नोएडा के गांव वाजिदपुर में 29 को ‘नई तालीम’ पर होगी बात

नोएडा के गांव वाजिदपुर में 29 को ‘नई तालीम’ पर होगी बात

बदलाव प्रतिनिधि

सोपान जोशी

‘ढाई आखर फाउंडेशन’, ‘अंडर द ट्री’ और ‘बदलाव’ की पहल पर बच्चे, महिलाएं और गांधी की ‘नई तालीम’ विषय पर 29 सितंबर, रविवार को एक परिचर्चा सह कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। नोएडा सेक्टर 135 के निकट गांव वाजिदपुर के कम्युनिटी हॉल में हो रहे इस कार्यक्रम का मकसद आर्थिक रुप से पिछड़े समाज के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की चुनौतियों और व्यावहारिक दिक्कतों से रूबरू होना है। इस संवाद में बच्चों के साथ महिलाओं को भी साझीदार बनाया जा रहा है, ताकि पूरे परिप्रेक्ष्य में चीजों को समझा जा सके। विषय पर मुख्य वक्ता के तौर पर प्रसिद्ध गांधीवादी और प्रयोगधर्मी सोपान जोशी अपने विचार साझा करेंगे। सोपान जोशी की पुस्तक जल-मल-थल काफी चर्चा में रही है। हाल ही में गांधी पर आपकी पुस्तक ‘एक था मोहन’ प्रकाशित होकर आई है।

अंडर द ट्री की टीम

‘गांधी के 150 साल’ पर आयोजित कार्यक्रमों की शृंखला में ये आयोजन रखा जा रहा है। गांधी ने रचनात्मक कार्यक्रम के जो 14 मूल बिंदू बनाए थे उसमें दो बच्चों और महिलाओं से जुड़े थे। गांधी ने गांवों के लिए बुनियादी शिक्षा या नई तालीम की संकल्पना तैयार की थी। गांधी चाहते थे कि गांव के बच्चे आदर्श ग्रामीण की तरह विकसित किए जाएं। शिक्षा पद्धति ऐसी हो जो हमारी आपकी जरूरतों के लिहाज से उचित हो। इसी तरह ‘स्त्रियों की उन्नति’ भी उनके रचनात्मक कार्यक्रम में शुमार थी। गांधी मानते थे कि स्त्री सेवा के काम में पुरुष की सहचारी, सहधर्मिणी है। भारत आधा स्वतंत्र और आधा गुलाम नहीं रह सकता। दोनों को जीवन में समान अवसर मिलने चाहिए। शादी के पहले और शादी के बाद, दोनों ही कालखंड में स्त्रियों के विकास के अवसर उपलब्ध होने चाहिए।

आपको बता दें कि ‘अंडर द ट्री’ के बैनर तले मिताली सिन्हा नोएडा के सेक्टर 135 के आस-पास के गांवों के आर्थिक रुप से पिछड़े बच्चों की शिक्षा के लिए विगत 4 वर्षों से काम कर रही हैं। ढाई आखर फाउंडेशन बरपा, औरंगाबाद में साल 2005 से ‘ज्ञानोदय स्कूल’ का संचालन कर रहा है। बदलाव टीम साल 2 अक्टूबर 2017 से मुजफ्फरपुर के पियर गांव में बदलाव पाठशाला का संचालन कर रही है। रिटायर्ड शिक्षक ब्रह्मानंद ठाकुर की अगुवाई में इस पाठशाला में कई नए प्रयोग किए जा रहे हैं। सवाल ये है कि क्या पहले से किए गए कुछ प्रयोगों को इन संस्थाओं में लागू किया जा सका है? गांधी ने ‘नई तालीम’ के तहत बुनियादी शिक्षा के जो व्याव्हारिक सिद्धांत गढ़े, उनकी आज क्या प्रासंगिकता है?