किसानों का आंदोलन स्थगित, सवालों की फ़सल लहलहा रही है?

किसानों का आंदोलन स्थगित, सवालों की फ़सल लहलहा रही है?

फोटो- विवेक मिश्रा के फेसबुक वॉल से

सत्येंद्र कुमार यादव

पिछले 41 दिनों तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले किसानों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं। कोई मिनरल वाटर पर सवाल उठा रहा था, कोई उनके खाने की थाली पर नजर गड़ाए बैठा था तो कोई अर्धनग्न प्रदर्शन की आलोचना कर रहा था। बहुत से लोग तो किसान मानने से ही इनकार करते रहे। पेशाब पीने को लेकर भी तरह-तरह की बातें कहीं गईं। इन सवालों की हकीकत जानने के लिए किसानों के प्रदर्शन के 41वें दिन मैं भी जंतर मंतर गया। पहले तो काफी देर तक वहां हो रही गतिविधियां देखीं और बाद में किसानों से बात की। मदुरै से आए किसान चंद्रशेखर और नेशनल साउथ इंडिया रिवर इंटरलिंकिंग एग्रीकल्चरिस्ट एसोसिएशन के स्टेट प्रसिडेंट पी अय्याकन्नू (P. AYYAKKANNU) से हर पहलू पर बात हुई और उन्होंने चौतरफा उठ रहे सभी सवालों का जवाब दिया ।

किसानों के मुखिया पी. अय्याकन्नू से सबसे पहले मैंने यही सवाल किया कि आप सभी तमिलनाडु से दिल्ली क्यों आए हैं ? क्या राज्य सरकार ने आपकी बात नहीं सुनी ?

पी. अय्याकन्नू– तमिलनाडु के किसानों ने खेती और रोजगार के लिए नेशनल बैंकों से कर्ज लिया था। सहकारी बैंक से लिया गया कर्ज जयललिता सरकार ने माफ कर दिया था,  लेकिन नेशनल बैंक वसूली के नाम पर जोर-जबरदस्ती पर उतर आए। किसानों को धमकाया जाने लगा। आज आलम ये है कि किसानों को पुलिस की मदद से प्रताड़ित किया जा रहा है और जेल में डाला जा रहा है। नतीजा ये हुआ कि बैंकों के वसूली अभियान और कर्ज के बोझ से परेशान किसान खुदकुशी करने लगे। आंकड़ों की माने तो पिछले कुछ समय में 400 किसानों ने मौत को गले लगा लिया।

यही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मोदी सरकार ने नदियों को जोड़ने का ऐलान किया था। कावेरी नदी जल बंटवारे के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं किया गया। पिछले एक दशक से जमीन प्यासी है और बंजर होने लगी है। दो बार सरकार सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित कर चुकी है, लेकिन ना तो समुचित मुआवजा दिया गया और ना ही पानी मुहैया कराने के लिए कोई रास्ता निकाला गया। दिल्ली आने का हमारा मकसद अपनी बात पीएम मोदी तक पहुंचाना था। पांच साल से हम अपने राज्य में प्रदर्शन कर रहे थे, अपनी मांगें रख रहे थे लेकिन दिल्ली तक आवाज नहीं पहुंच रही थी। पंजाब के किसानों को 90 फीसदी पानी मुहैया कराया जाता है, लेकिन हमें 25 फीसदी भी नहीं। बारिश नहीं होने से हमारी खेती को नुकसान होता है, केंद्र सरकार कावेरी मामले को सुलझाने में दिलचस्पी नहीं ले रही है। इसलिए दिल्ली आकर हम लोगों ने सरकार को जगाने की एक कोशिश की।

दिल्ली में नंगे प्रदर्शन करने की क्या जरूरत थी ?

पी अय्याकन्नू  हमे ये सब करने के लिए बैंक वालों ने मजबूर किया। बैंक के वसूली एजेंट जब हमारे घर आते तो गंदी-गंदी गालियां देते।  वो कहते थे- ‘खाने के अनाज हैं, पहनने के कपड़े हैं तो कर्ज देने में परेशानी क्यों ? तुम लोग इतने ही गरीब हो तो खाने और कपड़े खरीदने के पैसे कहां से आते हैं?  नंगे क्यों नहीं रहते ?’ ऐसी तमाम तरह की बातें करते थे। इसी वजह से हम लोगों ने अर्धनग्न प्रदर्शन करने का फैसला लियाॉ।

पेशाब पीना स्टंट था क्या ?

