बिहार के नव-उदय की स्ट्रेटजी बनी, असर भी दिखेगा

बिहार के नव-उदय की स्ट्रेटजी बनी, असर भी दिखेगा

बदलाव प्रतिनिधि, पटना

 

8-9 वर्ष पूर्व पूर्णिया की एक दुकान पर बैठे-बैठे कुछ युवाओं ने बेहद अनौपचारिक सी मुलाकात में एक शुरुआत की थी, तो उन्हें भी ये एहसास कहां था कि इतना बड़ा कांरवां बन जाएगा। बात नवोदय विद्यालय एल्युमिनी एसोसिएशन की है। इसकी बुनियाद 1987 बैच के पूर्णिया जेएनवी के कुछ मित्रों ने रखी थी। मिलने-जुलने का ये सिलसिला तब जो शुरू हुआ वो अब कई जिलों में चेतना के स्तर तक पहुंच चुका है। छोटी-छोटी गतिविधियों के जरिए एसोसिएशन के साथी समाज के साथ संवाद स्थापित करने और अपनी भूमिका निभाने को आतुर हैं, अकेले पूर्णिया में नहीं बल्कि पूरे बिहार में।

जेएनवी के साथियों के उत्साह और कुछ करने की उनकी ललक की झलक 22 अप्रैल को पटना में हुई जेएनवी एल्युमिनी की स्ट्रेटजिक मीट में भी दिखी। इस दौरान समन्वय और सहयोग बढ़ाने के साथ ही सामाजिक सरोकारों को लेकर अपनी भूमिका क्या हो, इस पर भी मंथन किया गया। साथियों ने ये स्वीकार किया कि सरकार ने नवोदय में शिक्षा के दौरान जो निवेश किया है, उसे समाज को लौटाने की नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया जाना चाहिए।

धर्म, जाति, क्षेत्र या आर्थिक, किसी भी तरह के भेदभाव के बगैर जो माहौल नवोदय में मिला, उसी तरह के समरस समाज के निर्माण के लिए सायास कुछ प्रयास करने होंगे। पिछले 8-9 सालों में जेएनवी एल्युमिनी की ओर से शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहल की गई है। इसके साथ ही बाढ़ की विभीषका के दौरान भी एल्युमिनी ने यथाशक्ति पीड़ितों की मदद को हाथ बढ़ाया है। लेकिन थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है कि तर्ज पर जो किया वो बहुत थोड़ा है और इसे थोड़ा और आगे बढ़ाने की ख्वाहिश है। स्ट्रेटजिक मीट में जिलों के स्तर पर हो रहे कार्यों को समेकित कर एक राज्यव्यापी स्वरूप देने पर भी चर्चा की गई।

स्ट्रेटजिक मीट में साथियों ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि संकल्प के साथ एक बड़ी पहल की जाए। अगले 8-10 सालों में संगठन का प्रभावी असर बिहार में दिखे, इस तरह से काम किया जाना चाहिए। बिहार की मौजूदा छवि को कुछ और बेहतर कर इस भूमि की असली ताकत से देश को रूबरू कराने का संकल्प भी इस मीट में दोहराया गया। संगठन के साथियों ने दूसरे संगठनों के साथ सार्थक संवाद और साझेदारी को लेकर भी अपने दरवाजे खुले रखने का संकल्प लिया है।

जवाहर नवोदय विद्यालय की स्थापना को लगभग तीन दशक हो चुके हैं। इतने लंबे वक्त में हर एक जिले में 80 की तादाद से जोड़ें तो करीब दो हजार से ज्यादा युवा साथी अब राज्य और देश की मुख्यधारा में हैं। राज्यवार और राष्ट्रवार आंकड़ा जोड़ें तो इस युवाशक्ति की आप कल्पना कर सकते हैं। कोई कारोबार के क्षेत्र में सक्रिय है, तो कोई प्रशासनिक सेवा में योगदान दे रहा है। कोई डॉक्टर और इंजीनियर बनकर योगदान दे रहा है तो कोई शिक्षक और प्रोफेसर बन जिम्मेदार नागरिकों की फौज खड़ी कर रहा है। बस इन सभी युवा साथियों को एक सूत्र में पिरोए रखने की जरूरत है ताकि भटकाव कम से कम हो और समाज में एकता की ताकत दिखे।


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