मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक ने मचाई तबाही

मुजफ्फरपुर में बूढ़ी गंडक ने मचाई तबाही

बदलाव प्रतिनिधि, मुजफ्फरपुर

बीते दस सालों में बूढीगंडक में पहली बार इतना उफान आया है। इस अवधि में सरकार ने तटबंध की मरम्मत और रख रखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया। तटबंध जर्जर होते गये और विभागीय अधिकारी सोये रहे। नतीजा हुआ कि रजवारा में बूढ़ीगंडक का तटबंध टूटा और एक बड़ी आबादी बाढ के आगोश में समा गई। नेपाल से छोड़े गए पानी की वजह से नदियां उफार पर हैं । लिहाजा पहले से ही जर्जर तटबंध पानी का तबाव नहीं सह सके। तटवर्ती क्षेत्र के लोग दहशत में हैं और प्रशासन सकते में। डर इस बात का है कि कहीं दूसरी जगह भी ना तटबंध टूट जाए । । प्रशासन रजवारा में टूटे तटबंध को बांधने की हर संभव कोशिश में जुट गया है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है।  अब खतरा दूसरे जगहों पर मंडरा रहा है। बीते शनिवार की आधी रात तटबंध टूटने से देखते ही देखते रजवारा,  मुशहरी, बैदौलिया, रोहुआ, मणिका नरौली, विन्दा समेत तमाम गांवों में पानी घुस गया । लोग ऊंची जगहों  की ओर जान बचाने के लिए भागने लगे। आज से करीब 42 साल पहले 1975 में इसी जगह पर तटबंध टूटा था, तब भयानक तबाही मची थी। फिर 1987 में जहांगीरपुर (ढोली ) में बूढीगंडक का दायां तटबंध टूटने से बड़ी क्षति हुई थी। 2007 में महम्मदपुर में तटबंध टूटने के बाद से पिछले दस सालों में इस नदी में उतना पानी नहीं आया जिससे बाढ़ की स्थिति पैदा हो। लिहाजा सरकार और बाढ़ नियंत्रण विभाग हाथ पर हाथ रख कर बैठ गया । मानसून का आगमन होते ही तटबंधों के मरम्मत की कागजी घोषणाएं जरूर की जाती रहीं लेकिन काम कहीं नही हुआ। तटबंध की जर्जर स्थिति इसका प्रमाण है।

मुजफ्फरपुर जिले में बूढीगंडक के दोनों तटबंधों की कुल लम्बाई  155  किमी है। 40-50 साल पहले इन तटबंधों की देख रेख के लिए चौकीदार बहाल था। प्रत्येक चौकीदार के जिम्मे एक खास दूरी तक तटबंध की देख रेख की जिम्मेवारी होती थी। चौकीदार रिटायर होते ही सब कुछ वैसे ही चलता रहा। दस बर्षों में लोग भी बाढ़ की त्रासदी भूल गये। अनेक जगहों पर तटबंध को अतिक्रमित कर मकान, दुकान और बथान बना लिया गया। मरम्मत के अभाव में बांध पूरी तरह जर्जर हो गया। कहीं बांध पर पक्की करण हुआ तो कहीं ईट सोलिंग । बांध के भीतरी और बाहरी भाग में रैट होल, फाक्स होल का जाल सा बन गया। बांध की कहीं भी 500 फीट की लम्बाई रैट होल, फाक्स होल से महफूज नहीं रही। परिणाम जो होना था वही हुआ। रजवारा में बांध टूटा और अनेक स्थानों  पर पकरी (कांटी),  कोठिया (मुशहरी ), विजयी छपड़ा, मोतीपुर, ढोली जैसे तमाम स्थलों पर बांध की स्थिति नाजुक बताई जा रही है। दहशत के मारे लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले चुके हैं। मुशहरी के रजवारा मे बांध टूटने के बाद बाढ़ का पानी मुशहरी थाना प्रखंड और पीएच सी में प्रवेश कर गया है।

स्थिति की भयावहता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि रविवार को जिले के विभिन्न स्थिनो में बाढ़ में डूबने से 6 लोगों की मौत हो गयी। औराई में दो दिन पहले डूबे 4 लोगों का शव मिलते ही हाहाकार मच गया। यहां नयागांव के रोहित कुमार (12), कोकिलवारा के  दरखशां प्रवीण (10), मुस्केअम्बर (12),  नूर सबा पिछले दिन सड़क पार करते हुए बाढ़ में डूब गयी थी। । शहर के सटे विजयी छपरा, पकड़ी, चकमोहम्मद, कोठिया, पहाड़पुर और सिकंदरपुर में स्थिति नाजुक बनी हुई है।इसमे से किसी भी स्थान पर तटबंध टूटने से शहर बर्बाद हो जाएगा। नदी खतरे के निशान से 79 सेमी ऊपर बह रही है। जलस्तर का बढ़ना जारी है। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी एन एच पर भी खतरा पैदा हो गया है। अखाड़ाघाट जीरोमाईल रोड पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। शेखपुर ढाव से जीरोमाईल तट का पश्चिमी इलाका जलमग्न है। शहर के वार्ड संख्या 45 , 46, 47, 48 और 49 जैसे निचले इलाके के लोगों को राहत शिविर में चले जाने की चेतावनी जारी कर दी गयी है। रजवारा बांध टूटने के बाद शहर पर बाढ़ का खतरा बढ गया है। पानी रोहुआ मन होते हुए कोठिया की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इस स्थिति से शहर से लेकर तटवर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। रजवारा बांध टूटने के बाद बाढ़ के पानी से घिरे मणिका गांव के अधिकांश परिवार हाउ  अरेस्ट की स्थिति में अपने घरों मे कैद हैं ।गांव तक जानेवाली सड़क पानी मे डूब गयी है। प्रख्यात समाजवादी चिंतक सच्चिदानन्द सिन्हा का घर इसी गांव मे है।  वे यहां अकेले रहते हैं। दो दिन तक पानी से घिर रहने के बाद आखिरकार आज उनको सैलाब के बीच से निकालकर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है । लेकिन गांव के लोगों को अब भी प्रशासन से मदद का इंतजार है ।


ब्रह्मानंद ठाकुर। BADALAV.COM के अप्रैल 2017 के अतिथि संपादक। बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर के निवासी। पेशे से शिक्षक। मई 2012 के बाद से नौकरी की बंदिशें खत्म। फिलहाल समाज, संस्कृति और साहित्य की सेवा में जुटे हैं। गांव में बदलाव को लेकर गहरी दिलचस्पी रखते हैं और युवा पीढ़ी के साथ निरंतर संवाद की जरूरत को महसूस करते हैं, उसकी संभावनाएं तलाशते हैं।