बदलाव के रास्ते ‘उम्मीद की पाठशाला’ का सफर

शिरीष खरे उम्मीद की पाठशाला एक किताब भर नहीं बल्कि एक दस्तावेज है, जिसमें गोवा, महाराष्ट्र, मध्य-प्रदेश और छत्तीसगढ़ के

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शिक्षा का बाजारीकरण एक डरपोक, अवसरवादी और भ्रष्ट समाज पैदा करता है!

पुष्य मित्र JNU छात्रों के आन्दोलन के बीच कुछ लोग IIT-IIM का जिक्र लेकर आ गये हैं कि वहां की

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काम पूरा लेंगे, लेकिन दाम अधूरा देंगे…वाह रे हमारी लोकतांत्रिक सरकार !

सुधांशु कुमार वर्षों की सुनवाई,  उसके दौरान शिक्षकों के प्रति जजों की पूरी सहानुभूति,  शिक्षकों के खून-पसीने की कमाई के

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संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा की ओर बढ़ते कदम

शिरीष खरे/ हर कक्षा में ‘मूल्यवर्धन’ की गतिविधियों को संचालित करने के लिए दो प्रकार की गतिविधि पुस्तिकाएं होती हैं।

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शिक्षा पर बाज़ार के कब्जे की स्वायत्‍तता

डॉक्टर गंगा सहाय मीणा देश के तमाम अच्‍छे डॉक्‍टर, इंजीनियर, प्रोफेसर, कुलपति, एकेडमिशियन, आलोचक, प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक इसी देश के सरकारी उच्‍च

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‘सुशासन बाबू का फ़ैसला गांधीद्रोह से कम नहीं’

ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार सरकार के एक फैसले को लेकर पिछले दिनों अखबारों में ‘बुनियादी विद्यालयों को खत्म करने पर तुली

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