सेवाग्राम का सबक- स्वच्छता, प्रार्थना और स्वावलंबन

सेवाग्राम का सबक- स्वच्छता, प्रार्थना और स्वावलंबन

संदीप नाईक

बहुत सारी खराब बातों के बावजूद बहुत सारी अच्छी बातें सेवाग्राम के आश्रम में मौजूद हैं, इनमें से प्रमुख हैं – स्वच्छता , प्रार्थना और स्वावलंबन। पूरे परिसर में स्वच्छता अपने आप में बहुत बड़ी बात है जो आपको हर जगह नजर आयेगी, दिनभर लोग आपको सफाई करते नजर आएंगे। 

फोटो सौजन्य- आशीष सागर दीक्षित

बापू की धरोहर भी महत्वपूर्ण हिस्सा है इस विरासत का – जिस तरह से गांधी की सारी सामग्री को एक परिसर में संजोया गया है वह अकल्पनीय है। हर कुटी का अपना इतिहास और अपनी कहानी है। हर कुटी में तख्तियां लगी है कि यहां कौन आया था , इनका क्या उपयोग हुआ था और इनका क्या संदर्भ है। बापू की धरोहर – यथा टाइपराइटर , पेन, घड़ी , चश्मा , कपड़े, छड़ी, संडास, टेलीफोन , बर्तन , बाल्टियां , टब, टेबल पलंग , मसाज टेबल आदि बहुत सावधानी से रखे भी गए हैं और सुरक्षित भी किए गए हैं ताकि आने वालों को सारी चीजें तसल्ली से देखने को मिले और वह स्वतंत्रता के इस मसीहा की उपयोग की हुई सामग्री को देख सकें।

गांधी के 150 वर्ष – माध्यम या सन्देश

विकास संवाद का बारहवां आयोजन सेवाग्राम, वर्धा 

फोटो सौजन्य- आशीष सागर दीक्षित

बापू की कुटी बनाने के लिए मीरा बहन को कहा गया था कि यदि वह सौ रुपए से अधिक सामग्री की होगी तो बापू नहीं रहेंगे अस्तु मीरा बहन ने सारी सामग्री आसपास से जुटाई – बांस, मिट्टी , पत्थर, घास और फिर उस पर गोबर से लिपाई करके इतना मजबूत बनाया कि आज के सीमेंट और बालू के ढाँचे भी उसके सामने टिक नहीं पाएं। प्रबंधकों ने बताया कि दुनिया के बेहतरीन 3 आर्किटेक्ट को बुलाकर जब हमने नए ढांचे बनवाने के लिए कहा था तो आग्रह किया था कि बापू की कुटी को जरूर देखा जाए ; उनमें से एक विश्व विख्यात आर्किटेक्ट की आंखों में पानी आ गया कि कैसे इतना मजबूत काम मात्र ₹ 100 में हो गया।

फोटो सौजन्य- आशीष सागर दीक्षित

प्रतिदिन सुबह शाम होने वाली प्रार्थनाएं यहां का प्रमुख आकर्षण है, जिसमें बीच मैदान में बैठकर शाम को ठीक 5:45 पर सांध्यकालीन प्रार्थना होती है। सुबह की मैं अटेंड नहीं कर पाया था, इसलिए नहीं कहूंगा पर शाम वाली प्रार्थना आत्मा के कोर-कोर को जागृत करने का कार्य अवश्य करती है। कोई आडंबर नहीं, कोई पूजा पाठ नहीं, हार फूल नहीं, मात्र गांधी का फोटो और एक चरखा रखा होता है। सर्व धर्म प्रार्थना जापानी प्रार्थना से शुरू होती है और अंत गुरुवाणी से होता है। इसके बाद एक भजन होता है – तत्पश्चात रघुपति राघव राजा राम की धुन गाई जाती है और किसी एक किताब के एक पृष्ठ का वाचन होता है। हमने भगवान सिंह द्वारा लिखित किताब “अंबेडकर और गांधी” के तीन पन्ने 3 दिन तक रोज़ सुने। मुझे याद आया कि जब यह किताब छप कर आई थी तो हंस के संपादक स्व राजेंद्र यादव ने इस किताब पर एक लंबा संपादकीय लिखा था और इस बहाने दलित और हरिजन शब्द के मायने सामने रखते हुए एक नए सिरे से बहस को प्रस्तुत किया था। पूना पैक्ट,अम्बेडकर गांधी की बहस को हमने समझा था।

स्वालंबन – सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक सिद्धांत है जो सेवाग्राम ने अभी तक अपने अंदर बनाए रखा है। अच्छी बात यह है कि आश्रम में प्रवेश से लेकर देखने और फोटो खींचने शूटिंग करने की निशुल्क सुविधा है। कहीं भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता, कोई रोक-टोक नहीं और बिल्कुल भी डाँट फटकार नहीं। कोई भी आपको विशाल वृक्षों के नीचे घूमने से रोकता नहीं । मौलश्री से लेकर नीम पीपल बरगद के इतने घने और ऊंचे पेड़ है कि अब अगर हम बोयें भी तो इन्हें बड़ा होने के पहले ही विकास नामक भस्मासुर निगल जाएगा।

दूसरा भोजनालय में जो भी सामग्री बनाई जाती है वह सादी, शुद्ध और सात्विक होती है। मांसाहार का प्रयोग सर्वथा अनुचित है। पूरे परिसर में गुटखा , सिगरेट, पान, तंबाकू , शराब और मांसाहार पर कड़ा प्रतिबंध है। यात्री निवास या गेस्ट हाउस के कमरों में यदि कोई करता भी होगा तो संभव है छुप कर करता हो , पर मुझे लगता है यहां आने पर सबके मन में एक पवित्र भाव आ ही जाता है जो उन्हें इस तरह के कर्म करने से रोकता है।

भोजनालय में कार्यकर्ताओं से पूछने पर उन्होंने बताया कि लगभग सारा अन्न , दूध, मसाले और सब्जियां आस-पास की ही हैं और सब जैविक खेती से उपजाई जाती हैं। महिला बचत गट अर्थात महिलाओं के स्व सहायता समूह बने हैं जो यह काम करते हैं और आश्रम में प्रतिदिन सप्लाई करते हैं। खाने में गुड़ रखा होता है। साथ ही दही या छाछ जरूर होता है जो बापू को प्रिय था। हमें पहले दिन भोजन में मीठा नहीं परोसा गया था क्योंकि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी का देहावसान हो गया था और यह राष्ट्रीय शोक का विषय था। इस बात को लेकर हमें अच्छा लगा कि भोजन में भी इस तरह से सावधानी बरती गई थी।

पूरे परिसर में यह तीन सिद्धांत आज भी हर कसौटी पर खड़े हैं- इसलिए गांधी भी है सेवा आश्रम भी है और लोग भी हैं पूर्ण सभ्यता, शुचिता और संस्कृति को बचाते हुए।


संदीप नाईक। सामाजिक कार्यकर्ता और चिंतक-विचारक।  सी- 55 , कालानी बाघ, देवास, मप्र , 455001। आप इनसे मोबाईल – 9425919221 या मेल आई डी [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं।