मोहलत… थोड़ी है, थोड़े की जरूरत है!

मोहलत… थोड़ी है, थोड़े की जरूरत है!

टीम बदलाव

हिंदुस्तान की जनता 50 दिन बाद भी कतार में खड़ी है । प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि 50 दिन का वक्त दीजिए भ्रष्टाटार, आतंकवाद, कालाधन खत्म हो जाएगा, लेकिन अब और वक्त मांग रहे हैं। चलो ठीक है हिंदुस्तान आपके साथ खड़ा है जैसा कि आप दावा कर रहे हैं लेकिन ईमानदार जनता का पैसा आपने लाइन में लगाकर बैंक में जमा करा लिया लेकिन क्या ‘बेईमान’ तमाम राजनीतिक पार्टियों (जैसा कि सरकार के मंत्री ही दावा कर रहे हैं ) के चंदे को जनता के सामने नहीं लाएंगे ? दो दिन पहले बीएसपी के खाते में जमा पैसा अचानक मीडिया की सुर्खियों में आ गया लेकिन आपके मंत्री महोदय प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहते हैं कि सरकार या बीजेपी ने तो कुछ कहा नहीं, मीडिया रिपोर्ट पर मायावती बयानबाजी कर रही हैं। चलिए अच्छी बात है मीडिया ही दोषी सही लेकिन आपके हाथ में तो सबकुछ है। तो लगे हाथ ये बता दीजिए कि बाकी राजनीतिक दलों के खाते में कितना पैसा जमा हुआ ? सरकार कुछ तो छिपा रही है तभी तो तमाम सवाल उठने लगे हैं । ऐसी कुछ फेसबुक टिप्पणियां बदलाव आपके साथ साझा कर रहा है ।


सभी पार्टियों की फंडिंग सार्वजनिक की जाय और RTI दायरे में हो-उर्मिलेश उर्मिल

नोटबंदी के बाद BSP की तरफ से 104 करोड़ की राशि (पार्टी के मुताबिक यह चंदे की राशि है) के बैंक में जमा किये जाने पर सत्ताधारी दल ने सवाल उठाये हैं। पड़ताल में सरकारी एजेंसियों के भी लगने की खबरें आ रही हैं। इससे पहले बंगाल सहित देश के अन्य हिस्सों में भाजपा नेताओं द्वारा काफी मोटी राशि बैंकों में जमा कराये जाने की खबरें आई थीं। उस पर किसी पड़ताल की खबर नहीं मिली। जाहिर है, अन्य दलों की तरफ से भी अपनी-अपनी रकम का कुछ न कुछ प्रबंधन हुआ होगा। मुझे लगता है, जनता को ईमानदारी और पारदर्शिता का उपदेश देने वाले दलों, खासकर सत्ताधारी दल को अब तत्काल पहल करनी चाहिए। पार्टियों की फंडिंग को पूरी तरह पारदर्शी बनाने के लिए कानूनी पहल हो। सभी पार्टियों की फंडिंग को RTI के दायरे में ला देना चाहिए। इसके साथ ही सरकार पार्टियों द्वारा लिये जाने वाले चंदे में 20 हजार या उससे नीचे की राशि के स्रोत को भी अनिवार्य बनाए। वर्ना यही माना जायेगा कि यूपी चुनाव के मद्देनजर बसपा को किसी दबाव में डालने या ब्लैकमेल करने के लिए उसके मामले को उछाला जा रहा है।


भ्रष्टाचार के इल्जामो पर अलग-अलग दौर की तीन दिलचस्प सफाइयां-राकेश कायस्थ

1988 बोफोर्स पर राजीव गांधी का बचाव करते हुए नारायण दत्त तिवारी– हे राम, हे ईश्वर छी-छी इतना नीचता भरा आरोप। आरोप इतना शर्मनाक है कि इसका कोई क्या जवाब दे।

1993 में हर्षद मेहता से पैसे लेने के आरोप पर पी.वी. नरसिंहराव– मैं इस आरोप ऐसे निकलूंगा जिस तरह अग्निपरीक्षा से सीता मइया।

2016 सहारा और बिड़ला से कथित रिश्वत पर नरेंद्र मोदी– हा.. हा.. हा… तो यही था भूकंप?