मुस्लिम बस्ती में यूं खुले दिल, घर और मस्जिद के दरवाजे

देविंदर कौर उप्पल

RAISEN FLOODभोपाल से लगभग 40 मील दूर का कस्बा रायसेन दो साल पहले धार्मिक मतभेद से उपजी हिंसा के कारण खबरों में था लेकिन पिछले सप्ताह की 6-7 जुलाई को यही कस्बा मीडिया से दूर चुपचाप अपनी धार्मिक समझ और उदारता का परिचय दे रहा था।

4 जुलाई से 7 जुलाई 2016 तक न थमने वाली अनवरत बारिश ने इस कस्बे को जैसे घुटनों तक पानी में डुबो दिया था। आस-पास के नदी –नाले उफान पर थे। जो वाहन रायसेन आ गये थे वे हालात सुधरने तक कंही आगे-पीछे नहीं जा सकते थे। 6 जुलाई को सागर की ओर से आने वाली रात की कितनी ही बसें रायसेन आकर थम गईं। बस में बैठे हुए स्त्री-पुरुष-बच्चे सुबह का इंतजार करने लगे। उजाला हुआ तो पुरुष यात्री बस से उतरकर यंहा-वंहा जाकर सुबह की अपनी प्राकृतिक जरूरतों से मुक्त होने लगे पर औरतें जैसे अपने पेट को दबाये बस की खिड़की से झांककर हालात का जायजा लेती रंहीं।

35 वर्षीय तब्सुम बस्ती के अपने कच्चे बने घर से यह सब देख रही थी और औरतों की स्थिति समझ रही थी। उसने अपने पड़ोस की औरतों से बात की कि वे उन औरतों को शौच-पेशाब के लिये अपने-अपने घर ले आयें। घर के पुरुषों से बात की कि वे घर पर न रहें जिससे औरतों को संकोच ना हो। फिर तब्सुम अन्य औरतों के साथ एक-एक बस के अन्दर गईं। उन्होंने औरतों के कान मे धीरे से उनकी शौच –पेशाब की जरूरत को पूछते हुए अपने घरों मे आने को कहा। जिन औरतों के मन में असुविधा या संकोच था उन्हें अपने साथ पुरुष सवारियों को ले आने के लिये कह दिया..। धीरे –धीरे बस्ती के सारे परिवारों के घर के दरवाजे खुल गये। बसों में बैठी औरतें अपनी सुविधा से आने लगीं।

इसी बीच बस्ती के कुछ युवाओं की पहल पर हाफिज साहब की मंजूरी से नाले के पास वाली मस्जिद के बड़े कमरे को खोल दिया गया और कीचड़ और पानी से सनी जमीन से बचाते हुए औरतों और बच्चों को वंहा सूखे में लाकर बैठाया गया। नगर पालिका की चाय-पानी की व्यवस्था को बस्ती के मुस्लिम युवाओं ने ही सुचारु रूप से चलाया।

(रायसेन की वार्ड 18 कहलाने वाली इस बस्ती में ‘समर्थन’ स्वैछिक संगठन गत लगभग दो वर्षों से स्वच्छ्ता पर काम कर रहा है)


davinder kaur uppalदेविंदर कौर उप्पल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर। ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के मायने समझने की सतत कोशिश करती हैं देविंदर कौर उप्पल। रिसर्च के जरिए पूरी तार्किकता के साथ अपनी बात रखने में यकीन है।