान को तोड़ देती है। परन्तु पिता ने अपने शहीद बेटे को श्रद्धांजलि देने के लिए उस पर्वत की तरफ कदम बढ़ा दिए। बूढी टाँगे, पीड़ादायक तापमान एवं वायु-दबाव, और कठिन चढ़ाई। अपने बेटे का अंतिम पत्र थामे हुए एक एक कदम आगे बढ़ाते हुए कर्नल थापर चलते गए और आखिरकार वह विशाल पर्वत उनके दृणनिश्चय के आगे छोटा सिद्ध हो गया।

यह थी एक पुत्र की अंतिम इच्छापूर्ती के लिए एक पिता की तीर्थयात्रा। गर्व से कहिये कि हमारी सेना भारतीय सेना है। यहाँ देश की रक्षा बंदूकों से नहीं, बल्कि त्याग, मान, और चरित्र से करना एक मर्यादा है। वीर पिता-पुत्र को मेरा सलाम।


vk singhजनरल विजय कुमार सिंह, मिनिस्टर ऑफ डवलेपमेंट ऑफ नॉर्थ ईस्टर्न रीजन ।

 

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One thought on “शहीद बेटे को 16 हजार फीट की ऊंचाई पर पिता का नमन

  1. कर्नल थापर और उनके वीर शहीद पुत्र को शत् शत् नमन ।

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