आतंकी और बहादुर बच्चा

डेमो
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राजेश मेहरा

राजू घर में खेल रहा था तभी उसके पापा ऑफिस से आये और बोले बेटा टीवी चलाओ जरा। राजू ने पूछा क्या बात है पापा आज आप आते ही टीवी चलाने की बात कह रहे हो ?  पापा बोले- आज रेलवे स्टेशन पर आतंकी हमला हुआ है उसकी ख़बरें आ रही हैं। राजू ने टीवी चलाया और न्यूज़ चैनेल लगाया तो पता चला कि वहां पर बम फटा था । आतंकियों ने रेलगाड़ी के एक डब्बे में बम रख दिया था उससे विस्फोट हुआ और कई लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हुए थे। उसके पापा बोले यदि लोग थोड़ी सी भी सावधानी बरतें तो ऐसी वारदातें हो हीं ना।

कहानी

राजू ने पूछा- पापा मैं समझा नहीं तो इस पर उसके पापा बोले यदि किसी लावारिस वस्तु को हम लोग देखें तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। ताकि पुलिस उस सामान में यदि बम है तो उसको तुरंत निष्क्रिय कर दें। राजू ने कहा पापा तो ये लोग बम खुले में नहीं रखते? पापा बोले, बेटा ये आतंकी बड़े चालाक हैं, ये लोग बम को किसी सामान जैसे कि ब्रीफकेस, खिलौने, ट्रांजिस्टर इत्यादि में रख देते हैं जिससे कि वह चीज बम न लगकर एक सामान्य चीज लगे और उसी की आड़ में ये लोग विस्फोट कर देते हैं। ऐसी चीजों को वो लोग संदिग्ध अवस्था में भीड़ में रख देते हैं। लोगों को पता होते हुए भी की ये चीज संदिग्ध है फिर भी पुलिस को डर के मारे बताते नहीं हैं। लोगों की थोड़ी सी लापरवाही कई लोगों की जान ले लेती है। राजू बोला, पापा मैं बिलकुल भी ऐसा नहीं करूंगा और जहां भी ऐसी संदिग्ध अवस्था में कोई सामान देखूंगा तो शोर मचाऊँगा और पुलिस को भी सूचित करूंगा। उसके पापा मुस्कुरा के बोले शाबाश ।

राजू अगले दिन स्कूल से वापिस आ रहा था तो उसने देखा कि दो व्यक्ति सामने से आ रहे हैं और उन दोनों के हाथो में एक-एक बैग था। वो लोग बहुत ज्यादा सतर्क नजर आ रहे थे क्योंकि वो दोनों बार-बार पीछे मुड़ कर देख रहे थे। उन्होंने बैग को अपनी छाती पर लगा रखा था। सुनसान सड़क थी केवल राजू और वो दोनों ही दिखाई दे रहे थे। थोड़ी देर में वो दोनों उसको पार कर गए। जब वो पास से गुजरे तो वो दोनों बहुत धीमी आवाज में बातें कर रहे थे। राजू ने उनके शब्द सुने तो राजू को उनकी भाषा अजीब सी लगी और उससे लगा कि ये लोग इस इलाके के बिलकुल भी नहीं हैं। राजू और भी चौकस हो गया। अब राजू उन लोगों को कनखियों से देख रहा था लेकिन वो दोनों लगातार पीछे मुड़ कर देख रहे थे। वो लोग एक मोड़ पर आकर रुके और उन बैगों को वहीं छोड़ कर मोड़ से आगे निकल गए। वो अब पीछे मुड़ कर नहीं देख रहे थे। राजू को अचानक अपने पापा की बात याद आ गई और उसे शक हो गया कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है।

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राजू की आँखों से वो दोनों ओझल हो गए थे क्योंकि मोड़ होने के कारण उसे अब कुछ नहीं दिखाई दे रहा था। राजू अब घबरा गया कि करें तो क्या करें। वो उनके पीछे जाता है तो इन लावारिश बैगों की खबर पुलिस को कैसे दे और यदि वह खबर देने गया तो वो संदिग्ध व्यक्ति भाग जायेंगे। राजू ने तुरंत पास के घर की डोर बेल बजाई दोपहर का वक्त था इसलिए उस घर में से एक बुजुर्ग व्यक्ति निकले। राजू की उस समय तक हालत ख़राब हो रही थी। उसने एक सांस में ही उस बुजुर्ग को सारी बात बता दी। बुजुर्ग पहले तो असमंजस में रहे फिर उसने राजू को अन्दर आने को कहा। राजू ने इजाजत लेकर उस घर के फ़ोन से पुलिस को सूचित किया और उसके बाद तुरंत अपने पापा को भी फोन पर सारी बात बताई और उनसे कहा कि वो उन दोनों व्यक्तियों के पीछे उस मोड़ की तरफ जा रहा है। पापा ने उसे सतर्क रहने की हिदायत दी।

राजू ने बात ख़त्म ही की तो वह बुजुर्ग उसके लिए गिलास में पानी लिए खड़े था। उसने राजू को पीने को पानी दिया तो राजू एक ही घूँट में पी गया। राजू ने उन्हें धन्यवाद कहा। बुजुर्ग राजू से बोले- धन्यवाद का काम तो तुम कर रहे हो बेटे। इतना सुनकर राजू अपना स्कूल बैग सँभालते हुए उस मोड़ की तरफ भागा, वो बैग अभी भी वहीं थे। राजू उनको पार करके उन व्यक्तियों की तरफ भागा । आगे वो पहुंचा तो देखा वो एक बस अड्डा था और वहां भीड़ थी इसीलिए उन्होंने ये बैग यहाँ रखे थे ताकि ज्यादा लोग इन बैगों के विस्फोट से मरें। अब राजू उन दोनों को तलाश रहा था।

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15 मिनट तक ढूँढने पर उसने देखा कि वो एक बस में खिड़की के पास बैठे हैं और बस बाहर निकलने वाली ही थी। राजू को आव सूझा ना ताव, वह उस बस में चढ़ा और सबसे पहले ड्राईवर को उन दोनों व्यक्तियों के बारे में बताया और फिर कंडक्टर को। उन दोनों व्यक्ति को एहसास हो गया कि राजू वही लड़का है जो उनके सामने से गुजरा था। वो चुपचाप भागने वाले थे कि ड्राईवर और कंडक्टर ने पब्लिक की सहायता से दोनों को पकड़ लिया। इतने में पुलिस का सायरन बजने लगा । वहां पर पुलिस ने बम निरोधक दस्ते की मदद से उन बैग में रखे बम को निष्क्रिय कर दिया था। पब्लिक ने उन दोनों संदिग्ध व्यक्तियों को भी पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने लोगों का धन्यवाद किया तो ड्राईवर बोला सर ये काम तो इस बच्चे का है इसी ने इनको पकड़वाया है। वह पुलिस अधिकारी बोला अच्छा तुमने ही बम की भी खबर दी थी तो राजू ने हां में गर्दन हिलाई। तब पुलिस अधिकारी ने कहा- शाबाश बेटा यदि आप जैसे सब लोग हो जाएँ तो ये आतंकी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकते।

राजू के लिए सब लोगों ने ताली बजाई और पुलिस ने राजू को इनाम देने की भी घोषणा की। दूर खड़े राजू के पापा उसे देखकर गर्व से मुस्कुरा रहे थे ।


Rajesh meharaराजेश मेहरा, नई दिल्ली के निवासी। कहानीकार।