मुजफ्फरपुर के लिए ये लोग किसी ‘देवदूत’ से कम नहीं !

मुजफ्फरपुर के लिए ये लोग किसी ‘देवदूत’ से कम नहीं !

पुष्य मित्र

आनन्द दत्ता मुजफ्फरपुर पहुंच गये हैं। एसकेएमसीएच में आज से मरीजों के परिजनों के लिये भोजन की व्यवस्था शुरू हो जायेगी।वॉटर प्यूरीफायर लगवाने के लिये अस्पताल प्रबंधन से इजाजत मिल गयी है।अब यह पता करना है कि मुजफ्फरपुर में वॉटर प्यूरीफायर कहां मिलेगा। इस बारे में स्थानीय मित्र मदद करें और हां, जिन मित्रों ने प्यूरीफायर के लिये मदद की पेशकश की थी वे अब मदद कर सकते हैं। मैसेज करें। साथ ही ग्राउंड जीरो पर मौजूद सौरव शेखर ने की अपील भी जरूर पढ़ें-

जो भी मदद करना चाहते हैं, अवश्य पढ़ें:

पहले से चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा और आगे की प्लानिंग के लिए आज बैठक की गई। ग्राउंड जीरो पर कई दोस्त शुरुआती दिन से ही काम कर रहे हैं और वहां से जो जानकारी मिल पा रही है वह ये कि हमारे पास फंड की कमी नहीं है, कमी है लोगों की। अभी और पैसे की जरूरत नहीं, अगर जरूरत महसूस हुई तो आग्रह करेंगे लेकिन जो इस वक्त सबसे जरूरी है वह ये कि हमें लोग चाहिए जो सुदूर इलाकों में काम कर सकें। रहने, खाने और यातयात की पूरी व्यवस्था है। आप एक दिन, दो दिन या जितने दिन चाहे मदद कर सकते हैं। मैं खुद कल यानी 20 जून को दोपहर 1 बजे निकल रहा हूँ, जो भी साथ आना चाहे आ सकते हैं।

इसके अलावा मेडिकल कैम्प्स की तैयारी चल रही है, यदि आपके पहचान में कोई भी डॉक्टर एक दिन का भी समय देना चाहे तो अवश्य बताएं। इन सब के अलावा यह जानना भी जरूरी है कि हम क्या कर रहे हैं, या क्या कर सकते हैं:

1. जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है। गांवों में लोगों को इसके लक्षण और अन्य पहलुओं के बारे में बताना है। साथ ही उन्हें बुखार मापने के तरीका भी सिखाना है।

2. दो-तीन परिवारों के बीच एक थर्मोमीटर, सब लोगों के बीच ORS, बेबी फ़ूड सप्लीमेंट्स, ग्लूकोज इत्यादि का वितरण करना है, कुपोषण भी एक बड़ी वजह है।

3. SOP, यानी कि स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीडर, जिसे सरकार ने जारी किया है इसमें आंगनवाड़ी सेविकाओं, आशा दीदियों, PHC या अन्य अस्पतालों के लिए कई अहम दिशा निर्देश दिए गए हैं, जिनके बारे में मरीज के परिवारों और खुद स्वास्थ्य कर्मियों को भी पूरी जानकारी नहीं है। इसका भी प्रसार करना है।

4. इन सब के अलावा जो भी बड़े अस्पताल हैं जहां मरीजों की भीड़ है, वहां बड़े लेवेल पर फ़ूड कैम्प लगाकर जो भी लोग रुके हैं, उनके लिए भोजन उपलब्ध करवाना है।

5. साथ ही जहाँ कहीं भी वाटर प्यूरिफिकेशन का सिस्टम खराब है या उपलब्ध नहीं है, उन सारे जगहों पर पीने के पानी की व्यवस्था ठीक करनी है।

मैं आह्वान करता हूँ अपने युवा साथियों का कि राज्य के इस बदहाल दौर में कुछ ज़िम्मेदारी हमारी भी है। आगे आइए और अपना फर्ज निभाइए। हम सब लगातार ही आपको कोऑर्डिनेट और कोऑपरेट करने के लिए तैयार हैं। जो भी नए लोग आ रहे हैं, क्षेत्र के हिसाब से प्रॉपर प्लानिंग करके ज्यादा से ज्यादा एरिया कवर करने की कोशिश की जा रही है। जो भी लोग आना चाहते हैं अपना नम्बर कमेंट बॉक्स या इनबॉक्स के माध्यम से हमें दें। अन्य सुझाव एवं आप सब का सहयोग अपेक्षित है।

पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। प्रभात खबर की संपादकीय टीम से इस्तीफा देकर इन दिनों बिहार में स्वतंत्र पत्रकारिता  करने में मशगुल