समान और मुफ्त शिक्षा के लिए क्रांति

समान और मुफ्त शिक्षा के लिए क्रांति

बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर

क्रांति दिवस, 9  अगस्त 1942 की 76वीं वर्षगांठ पर मुजफ्फरपुर शहर के छात्रों, शिक्षकों, बुद्धिजीवियों एवं समाजसेवियों ने देश भर में समान और मुफ्त शिक्षा प्रणाली लागू होने तक आंदोलन जारी रखने के संकल्प के साथ मनाया। इस मायने में मुजफ्फरपुर ने एक इतिहास रच दिया। सैंकडो की संख्या में महिलाओं ,पुरुषों और स्कूली छात्रों ने चिलचिलाती धूप की परवाह किए बिना एक जुलूस की शक्ल में शहर की सडकों पर निकल पडे।  जाने – माने शिक्षाविद और अखिल भारतीय शिक्षा अधिकार मंच के अध्यक्ष मंडल के सदस्य अनिल सदगोपाल, शिक्षक और शिक्षा आंदोलन के नेता वसी अहमद, बिहार शिक्षा आन्दोलन समिति के संयोजक नवेन्दु प्रियदर्शी और राष्ट्रीय सेवादल के राष्ट्रीय सचिव शाहिद कमाल इस जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे। शहीद जुब्बा सहनी स्मारक से निकाला गया यह जुलूस शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुऐ खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर पहुंचा।

जुलूस मे शामिल लोग, प्राइवेट स्कूल की मनमानी खत्म करो, शिक्षा नहीं कोई कारोबार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो सब बच्चों का अधिकार ,शिक्षा का निजीकरण, बाजारीकरण बंद करो ,केजी से पीजी तक गुणवत्तापूर्ण मुफ्त शिक्षा लागू करो, बच्चों के बीच भेद मिटाना है समान  शिक्षा प्रणाली लागू कराना है, राष्ट्रपति की हो या हो चपरासी की संतान सबको शिक्षा एक समान आदि नारे लगा रहे थे। खुदीराम बोस स्मारक स्थल पर जुलूस में शामिल लोगों की सभा को सम्बोधित करते हुए अनिल सद्गोपाल ने कहा कि पिछले चार सालों में भेदभाव और गैर बराबरी काफी बढी है। आज शिक्षा अनेक परतों में बंटी हुई है यह संविधान में उल्लिखित शिक्षा सम्बंधी प्रावधानो का घोर उल्लंघन है।  

केन्द्र और राज्य सरकारें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा को लगातार महंगा करते हुए उसे आम आदमी की पहुंच से बाहर निकलती जा रही है।  केन्द्र की वर्तमान सरकार जो 20  नये विश्व विद्यालय खोलने जा रही है, उसका उद्देश्य उच्च शिक्षा को व्यापार में तब्दील करना है। ऐसे विश्वविद्यालयों मे प्रति वर्ष  5 से 10 लाख फीस वसूले जाएंगे। जाहिर है कि इस व्यवस्था में गरीब, आदिवासी, पिछड़े, अतिपिछड़े और अल्पसंख्यक  समुदाय के बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित कर दिए जाएंगे। इसलिए हम देश भर मे समान और मुफ्त शिक्षाप्रणाली लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे है। अनिल सद्गोपाल ने सवालिया लहजे में आगे कहा कि  जो सरकार बुलेट ट्रेन के वर्थ के लिए एक लाख करोड रूपये जापान से कर्ज ले सकती है, वह समान और मुफ्त शिक्षा प्रणाली लागू करने के लिए धन की व्यवस्था क्यों नहीं कर सकती ? उन्होंने संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि समान शिक्षा की मांग पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। सभा को समान शिक्षा आंदोलन के जिला संयोजक आनन्द पटेल, बैजु कुमार, मनोज कुमार, वाकर सावरी, मंजुदेवी, गौतम यादव, अनिल द्विवेदी, दीपक सत्यार्थी, सुजीत कुमार वर्मा, शाहिद कमाल, नवेन्दु प्रियदर्शी, वसी अहमद ने भी सम्बोधित किया।