पल्लवी ने बनाई बिहार की ‘पहली प्लास्टिक की सड़क’

पल्लवी ने बनाई बिहार की ‘पहली प्लास्टिक की सड़क’

प्लास्टिक की सड़क बनाती 10वीं की छात्रा पल्लवी

आपके आस-पास फैला प्लास्टिक का कचरा आपके लिए कूड़े से ज्यादा कुछ नहीं होता, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं वो प्लास्टिक का कचरा आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है और ये कर दिखाया है देश की एक बेटी ने । इस तस्वीर में आपको जो लड़की कंकरीट के साथ काम करती नजर आ रही है उसका नाम है पल्लवी। जो प्लास्टिक की सड़क तैयार करने का मसाला बना रही है। पल्लवी ने अपने स्कूल में प्लास्टिक कचरे की एक छोटी सी सड़क का निर्माण भी कर दिया है जिसके लिए उसे नेशनल अवार्ड भी मिला है।

सिपेट, हाजीपुर में पिछले डेढ़ साल से राज्य में प्लास्टिक की सड़क तैयार करने की प्लानिंग चल रही है । इसके लिए मुजफ्फरपुर में गीला कचरा और सूखा कचरा अलग जमा किया जा रहा है। लेकिन इस बीच भागलपुर के नवगछिया से पल्लवी के प्लास्टिक की सड़क बनाने की खबर ने सभी को चौंका दिया। पल्लवी को इस मॉडल सड़क के लिए कोलकाता के भारत विज्ञान मेला में सम्मानित भी किया गया है। पल्लवी का कहना है कि यह ‘’यह सड़क अलकतरे से बनी सड़क के मुकाबले काफी सस्ती है और इसका लाइफ स्पैन भी कम से कम 15 साल का है।

प्लास्टिक की सड़क बनाने पर पल्लवी को मिला सम्मान

नवगछिया के तुलसीपुर यमुनिया आदर्श उच्च विद्यालय में दसवीं की छात्रा पल्लवी ने इस सड़क को बनाने के लिए पहले प्लास्टिक कचरा और स्टोन चिप्स इकट्ठा किया और उसे 175 डिग्री पर गर्म किया जिसके जरिए उसने छोटी सी सड़क का निर्माण किया। हालांकि यह सड़क महज एक मॉडल है और इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। पल्लवी का कहना है कि अगर ‘इस सड़क के दोनों तरफ पेड़ लगाये जायें तो यह गर्म नहीं होगी, और टिकाऊ भी रहेगी ।‘ पल्लवी के इस मॉडल को पहले जिला, फिर राज्य स्तर पर पुरस्कार मिला और अब 9 से 13 जनवरी तक कोलकाता में आयोजित भारत विज्ञान मेला में स्टेट बेस्ट मॉडल का अवार्ड से भी नवाजा गया है । जमुनिया गांव की रहने वाली पल्लवी के पिता अवध किशोर नियोजित शिक्षक हैं और माता नीतू देवी गृहणी। उनकी शिक्षिका अर्पणा कुमारी ने इस मॉडल को तैयार करने में उसका मार्गदर्शन किया।

हालांकि प्लास्टिक की सड़क बनाना कोई नयी बात नहीं है। देश में 2013 से ही ऐसी सड़क बनायी जा रही है। मगर यह संभवतः बिहार की पहली प्लास्टिक की सड़क है। जो प्लास्टिक कचरे से बनी है। जो मजबूत और टिकाऊ होने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी है ।

दरअसल ये छात्रा उसी सूबे की है जहां की शिक्षा व्यवस्था को लेकर देश में मजाक बनाया जाता है । उसी बिहार के एक सरकारी स्कूल में ऐसे प्रयोग होने की खबर सचमुच हौसला बढ़ाने वाली है ।                                                                साभार- बिहार कवरेज डॉट कॉम