देश के टॉप 10 गांव

देश के टॉप 10 गांव

देश में पिछले कुछ दिनों से आदर्श गांव गोद लेने की ख़बरें खूब सुर्खियों में रहीं, लेकिन पिछले एक बरस से ना तो मीडिया में किसी आदर्श गांव की चर्चा हो रही है और ना ही सरकारी अमला आदर्श गांव बनाने में कोई खास दिलचस्पी दिखाता नजर आ रहा है । इन सबके बीच कुछ साथियों ने आदर्श गांवों की अपनी लिस्ट बनाई और उसे शेयर किया आप भी अपने आदर्श गांवों की लिस्ट बनाकर बदलाव के साथ साझा कर सकते हैं । आदर्श गांवों की फेहरिस्त में आज बात पुष्यमित्र की ओर से तैयार की गई आदर्श गांवो की लिस्ट ।

पुष्यमित्र के 10 आदर्श गांवों की सूची

1- हिवरे बाजार- 54 करोड़पतियों का गांव

हिवरे बाजार महज कुछ दशक पहले महाराष्ट्र के सुखाडग्रस्त जिला अहमदनगर का एक अति सुखाड़ ग्रस्त गांव हुआ करता था. लोगबाग गांव छोड़कर शहर की ओर पलायन कर रहे थे. उसी दौर में एक युवक मुंबई से नौकरी छोड़कर गांव आ गया. उसने अन्ना के गांव रालेगन सिद्धी को अपना आदर्श बनाया और एक दशक से भी कम समय में इसके हालात बदल गए, अब इसे देश के सबसे समृद्ध गांवों में गिना जाने लगा है. यह सब किसी जादू की छड़ी से नहीं बल्कि यहां के लोगों की सामान्य बुद्धि से संभव हुआ है. यह सब उन्होंने सरकारी योजनाओं के जरिए प्राकृतिक संसाधनों, वनों, जल और मिट्टी को पुनर्जीवित कर किया. अब खेती और उससे जुड़े कार्यों के जरिये लोग भरपूर आय अर्जित कर रहे हैं. दूर दराज से लोग इस गांव की खुशहाली की कहानी जानने पहुंचते हैं।

2- पुनसरी- डिजिटल विलेज

कल्पना कीजिए एक ऐसे गांव की जहां इंटरनेट हो, स्कूलों में एसी और सीसीटीवी कैमरों के साथ मिड-डे-मील भी बढिय़ा मिले।इतना ही नहीं सीमेंटेड गलियां, पीने के लिए मिनरल वॉटर और ऐसी मिनी बस गांव के लिए उपलब्ध हो जो सिर्फ गांव के ही लोगों के आने-जाने के काम आए. यह कोई स्वप्न नहीं है, इस सपने को हकीकत की धरातल पर उतारा है गुजरात के हिम्मतनगर में स्थित पुनसरी गांव के लोगों ने। आज इस गांव की पहचान डिजिटल विलेज के रूप में है. केंद्र सरकार पुनसरी के मॉडल को अपनाकर ऐसे 60 गांव पूरे देश में तैयार करना चाहती है।

3- मेंढालेखा- पूरा गांव एक इकाई

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले का मेंढ़ालेखा गांव भी अजब है। एक दिन गांव की ग्राम सभा बैठी और तय कर लिया कि अब गांव में किसी की कोई व्यक्तिगत जमीन नहीं होगी. गांव के तमाम लोगों ने अपनी जमीन ग्रामसभा को दान कर दी और सामूहिक खेती के लिए तैयार हो गये. मेंढालेखा का इतिहास ही ऐसा है कि वहां लोग ऐसे काम के लिए सहज ही तैयार हो जाते हैं. यह देश का पहला गांव है जहां लोगों ने सरकार से लड़कर जंगल के प्रबंधन का अधिकार हासिल किया। अब उस गांव के आसपास के जंगल के मालिक खुद गांव के लोग हैं. वही जंगल की सुरक्षा करते हैं और वहां उगने वाले बांस को बेचते हैं।

4- मावलानॉंग- एशिया का सबसे स्वच्छ गांव

मेघालय राज्य के छोटे से गांव मावलानॉंग डिस्कवरी पत्रिका ने 2003 में एशिया के सबसे स्वच्छ गांव का खिताब दिया । यह गांव शिलांग से 90 किमी दूर है। अक्सर यहां की स्वच्छ आबोहवा का अवलोकन करने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। पर्यटक बताते हैं कि आप उस गांव में कहीं सड़क पर या आसपास पॉलिथीन का टुकड़ा या सिगरेट का बट भी नहीं देख सकते हैं। प्राकृतिक सौंदर्यता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है । पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस गांव स्वच्छता देख इसकी ओर खींचे चले गए थे । गांव में साफ-सफाई से लेकर रोजगार की सभी व्यवस्थाएं हैं ।

