किसानों के लिए सरकारी सब्सिडी का छलावा और घोंचू भाई का दर्द

किसानों के लिए सरकारी सब्सिडी का छलावा और घोंचू भाई का दर्द

फोटो- अजय कुमार, कोसी , बिहार

ब्रह्मानंद ठाकुर

मनकचोटन भाई के दलान पर आज की बतकही  का  मुद्दा सरकारी किसान चौपाल का था। बात यह थी कि गेहूं की बुआई खत्म होने के बाद अब सरकार को यह सूझा है कि उसके करमचारी गांव-गांव में जाकर वहां के किसानों को गेहूं,मकई और आलू की खेती करने का तरीका बताएं।  इन दिनों इसका खूब प्रचार  भी हो रहा है । बारी-बारी से हर पंचायत में किसानों का चौपाल लगाने का काम हो रहा है। शामियाना, कुर्सी, माईक और किसानों के नाश्ते का भी इंतजाम रहता है। एक किसान चौपाल पर पांच हजार का खर्चा निर्धारित है। अब किसान अप्पन खेती करे कि चौपाल में भाषण सुनने जाए ? बदरू, बिलट, बटेसर, परसन कक्का, फुलकेसर और भगेरन  अप्पन -अप्पन गेहूं के खेत में बुआई के बाद  आरी-कोना बना रहे थे । इसलिए वे चौपाल में शामिल नहीं हुए थे। घोंचू भाई पूरा समय उस चौपाल में मुस्तैद थे। बतकही में शामिल लोग घोचू भाई के इंतजार में थे कि वे आएं तो  चौपाल के बारें में कुछ जानकारी मिले।

घोंचू उवाच-22

घोंचू भाई के पधारते ही  बतकही शुरू हुई।   ‘क्या सब हुआ आज किसान चौपाल में, घोंचू भाई ?’ मनकचोटन भाई ने पूछा। ‘ कुछ नहीं, सब गाएले गीत गाता है। ‘घोंचू भाई की आवाज में निराशा साफ झलक रही थी। ‘तइयो कुच्छो त जरूरे हुआ होगा न ? बताइए, हमलोग भी सुनें ‘परसन कक्का ने जोर देते हुए कहा। ‘घोंचू भाई आदतन शुरू हो गये ‘अरे, इ सब डरामा हय। अब तुम्ही लोग सोंचो, अपने गाव में गेहूं, मक्का और आलू की बुआई आठ दिन पहले ही तुमलोग खत्म कर लिए। खेत में गेहूं अंकुरने लगा है और आज वहां बता रहा था कि बुआई से पहिले बीज की अंकुरन क्षमता जांच लीजिए। बीज को बोने से पहले  विटाभेक्स या वेभिस्टीन नामक  फफूंदनाशी दवा प्रति 2 ग्राम  प्रति  किलो बीज की दर से उपचारित कर तब बुआई करिए। दीमक से बचाव के लिए क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत तरल की 2-5 लीटर मात्रा बालू में मिलाकर ढाई बीघा में अंतिम जुताई के समय खेत मे डालिए। वगैरह वगैरह। अब बताओ  गेहूं बुआई खत्म होने पर इस बात की क्या जरूरत ? ई सब फारस हय। सरकारी योजना एन्हाइते जमीन पर उतरता है, ना मनकचोटन भाई। ‘डिजिलो अनुदान पर कुछ बताया ? ‘बटेसर ने घोंचू भाई से अगला सवाल किया। ‘हां, कहा है कि पेट्रोल पम्प से जब डीजल खरीदिए तो उसका कम्प्युटर वाला ओरिजिनल पुर्जा संजो के रखिएगा। जब सरकारी आदेश आएगा तब आनलाईन अप्लाई करिएगा। आपके खाता में अनुदान भेज दिया जाएगा।

जानते हो, भुनेसर भाई ने जब चौपाल में एक अधिकारी से पूछा कि उनको अपना पम्पसेट नहीं है। वे किराए के पम्पसेट से फसल की सिंचाई करवाते हैं और 150 रुपये प्रतिघंटा की दर से किराया देते है। डीजल भी वही खरीदता है, तब उनको डीजल का अनुदान कैसे मिलेगा ? उनके इस सवाल पर उस अधिकारी को बकझर मार गया। तब खींस निपोडते हुए उस अधिकारी ने कहा कि उसी पम्पसेट वाले का निहोरा-विनती कर रसीद मांग लीजिएगा। एहे त हय डीजल अनुदान का झंझट  और ई आनलाईन आवेदन का चक्कर ?  अरे भाई, तुम्ही बताओ, कतेक अइसन खेतिहर हय जिसको कम्प्युटर का गेयान हय ? वसुधा केन्द्र पर घंटो खड़े  रहो, चिरौरी करो तब जाकर तुम्हारा आवेदन आनलाईन होगा। अगर धोखा में कोनो  गलती  बटन टिपा गया तो बस डीजल अनुदान से हाथे धो लेना। जानते हो, एगो आनलाईन आवेदन पर सौ-सौ रुपया खर्चा होता हय।’

