ऊर्दू की तालीम हासिल करने की ललक

ऊर्दू की तालीम हासिल करने की ललक

कुमार नरेंद्र सिंह

यह बिहार के जिला भोजपुर के संदेश थाना के सिरकीचक गांव की मस्जिद है, जिसका निर्माण 1798 में हुआ था। औरंगजेब के शासन काल के दौरान यह गांव बसा था और बसानेवाले थे काजी दयानतुल्ला। मूल रूप से पीलीभीत के रहने वाले दयानतुल्ला साहेब  को औरंगजेब ने यहां काजी बनाकर भेजा था। इन्हें 12 गांवों की जागीरदारी दी गयी थी, जिसमें संदेश, खंडोल, पनपुरा, रामासाढ़, शिवपुर, धमडीहा आदि गांव शामिल थे। इसके अलावा इस खानदान के लोगों ने अन्य जमीन्दारों से भी जमीन खरीदी थी।

उदाहरण के लिए बड़हरा के जमीन्दार बाबू कामेश्वर सिंह की जमीन्दारी का कुछ हिस्सा मुसमात बीबी नागिन, जो शेख मुहम्मद इब्राहिम हुसैन की पत्नी थीं, ने खरीदा था। शुरुआत में इस गांव का नाम मोहम्मदपुर था, हालांकि काजी साहेब ने पहले पहल बगल के गांव काजीचक को अपना मुकाम बनाया था, जो पहले रसूलपुर के नाम से जाना जाता था। कलान्तर में दोनों गांवों के नाम बदल दिए गए। रसूलपुर काजीचक बन गया और मोहम्मदपुर का नाम सिरकीचक हुआ। इस खानदान के वर्तमान वारिस सुहैल साहेब बताते हैं कि नाम में बदलाव इसलिए किया गया कि ये दोनों ही नाम पैगंबर मुहम्मद साहेब के नाम पर रखा गया था और जब-तब कागज-पत्तर या चिट्ठी-पत्री गांव की गलियों में गिर जाते थे और लोग उस पर पांव रख देते थे। इस तरह अनजाने में ही पैगंबर साहेब की शान में गुस्ताखी हो जाती थी। इसके बाद तय किया गया कि इन दोनों गांवों के नाम बदल दिए जाएं। सिरकीचक का नाम वास्तव में सिद्दीकीचक रखा गया, जो कलान्तर में बिगड़कर सिरकीचक हो गया।

मैंने अपने बचपन में इस खानदान के कशू मियां को देखा था, जो पालकी पर आते थे और इलाके के रसूखदार राजपूत औऱ ब्राह्मण उन्हें सलामी देने जाते थे। पूरे इलाके में इनका रुतबा था। यह जमीन्दार घराना सैयद वंश से संबंध रखता है और इनका टाइटिल सिद्दीकी है। लाल रंग का मदरसा भी लगभग उसी समय यानी 18वीं सदी का ही है। बिहार सरकार ने अब इसे उत्क्रमित मध्य विद्यालय बना दिया है। आज भी यहां उर्दू, फारसी की पढ़ाई होती है। मदरसा के वर्तमान मौलवी साहेब ने मुझे उर्दू पढ़ाने का जिम्मा लिया है। देखते हैं कि मेरा यह सपना कब पूरा होता है। वैसे मैंने तय किया है कि अब जब भी गांव जाउंगा, तो सिरकीचक जाकर मौलवी साहेब से उर्दू भाषा की तालीम लूंगा। धीरे-धीरे ही सही, उनके सानिध्य का लाभ उठाने की चाहत रखता हूं।


कुमार नरेंद्र सिंह। बिहार के आरा जिले के निवासी। पटना विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, दिल्ली से उच्च शिक्षा हासिल की। आप पिछले 3 दशकों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। जातिवाद और भारत की जाति व्यवस्था पर बेहतरीन रिसर्च।


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