नोटबंदी की ‘सियासी मंडी’ में अन्नदाता की सुध किसे ?

ब्रह्मानंद ठाकुर  किसानों के खून-पसीने से उपजाई गयी फसल जब कौडियों के मोल बिकने लगे तो उनका दर्द समझना सब

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