फूल और पत्तियां

फूल और पत्तियां

पशुपति शर्मा/

आज फूल कर रहे थे बातें
गुलाब, अपने रूप पर इतरा रहा था
गेंदा, अपने गुणों का बखान कर रहा था
सूरजमुखी, सूरज को ताक रहा था

बाग में गूंज रही थी फूलों की आवाज़
वो बता रहे थे कि कौन किससे है बेहतर
वो बता रहे थे कि किसकी क़ीमत है ज्यादा
वो बता रहे थे कि कौन है सबसे अहम

पर वो पत्तियां खामोश थीं
जिन्होंने इन फूलों के लिए जुटाया था ‘दाना-पानी’

तभी एक माली आया
उसने चुन लिए सारे फूल

तभी एक हवा का झोंका आया
डाली से टूट बिखर गईं पत्तियां

यही दुनिया है
अपने-अपने अहम हैं, अपने-अपने वहम।

-पशुपति शर्मा
(17 जून 2019)