5- धरनई- ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर गांव

बिहार के जहानाबाद जिले का धरनई गांव संभवतः देश का पहला गांव है जो ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर  है। ग्रीनपीस संस्था के सहयोग से इस गांव ने अपना सोलर पावर प्लांट स्थापित किया है और इन्हें घर में रोशनी, पंखे और खेतों की सिंचाई के लिए चौबीस घंटे अपनी सुविधा के हिसाब से बिजली उपलब्घ है। इस गांव ने 30 साल तक सरकारी बिजली का इंतजार किया औऱ फिर एक नया रास्ता तैयार कर लिया। अब यहां लोग नहीं चाहते कि सरकारी बिजली उनके गांव तक पहुंचे। सरकारें आज ऊर्जा पर भारी जोर दे रही हैं लेकिन धरनई गांव दो साल पहले ही खुद की ऊर्जा से रौशन है ।

6- धरहरा- बेटियों के जन्म पर पेड़ लगाने की परंपरा

बिहार के ही भागलपुर जिले का धरहरा गांव पिछले कुछ सालों से लगातार सुर्खियों में रहा है. इस गांव में बेटियों के जन्म पर पेड़ लगाने की परंपरा है. इससे यह गांव एक साथ लैंगिक भेदभाव का खिलाफत कर रहा है और पर्यावरण के प्रति अपना जुड़ाव भी जाहिर करता है. इस गांव की थीम को लेकर एक बार बिहार सरकार ने गणतंत्र दिवस की झांकी भी राजपथ पर पेश की थी. हालांकि पिछले साल यह गांव दूसरी वजहों से विवाद में रहा. मगर इस गांव ने अपने काम से देश को जो मैसेज दिया वह अतुलनीय था।

7-विशनी टीकर- न मुकदमे, न एफआइआर

दिल्ली से लेकर बिहार तक हर तरफ अपराध की चर्चा हर दिन सुर्खिया बटोरती हैं । कोर्ट और थानों में जैसे मुकदमों की भरमार है लेकिन झारखंड के गिरिडीह जिले का यह गांव अनूठा है। पिछले दो-तीन दशकों से इस गांव का कोई व्यक्ति न तो थाने गया है और न ही कचहरी। इस दौर में जब गांव के लोगों की आधी आमदनी कोर्ट कचहरी में खर्च हो जाती है, यह गांव सारी आपसी झगड़े औऱ विवाद मिल बैठकर सुलझाता है। गांव की अपनी पंचायती व्यवस्था है, वही इन विवादों का फैसला करती है। सभी के साथ न्याय होता है और वो भी बिना किसी पक्षपात के । लिहाजा हर कोई पंचायत के फैसले पर आंखे मूंदकर भरोसा करता है ।

8- रालेगण सिद्धि- अन्ना का गांव

आप अन्ना के राजनीतिक आंदोलन पर भले ही सवाल खड़े कर सकते हैं, मगर उन्होंने जो काम सालों की मेहनत के जरिये अपने गांव रालेगण सिद्धि में किया है उस पर सवाल नहीं खड़े कर सकते। जल प्रबंधन औऱ नशा मुक्ति अभियान के जरिये अन्ना ने रालेगण सिद्धि को आदर्श ग्राम में बदल दिया. हिवरे बाजार जैसे गांव के लिए रालेगण सिद्धि पाठशाला सरीखी रही है. आज भी लोग उस गांव में जाकर समझने की कोशिश करते हैं कि अन्ना ने कैसे इस गांव की तस्वीर बदल दी । ये गांव एक मिसाल है उन लोगों के लिए जो सरकारी मदद की आस में बैठे रहते हैं और सरकार को कोसते रहते हैं ।

9- शनि सिंगनापुर- इस गांव में नहीं हैं दरवाजे

महाराष्ट्र का एक औऱ गांव। इसे भारत का सबसे सुरक्षित गांव माना जाता है। क्या आप सोच सकते हैं इस देश में कोई ऐसा भी गांव होगा जहां ना तो चोरी होती हो और ना ही डाका । यानी ना चोर का डर और ना पुलिस का चक्कर । इस गांव में किसी घर में दरवाजा नहीं हैं और किसी अखबार में इस गांव में चोरी की खबर नहीं छपी। गांव में कोई पुलिस चौकी नहीं है और न ही लोग इसकी जरूरत समझते हैं और तो और इस गांव में जो एक बैंक है यूको बैंक का उसमें भी कोई गेट नहीं है। जाहिर है यह कमाल गांव के लोगों के सदव्यवहार से ही मुमकिन हुआ होगा।

10- गंगा देवीपल्ली- आत्मनिर्भर गांव

अंत में आंध्रप्रदेश का यह आत्मनिर्भर गांव। इस गांव में इतनी खूबियां हैं कि इसके लिए एक पूरा पन्ना कम पड़ सकता है। यह गांव अपना बजट बनाता है। हर घर से गृहकर इकट्ठा होता है। हर घर अपना बचत करता है। सौ फीसदी बच्चे स्कूल जाते हैं। सौ फीसदी साक्षरता है। हर घर बिजली का बिल अदा करता है। हर परिवार परिवार नियोजन के साधन अपनाता है। समूचे गांव को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध है। 33 सालों से पूर्ण मद्यनिषेध लागू है। यह सब इसलिए कि गांव का हर फैसला लोग आपस में मिल बैठकर लेते हैं और हर इंसान गांव की बेहतरी के लिए प्रयासरत है।

PUSHYA PROFILE-1


पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।