परसन कक्का  जो बहुत देर से घोंचू भाई की बात सुन रहे थे , बतकही को आगे बढाते हुए घोंचू भाई से पूछा ‘ अच्छा, आपको सिंचाई वास्ते अनुदान वाला  बिजली मोटर अबतक मिला की नहीं ?’  ‘जब आपने हमारे दुखती रग पर हाथ रखिए दिया त सुनिए,  इसकी भी अलग कहानी है। मैंने एक महीना पहले दो एचपी के बिजली मोटर के लिए आनलाईन आवेदन करवाया था लेकिन आज तक परमिट नहीं  मिला। मैं तो अक्सर शहर जाता ही रहता हूं। उस दिन जब शहर गया तो चला गया उस दुकान में जिसको जिले के किरसी विभाग ने अनुदानित दर पर  किसानों को बिजली मोटर बेंचने के लिए अधिकृत किया हुआ है। आपको कक्का बता दूं कि सिंचाई के लिए बिजली मोटर पर 50  प्रतिशत अनुदान है। माने 12 हजार का मोटर 6 हजार में। आप 12 हजार नकद चुकती कर मोटर खरीदिए बाद में 6 हजार आपके खाते में वापस हो जाएगा। तो जब मैं उस दुकान में गया तो पहले मैंने एक खास कम्पनी के  दो एचपी वाले बिजली मोटर का दाम पूछा। दुकान के सेल्स मैन ने मुझसे सवाल किया कि  अनुदान वाला या बिना अनुदान वाला ?  मैं चक्कर में पड गया कि  ई मोटर के दाम में अनुदान या बिना अनुदान की बात कहां से आ गई ?मैने कहा,’ दोनों बताओ। ‘ उसने बताया ‘बिना अनुदान वाला 12 हजार में और अनुदान वाले का दाम 14 हजार रूपया। सात हजार तो आपको अनुदान में मिलिए जाएगा न, साते हजार में  न मोटर हुआ ? ‘ मैंने पूछा ‘ तुमको कैसे पता चला कि मैं अनुदान वाला ग्राहक हूं ? ‘ उसने कहा ‘ बस ऐसे ही, मेरा काम था बता देना सो मैंने बता दिया।  अब मर्जी आपकी। ‘

 मेरी बात  जब सेल्समैन से हो रही थी  तो बगल के चैम्बर में बैठा दुकान का मालिक उसे बड़े गौर से सुन रहा था। उसने मुझे अंदर बुलवाया। सम्मान से कुर्सी पर बैठाया  और मुझे समझाने लगा कि कहां-कहां उसे चढौना चढ़ाना पडता है।   ऊपर से नीचे तक इस अनुदान में  सभी का हिस्सा तय है। नहीं दूं तो दुकान का शटर ही बंद करा दे। आय कर, बिक्री कर वाले का छापा डलवा दे। जीएसटी ने तो इंसपेक्टर राज कायम कर दिया है। हमारी तो मजबूरी है अनुदान के मामले में ज्यादा कीमत पर सामान बेंचने की।  ‘बाज आए ऐसे सब्सीडी से ‘कहता हुआ  मैंने  14 हजार वाला अनुदानित मोटर 11 हजार में खरीदा और उसे लिए घर वापस आ गया।तब से यही सोंच रहा हूं कि किसान को इस कृषि प्रधान देश की रीढ तो कहा जाता है। इस पर सवार होने का हक सबको है। यह रीढ जबतक नहीं टूटे, तोड़ने की कोशिश हर स्तर पर जारी है। घोचू भाई के इतना कहते ही मनसुखबा चाय लेकर हाजिर हुआ और  चाय की चुस्की के साथ आज की बतकही यहीं  पर समाप्त हो गई।


ब्रह्मानंद ठाकुर। बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के निवासी। पेशे से शिक्षक। मई 2012 के बाद से नौकरी की बंदिशें खत्म। फिलहाल समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा में जुटे हैं। मुजफ्फरपुर के पियर गांव में बदलाव पाठशाला का संचालन कर रहे हैं।