खामोशियां… मनमोहन से मोदी तलक

रविकिशोर श्रीवास्तव हज़ार जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी…अगस्त 2012 का वो वक्त… जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह संसद परिसर

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मनमोहन-मोदी का फर्क, जवाब में नहीं मीडिया के सवाल में ढूंढिए

राकेश कायस्थ यह समय भारतीय समाज के स्मृति लोप का है। याद्दाश्त गजनी की तरह आती-जाती रहती है। जो लोग

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पटाखे धीरे चलाओ, स्क्रीन हिली तो सीटें कम हो जाएंगी!

धीरेंद्र पुंडीर ये जीत का जश्न फीका है, ये हार का स्वाद मीठा है। ये गुजरात की उलटबांसी है। सिर्फ

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देश की तहज़ीब ‘अकबरुद्दीनों’ और ‘तोगड़ियों’ के ख़िलाफ़- राणा यशवंत

राणा यशवंत साभार फेसबुक। 3 जुलाई 2017। मेरे मित्र अभिसार शर्मा ने आज अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान पर एक पोस्ट

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सूबे में 15 साल, केंद्र में 3 साल… अब ‘सुकमा अटैक’ क्यों?

अमरेंद्र गौरव ”सीआरपीएफ जवानों की बहादुरी पर हमें गर्व है और उनकी शहादत बेकार नहीं जाएगी”। सुकमा में बड़े नक्सली अटैक

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थोड़ी सी जगह लिबरल डेमोक्रेट को भी दे दीजिए

राकेश कायस्थ राजनीतिक शब्दावली में जिसे लिबरल डेमोक्रेट कहते हैं, मैं उसी तरह का आदमी हूं। वामपंथियों और दक्षिणपंथियों के

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