सुकराती पर्व की सोन्ही यादें और बैलों की घंटी का संगीत 

ब्रह्मानंद ठाकुर इस दुनिया मे चिरंतन ,शाश्वत और अपरिवर्तनशील कुछ भी नहीं है। वस्तुजगत का कण – कण परिवर्तनशील है।

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