पी अय्याकन्नू  पेशाब पीने का मामला सांकेतिक था। कावेरी जल बंटवारे को लेकर हम लोग केंद्र सरकार से हस्तक्षेप चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है, इसी बात से नाराज होकर किसानों ने ये संकेत दिया कि अगर केंद्र सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी तो हम लोग दिल्ली से पेशाब ले जाकर अपने खेतों में डालेंगे, उसे पीएंगे..।  ये सब सांकेतिक रखने का फैसला था लेकिन किसानों का दर्द इतना ज्यादा है कि कुछ लोगों ने पेशाब पीने से भी परहेज नहीं किया। मकसद सिर्फ सरकार को जगाना था और अपनी बात उन तक पहुंचाना था, क्योंकि 5 साल के प्रदर्शन से सरकार की नींद नहीं खुल रही थी ?

 मदुरै से आए चंद्रशेखर ने भी यही बात कही। उनका कहना था कि सालों साल तक बारिश नहीं होती, सूखा ही सूखा रहता है । नदियों को जोड़ने से तमिलनाडु के किसानों की समस्या दूर हो सकती है, जो बिना केंद्र की मदद के संभव नहीं, लेकिन केंद्र सरकार कर्नाटक को नाराज नहीं करना चाहती। सबको वोट बैंक की चिंता ज्यादा है किसानों की कम। शायद यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू नहीं कराया जा रहा। अगर नदियों को जोड़ दिया जाए तो हमें कर्ज माफी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। किसान खुशहाल होंगे और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का वादा भी पूरा होगा। मोदी सरकार ने भी वादा किया था लेकिन भूल गई। इसलिए दिल्ली आना पड़ा ।

फोटो- साभार सत्येंद्र यादव

होटल से खाना और मिनरल वाटर कौन दे रहा था ?

पी अय्याकन्नू  मुझे पता नहीं क्यों ऐसे सवाल किये जा रहे हैं ? कौन दे रहा है आप लोग पता लगाइए। यहां जो भी आ रहा है वो दो चार बोतल पानी रख दे रहा है। कुछ समाजसेवी यहां पानी रख गए हैं आप भी ले लीजिए। उत्तर भारत के किसान संगठनों ने भी हमारे आंदोलन का समर्थन किया है। वो भी आए थे और हर संभव मदद का वादा कर गए। हम लोग भूख हड़ताल पर नहीं हैं। हम सिर्फ शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी मांगों को मोदी सरकार तक पहुंचाने की कोशिश में हैं। पानी कोई भी दे उससे मुद्दा खत्म नहीं हो जाएगा। हमारे लोग प्लास्टिक के डब्बे में रखे पानी पी रहे हैं अगर कोई मिनरल वाटर दे जा रहा है तो उसका इस्तेमाल करने में बुराई नहीं ।

तमिलनाडु के सीएम से क्या बात हुई और क्यों प्रदर्शन स्थगित किया गया ?

पी अय्याकन्नू  हमने 5 मांगे उनके सामने रखी  । जिस पर उन्होंने एक महीने का वक्त मांगा और पीएम से मुलाकात कर मामले का हल खोजने का वादा किया। सीएम ने आश्वासन दिया कि एक महीने में हमारी मांगें पूरी करने का रोडमैप बना लिया जाएगा और कुछ मांगें पूरी कर दी जाएंगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो 25 मई के बाद हम फिर दिल्ली आएंगे और बड़ा आंदोलन करेंगे। क्योंकि केंद्र सरकार ही हमारे मामलों को सुलझा सकती है।

पीएम मोदी से पहली मांग-  सहकारी बैंको ने कर्ज माफ कर दिया है, नेशनल बैंक वाले परेशान कर रहे हैं। साल 2016 में 200 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। लिहाजा किसानों की बदहाली को देखते हुए नेशनल बैंकों से लिए गए कर्ज को माफ किया जाए।

पीएम मोदी से दूसरी मांग- चुनाव से पहले नदियों को जोड़ने का वादा किया गया था । पीएम का ये ड्रीम प्रोजेक्ट भी है। हम मांग करते हैं कि प्रोफेसर एसी कामराज की सिफारिश को लागू किया जाए। कई नदियां केरल से होते हुए अरब सागर में जाकर गिर जाती हैं। नदियों के पानी का कोई इस्तेमाल नहीं होता है। इन नदियों को जोड़ा जाए और 7 जिलों में 14.7 लाख हेक्टेयर भूमि को पानी मुहैया कराया जाए।

