‘मजदूर को मजबूर किया फिर किया बदनाम’

‘मजदूर को मजबूर किया फिर किया बदनाम’

सुनील श्रीवास्तव की फेसबुक वॉल से साभार

उसे आप ने शराब
की दुकान पर देखा,
उसकी फटी कमीज़ देखी,
फटा पैंट भी देखा ,
ताकि सनद रहे ,
फ़ोटो भी खींचा ।
लानत भी भेजा ।
( साला मजदूर है ,खाने के पैसे चाहे न हो ,दारू जरूर चाहिए )
उसे शराब ले जाते भी देखा

कहां ले गया ?
किसको दिया ?
यह नहीं देखा ।
आप ही ने भेजा था हुजूर ,
दस बीस रूपए मेहनताना
दिया ,
मजदूर को मजबूर किया ,
ऊपर से बदनाम किया ,
धन्य हैं आप !!!

सुनील श्रीवास्तव/ 4 दशक से ज्यादा पत्रकारिता जगत में सक्रिय रहे। प्रभात खबर, लोकमत समाचार, मनोरमा,राजवार्ता का संपादन किया, धर्मयुग, माया , हितवाद, ज्ञानयुग प्रभात में संपादकीय टीम का हिस्सा रहे । कई विश्वविद्यालयों में गेस्ट फेकल्टी की भूमिका निभाई । करीब 13 बरस तक इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रों को पत्रकारिता का हुनुर सिखाया । आज भी बदलते सामाजिक परिवेश और व्यवस्था को लेकर चिंतनशील