नहीं रहे प्रभाकर श्रोत्रिय

नहीं रहे प्रभाकर श्रोत्रिय

prabhakar-shroiyश्रोत्रिय जी को विनम्र श्रद्धांजलि। उनके निधन का समाचार सुन कर गहरा आघात लगा। उनकी बीमारी की सूचना अभी कुछ दिन पहले ही मिली थी। उनसे भेंट न हो पाने का दर्द सालता रहेगा। पिछले वर्ष विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान वे भोपाल में थे। तब भोपाल दूरदर्शन के लिए उनसे लंबी बातचीत की थी। वो संभवतः भोपाल दूरदर्शन में उपलब्ध होगी। उनसे वही आखिरी भेंट थी। सिंहस्थ के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए बनी समिति में उनके साथ सदस्यता का सौभाग्य मिला था। लेकिन उसकी कोई बैठक ही नहीं हुई। उनके साथ बहुत सारी स्मृतियां जुड़ी हैं। उनका आशीष हमेशा मिला। वे हमेशा उपलब्धियों पर अपनी शुभकामनाएं देते और हौसला बढ़ाते थे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।


sachidanand-joshi-profileसच्चिदानंद जोशी। शिक्षाविद, रंगकर्मी। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय और कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की एक पीढ़ी तैयार करने में अहम भूमिका निभाई। इन दिनों इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के मेंबर सेक्रेटरी के तौर पर सक्रिय।


अज्ञात कवियों के ‘प्रभाकर’

आलोक श्रीवास्तवजी से ख़बर मिली कि प्रभाकर श्रोत्रिय गुज़र गये। सन ’95 की बात है। वागर्थ का पहला अंक हमारे दरभंगा के मैत्रेयी साहित्य संगम पर आया। सुरुचिपूर्ण अंक था। हमने अपनी कुछ कविताएं भेज दी। ऐसा हम हर नयी-पुरानी पत्रिका के साथ किया करते थे। वागर्थ का तीसरा अंक आया, तो उसमें एकांत श्रीवास्तव के बाद मेरी कविताएं दूसरे नंबर पर छपी थीं। ऐसे संपादक थे प्रभाकर श्रोत्रिय, जो अज्ञात कुलशील कवि को भी गंभीरता से लेते थे। पारिश्रमिक के तौर पर वागर्थ की वार्षिक सदस्यता मिल गयी। थोड़े दिनों बाद एक पत्र पदातिक थिएटर ग्रुप से आया कि वह अपने नाटक में वागर्थ में प्रकाशित मेरी कविताओं को शामिल करना चाहते हैं। मैंने अनुमति पत्र भेज दिया। एक महीने बाद श्यामानंद जालानजी का एक धन्यवाद पत्र आया। साथ में 1500 रुपये का चेक भी था। कविता से यह पहली बड़ी कमाई थी। वागर्थ के कुछ और अंकों में मेरी कविताएं उन्होंने छापीं। दिल्ली में जब नया ज्ञानोदय पत्रिका की शुरुआत हुई, तो प्रभाकर श्रोत्रियजी से मिलने गया। वे संपादक थे। बहुत प्यार से मिले। चाय पिलायी। क्योंकि कविताई तब तक मुझसे छूट गयी थी, उन्होंने लिखने के लिए प्रेरित किया। आज जब उनके नहीं होने की ख़बर मिली, तो मन में बड़ी टीस उठी कि उनसे ज़्यादा मुलाक़ातें नहीं हो पायी। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।


avinash-profileअविनाश। वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म मेकर। प्रभात खबर और एनडीटीवी में लंबी पारी के बाद इन दिनों मुंबई में फिल्म मेकिंग में हुनर आजमा रहे हैं।