पीएम मोदी से तीसरी मांग- अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया जाए और एक मूल्य नियंत्रण कमिशन का गठन किया जाए, जो ये तय करे कि किसानों का नुकसान ना हो ताकि वो अपना कर्ज वक्त पर अदा कर सकें।

पीएम मोदी से चौथी मांग- 60 साल से ऊपर के किसान जो खेतों में काम करने में अक्षम हैं, जिनके पास आय का कोई और साधन नहीं होता उन्हें प्रधानमंत्री पेंशन योजना के तहत 5 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दिया जाए।

पीएम मोदी से पांचवीं मांग- पुदुकोट्टी जिले में बने हाइड्रोकॉर्बन प्रोजेक्ट को बंद किया जाए। क्योंकि प्रोजेक्ट की वजह से किसानों की जमीन की उर्वरता नष्ट हो रही है। ऐसे प्रोजेक्ट्स को तत्काल बंद कर दिया जाए ।

पांचों मांगें किसानों की जिंदगी और वजूद से जुड़ी हैं, इसलिए राज्य और केंद्र की नैतिक जिम्मेदारी है कि इन मांगों पर तत्काल अमल करेपी अय्याकन्नू

 ये बातें तो तमिलनाडु में भी रखी जा सकती थीं ? सीएम वहां भी मिल सकते थे ?

पी अय्याकन्नू  हमारी 5 मांगों को पूरा करने में केंद्र सरकार की मदद चाहिए । बिना केंद्र की मदद से वो पूरी नहीं होंगी । राज्य सरकार इस मसले को लेकर दिल्ली नहीं आ रही थी। इसलिए किसानों को ही दिल्ली आना पड़ा। करीब 160 की संख्या में किसान दिल्ली आए। 40 दिन से कोई हमें पूछ नहीं रहा था लेकिन जब उत्तर भारतीय किसानों का आना शुरू हुआ तो सीएम भागते हुए दिल्ली आए और केंद्र से बात कर मामले को सुलझाने की बात कही। सीएम ने सिर्फ एक महीने का वक्त लिया है । हमारा आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, सिर्फ स्थगित किया गया है ।

ACP एस के गोस्वामी के साथ अय्याकन्नू । फोटो- सत्येंद्र यादव

नेशनल साउथ इंडिया रिवर इंटरलिंकिंग एग्रीकल्चरिस्ट एसोसिएशन के स्टेट प्रसीडेंट पी अय्याकन्नू ने केंद्र सरकार पर धोखा देने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि- ना तो हमारी उपज का सही मूल्य मिल रहा है और ना ही आपदा राहत कोष से मदद की जा रही है। सूखाग्रस्त क्षेत्र होने के बावजूद हमारी समस्याओं की अनदेखी हो रही है। पी अय्याकन्नू ने आरोप लगाया कि सरकार कॉर्पोरेट घरानों के अरबों रुपए माफ कर दे रही है लेकिन किसानों के उत्पादन का उचित मूल्य दिलवाने में भी आनाकानी कर रही है।

पी अय्याकन्नू को हिंदी नहीं आती है वो या तो तमिल में बात कर रहे थे या इंग्लिश में। ऊपर जितनी भी बातचीत है उनके द्वारा इंग्लिश में दिए गए वक्तव्यों का अनुवाद है। जब ये आंदोलन स्थगित हुआ मैं जंतर-मंतर पर ही मजूद था। राजधानी के जंतर-मंतर पर तैनात क्षेत्राधिकारी एस के गोस्वामी मौके पर मौजूद थे। उन्होंने किसानों से मुलाकात की और आंदोलन के दौरान शांति बनाए रखने के लिए किसानों का धन्यवाद किया । आंदोलन स्थगित होने के बाद कुछ किसान गया चले गए और कुछ किसान ट्रेन से तमिलनाडु रवाना हो गए।

जो लोग ये कह रहे हैं कि किसान प्लेन से गए तो उनकी जानकारी के लिए बता दूं प्लेन से जाने वालों में किसानों के वकील और कुछ वहां के स्थानीय थे जो आंदोलन के आखिरी चरण में आए थे।                                                                                                सत्येंद्र यादव के फेसबुक वॉल से साभार


satyendra profile imageसत्येंद्र कुमार यादव,  एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रिय । मोबाइल नंबर- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।